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नवीन मोदी, GUNA. 1984 में डकैत मुन्नासिंग रावत ने आत्मसमर्पण करते हुए अपराध से तौबा कर ली और सामाजिक जीवन जीने के लिए समाज की मुख्यधारा में आ गए। सरकार ने उन्हें अपना और अपने परिववार का जीवन यापन करने के लिए 30 बीघा जमीन सिरसी ग्राम जिला गुना में दी। वह जमीन अब उनकी मृत्यु के वाद उनके बेटे रामबाबू और बेटियों के नाम पर आ गई, लेकिन उस जमीन पर आज भी गांव वाले कब्जा किए हुए हैं, जिस पर अपने वाजिब हक को लेकर रावत परिवार आवाज उठा रहा है।
आटाखेड़ी में दी 30 बीघा जमीन पर गांव वालों का कब्जा
बीते माह शिकायत के बाद बीते दिन कलेक्टर की जनसुनवाई में रामबाबू रावत ने आवेदन दिया था। इसमें विवरण था कि उनके पिता को जमीन सरकार ने आत्मसमर्पण के बाद ग्राम आटाखेड़ी में दी थी, इस 30 बीघा जमीन पर वह काबिज नहीं हो पा रहे हैं क्योंकि सिरसी ग्राम के पूर्व सरपंच और वर्तमान सरपंच की शह पर ग्रामीणजन उस दी गई भूमि पर कब्जा किए हुए हैं।
डकैत के परिवारजनों ने मांग को लेकर धरना दिया
आवेदन के बाद कलेक्टर ने जमीन से कब्जा मुक्त करवाकर जमीन रावत परिवार को सौंपे जाने निर्देश दिए। जिस पर राजस्व अमले की टीम मौके पर पहुंची तो विरोध हुआ और टीम लौट आई व रिपोर्ट सौंपी की जमीन पर पानी भरा है सीमांकन नहीं हो सकता। इसी बीच आत्मसमर्पित के डकैत परिवारजनों ने तहसील परिसर में जमीन मुक्त कराने व न्याय की मांग को लेकर धरना दे दिया।
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गांव वालों की भीड़ के कारण कार्रवाई नहीं हो सकी
जमीन का सीमांकन और मुक्त कराने को लेकर राजस्व अमले के द्वारा पुलिस को पत्र लिखते हुए बल की मांग की और बल मिलने के बाद पुनः जमीन के सीमांकन के लिए पहुंचे, लेकिन गांव वालों की उमड़ी भीड़ के चलते कार्यवाही नहीं की जा सकी।
मजबूरन हथियार उठाने पड़ेंगे
इधर, आत्मसमर्पित डकैत स्व. मुन्ना सिंग रावत के पुत्रों का कहना है कि हमें न्याय नहीं मिला तो हमें हथियार उठाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
अवैधानिक कब्जा मुक्त करवाया जाएगा
गुना एसडीएम वीरेंद्र सिंह बघेल ने इस संबंध में कहा कि राजस्व विभाग को जमीन सीमांकन कर जमीन पीड़ित परिवार को सौंपे जाने निर्देश दिए, अवैधानिक कब्जा भी मुक्त किया जाएगा।