जबलपुर। मध्य प्रदेश के पैरामेडिकल छात्रवृत्ति घोटाले के मामले में सरकार ने एक्शन टेकन रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश की। रिपोर्ट में बताया कि एक दिन में 11 कॉलेजों से 90 लाख वसूल किए जा चुके हैं। जबलपुर के 8 कॉलेजों को सील किया है। इन्दौर जिले के 7 कॉलेजों के बैंक खातों को फ्रीज किया है।
कोर्ट से समय मांगा, अदालत बोली इसके बाद नहीं बरतेंगे रियायत
सभी जगह की कार्रवाईयों का ब्यौरा देते हुए सरकार ने कोर्ट से 10 दिनों का समय मांगा और शेष रिकवरी करने का आश्वासन कोर्ट को दिया है इस आधार पर कोर्ट ने अगली सुनवाई 10 मई के लिए नियत की है तथा सरकार को स्पष्ट रूप से कहा है कि पूरी वसूली ना होने पर अगली सुनवाई में कोई भी रियायत नहीं बरती जाएगी ।
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सोमवार को भी हुई थी सुनवाई
पैरामेडिकल छात्रवृत्ति घोटाला से जुड़े मामले में हाई कोर्ट में सोमवार को हुई सुनवाई में सख्ती दिखाई थी। हाई कोर्ट ने कहा कि फर्जी छात्रों का प्रवेश दिखाकर जिन पैरामेडिकल कॉलेजों ने छात्रवृत्ति की राशि हड़पी है उनसे तत्काल वसूल करें। कोर्ट ने सरकार को एक दिन की मोहलत और दी थी। मामले में अगली सुनवाई 26 अप्रैल को हुई। सोमवार को सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की डबलबेंच के समक्ष सरकार ने एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश की। जिसमें सरकार ने बताया कि उसने एक पैरामेडिकल कॉलेज से 4 लाख और एक अन्य संस्था से 76 हजार रुपए और वसूल लिए हैं। सरकार ने बताया कि बचे हुए पैरामेडिकल संस्थाओं से वसूली के लिए आरआरसी तथा कुर्की वारंट भी जारी किए गए हैं।
8 साल में नहीं वसूल सके 24 करोड़
सरकार द्वारा पेश एक्शन टेकन रिपोर्ट पर नाराजगी जताते हुए अदालत ने फिर फटकार लगाई, जिसके बाद केस की सुनवाई लंच के बाद पुनः रखी गई। दूसरे चरण की सुनवाई में सरकार ने एक दस्तावेज पेश कर बताया कि 2 कॉलेजों के बैंक अकाउंट भी सीज कर दिए गए हैं। बाकी के कॉलेजों पर भी त्वरित रूप से कार्रवाई की जा रही है। इसके बाद अदालत ने शेष राशि की वसूली के लिए सरकार को 1 दिन की मोहलत देते हुए 26 अप्रैल को मामले की अगली सुनवाई नियत कर दी थी। जिससे इस मामले की सुनवाई हुई।जिसमें सरकार ने एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश करते हुए बताया कि 11 कॉलेजों से 90 लाख वसूल किए जा चुके हैं। और जबलपुर के 8 कॉलेजों को सील किया गया व इन्दौर के 7 कॉलेजों के बैंक खाते फ्रीज किए गए।
यह था मामला
मध्य प्रदेश में प्राईवेट पैरामेडिकल कॉलेजों ने छात्रवृत्ति के नाम पर जमकर घोटाला किया है। इन कॉलेजों की संख्या सैकड़ों में है। इन कॉलेजों ने फर्जी छात्रों को कॉलेज में प्रवेश दिखाकर उनके नाम छात्रवृत्ति शासन से ली। साल 2010 से 2015 के बीच प्रदेश भर के पैरामेडिकल कॉलेजों द्वारा फर्जी छात्रों को प्रवेशित दिखाकर राज्य शासन से स्कॉलरशिप के नाम पर लंबी राशि आहरित की थी। इस मामले में लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल द्वारा दायर याचिका पर सरकार की ओर से अदालत में जवाब दिया गया कि 100 से ज्यादा पैरामेडिकल कॉलेजों से 24 करोड़ की राशि की वसूली की जानी थी, जिसमें से महज 4 करोड़ 67 लाख रुपए की वसूली ही हो पाई है। सरकार ने अपने जवाब में यह भी बताया कि इंदौर खंडपीठ में अनेक पैरामेडिकल कॉलेजों की अर्जी के चलते वसूली पर स्टे लगा हुआ है। इंदौर खंडपीठ में लंबित मामले में जिन कॉलेजों को राहत मिली थी उनसे करीब 5 करोड़ रुपए की वसूली की जानी थी, लेकिन बावजूद इसके 8 साल में शासन बचे हुए 14 करोड़ रुपए की वसूली नहीं कर पाया है।
याचिकाकर्ता एडवोकेट विशाल बघेल ने बताया कि सरकार जानबूझकर वसूली न करने के बहाने बना रही है। सुनवाई के दौरान जबलपुर हाईकोर्ट ने इंदौर खंडपीठ में इस मामले से संबंधित अर्जियों को जबलपुर हाईकोर्ट स्थानांतरित करने के निर्देश दिए हैं।
राशि वापस की
सिवनी में संचालित मीनाक्षी एकेडेमिक पैरामेडिकल कॉलेज के संचालक तवरेज खान का कहना है कि छात्रवृत्ति का यह मामला 2014 का है। सूची में इनकी संस्था का भी नाम था लेकिन जो भी छात्र वृत्ति निकाली गई थी वह शासन को वापस कर दी गई है।