भोपाल. राजधानी भोपाल (Bhopal) में आस्था की आड़ में सरकारी जमीनों पर कब्जा (Illegal possession) किया जा रहा है। धर्म के नाम पर पुजारियों ने मंदिरों को अपना धंधा बना लिया है। इस खास पेशकश में हमारा इरादा किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है, लेकिन धर्म के नाम पर अपना कारोबार चलाने वाला खुलासा होना जरुरी है। द सूत्र आपको इस स्टोरी में नए भोपाल में ग्यारह सौ क्वॉटर में स्थित हनुमान मंदिर (Hanuman Mandir) के नाम पर चल रहे कारोबार के बारे में बताएगा कि कैसे मंदिरों की श्रृंखला बनाकर करोड़ों रुपए की सरकारी जमीनों पर कब्जा किया गया है। पुजारी यहीं तक नहीं रुका, इसके अलावा चार इमली के पॉश इलाके में भी मंदिर की श्रृंखला बनाकर सरकारी जमीन पर भी कब्जा किया गया।
VIP भक्तों के लिए पुजारी की तरकीब
इस मंदिर के पुजारी दो सगे भाई एमएल थापक और रमाशंकर थापक है। कुछ सालों पहले यहां केवल हनुमान जी का ही मंदिर था। सरकारी आवासीय कॉलोनी से करीब और पॉश इलाके में होने की वजह से यहां वीआईपी (VIP) भक्तों की संख्या बढ़ने लगी। साथ ही दान में मिलने वाली रकम भी बढ़ती गई। इस मंदिर में तमाम नेता, मंत्री, IAS, आईपीएस अधिकारी भी मत्था टेकने पहुंचते हैं। मंदिर केवल हनुमान जी का था, इस कारण दूसरे भगवानों के दर्शन करने के लिए श्रृद्धालु अन्य मंदिरों में जाते थे। लिहाजा पुजारी रमाशंकर थापक ने तरकीब लगाई और देवी-देवताओं की प्रतिमाओं के प्राण प्रतिष्ठा का काम शुरु कर दिया। हनुमान मंदिर के आसपास की जमीन पर भी कब्जा करना शुरु किया। राम दरबार की स्थापना कर दी गई। साथ ही शिवलिंग, दुर्गा जी, राधे कृष्ण का मंदिर भी बना दिया गया है। हनुमान जी के सामने ही शनिदेव को भी विराजित कर दिया है।
झांकी लगाई फिर बना दिया मंदिर
इसका असर ये हुआ कि श्रृद्धालुओं की संख्या में लगातार इजाफा होता गया। रमाशंकर थापक यहीं नहीं रुके। उन्होंने सरकारी जमीन को घेरने का काम जारी रखा। कुछ साल पहले गणेश उत्सव के दौरान मंदिर के पास झांकी बिठाई गई थी। उत्सव तो खत्म हो गया, लेकिन झांकी नहीं उठाई। उस जगह गणेश जी का मंदिर (Ganesh Mandir) ही बना दिया गया। वर्तमान में यहां दो नए मंदिर बनाने का काम चल रहा है। दीवारें खड़ी कर शेड डाल दिए गए है। जल्द ही मूर्ति भी स्थापित कर दी जाएगी। धीरे से शेड़ हटाकर छत भी डाल दी जाएगी और हो जाएगा पक्का कब्जा। इस श्रृंखला का काली माता का मंदिर तो सरकारी क्वाटर्स के बीच में पार्किंग की जगह पर ही बना दिया गया है।
दान की रकम के लिए दोनों भाईयों में विवाद
