भोपाल. पदोन्नति में आरक्षण का मामला पिछले 5 साल से न्यायालयीन प्रक्रिया में उलझा हुआ है। इस कारण हजारों कर्मचारी- अधिकारी बिना प्रमोशन (Promotion) के ही रिटायर हो रहे हैं। इससे कर्मचारियों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। इन्हें मनाने के लिए सरकार प्रमोशन का विकल्प निकालने के नाम पर झुनझुना पकड़ा रही है। अब सरकार ने इसी कड़ी में मंत्री समूह (Group of Minister) का गठन कर दिया है। इसमें नरोत्तम मिश्रा (Narottam mishra) गृह मंत्री, तुलसी सिलावट जल संसाधन मंत्री, विजय शाह वन मंत्री, अरविंद भदौरिया सहकारिता मंत्री और इंदर सिंह परमार (Inder Singh Parmar) स्कूल शिक्षा मंत्री शामिल हैं।
विधानसभा में भी गूंजा था प्रमोशन का मुद्दा
इसके पहले तत्कालीन कमलनाथ (Kamal nath) सरकार के समय प्रमोशन में आरक्षण (Reservation in promotion) का मुद्दा विधानसभा में भी उठा था। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने राज्य शासन को निर्देश दिए थे कि सरकार इसका रास्ता निकालें। क्योंकि इसको लेकर कर्मचारी अधिकारी मानसिक रूप से तनाव में है। यह तनाव घर में तब और बढ़ जाता है जब बच्चे अपने पिता या मां से प्रमोशन को लेकर सवाल पूछते हैं। इसके बाद तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने उच्च पद का प्रभार पदनाम देने के लिए आला अफसरों की कमेटी गठित की थी। प्रशासन अकादमी की अध्यक्षता में ये समिति गठित की गई थी।
सरकार HC के फैसले के खिलाफ SC से स्टे ले आई
उल्लेखनीय है कि प्रमोशन में आरक्षण के विवाद के चलते हाई कोर्ट (MP High court) ने मध्यप्रदेश की पदोन्नति की प्रक्रिया को रद्द कर दिया था। जिसके बाद सरकार हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) से स्टे ले आई। 2016 में सुप्रीम कोर्ट में स्टे दिए जाने के बाद मध्यप्रदेश में एक भी विभाग में कर्मचारी-अधिकारियों का प्रमोशन नहीं हुआ है। एक अनुमानित आंकड़े के मुताबिक करीब 75 हजार कर्मचारी-अधिकारी पदोन्नति का इंतजार करते-करते रिटायर हो गए हैं। साथ ही हर साल 15 से 20 हजार कर्मचारी पदोन्नति के इंतजार करते हुए रिटायर हो जाते हैं।