ग्यारह सौ क्वार्टर हनुमान मंदिर पर एमएल थापक और रमाशंकर थापक अपना हक बताते हैं। सूत्रों का कहना है कि दान की रकम को लेकर दोनों भाईयों में कई बार विवाद भी होता रहा है। लिहाजा दोनों ने समय बांट लिया है। सुबह से दोपहर साढ़े चार बजे तक एमएल थापक मुख्य मंदिर में बैठते हैं। साढ़े चार बजे के बाद रमाशंकर थापक या उनके पुजारी गद्दी संभालते हैं। एमएल थापक बताते हैं कि रमाशंकर थापक ने ही हनुमान जी के मंदिर के अलावा अन्य मंदिरों की स्थापना कराई है। मंदिरों से मिलने वाला चंदा सीधे पुजारियों की जेब में जा रहा है। ऑनलाइन चंदा लेने के लिए क्यू आर कोड की भी व्यवस्था है।
चार इमली इलाके में भी मंदिरों की श्रृखंला
थापक परिवार ने श्री हनुमान सामाजिक एवं सांस्कृतिक समिति के नाम पर संस्था भी रजिस्टर्ड कराई है। जिस पर एमएल थापक और रमाशंकर थापक अपना हक जताते हैं। इसी समिति के नाम पर रमाशंकर थापक ने चार इमली इलाके में भी एक मंदिरों की श्रृंखला स्थापित कर दी। यहां भी देवी-देवताओं के अनेक मंदिर बनाए गए है। चार इमली जहां मंत्री और आईएएस रहते हैं। उस इलाके में भगवान के नाम पर अवैध कब्जा किया गया, जो बढ़ता ही जा रहा है। रमाशंकर थापक ने यहां मंदिर के साथ-साथ अपना घर भी बना लिया और रहने लगे। धर्म की आड़ और राजनीतिक पकड़ की वजह से रमाशंकर थापक को कोई रोकने वाला नहीं है। अतिक्रमण पर कार्रवाई करने वाले भी आखें बंद कर लेते हैं। लिहाजा अब वो कब्जे की जमीन पर डबल स्टोरी घर बना रहे हैं। एमएल थापक बताते हैं कि रमाशंकर ने चार इमली में कई कमरे बनाकर किरायदार भी रखे हुए है।
मन्नीपुरम में करोड़ों का बंगला
धार्मिक भावनाओं की वजह से आप कह सकते हैं कि पुजारी के पास तो कुछ नहीं होता। लिहाजा वो मंदिर के पीछे रहने लगे तो क्या दिक्कत है लेकिन इस मामले में पुजारी कोई दीन-हीन नहीं है। रमाशंकर थापक के लिए तो धर्म का धंधा फलफूल रहा है। थापक ने मन्नीपुरम जैसी रईसों की कॉलोनी में करोड़ों का बंगला खरीदा है। जिसमें वो परिवार के साथ रहते हैं।
इन खसरा नंबर पर जमीन रजिस्ट्रड
मंदिर की जमीनों की पड़ताल करते हुए द सूत्र की टीम कोलार (Kolar) स्थित तहसील ऑफिस पहुंची। पटवारी मंगलेश ने बताया कि ये इलाका शाहपुरा (Shahpura) में लगता है। ग्यारह सौ क्वार्टर स्थित हनुमान मंदिर खसरा नंबर 304/74 पर बना है। सरकारी दस्तावेजों में खसरा नंबर 304/74 पर दर्ज है और चार इमली का मंदिर खसरा नंबर 296 / 85/ 2 पर है। सरकारी रिकॉर्ड में ये दोनों जमीनें सीपीए के नाम पर दर्ज है लेकिन लगातार हो रहे अतिक्रमण के खिलाफ सीपीए (CPA) के अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं करते हैं। द सूत्र ने जब चीफ फॉरेस्ट कंजर्वेटर अनिल मिश्रा से पूछा कि अभी तक इस मामले में कार्रवाई क्यों नहीं की गई तो उन्होंने खानापूर्ति के लिए कहा कि आप कह रहे हैं कि अतिक्रमण हैं तो वहां दिखवाते हैं। जानकारी के बाद ही इस मामले में कुछ कह पाऊंगा। अगर वहां अतिक्रमण तो टीम पूरी जांच करेगी।