ग्वालियर नगर निगम की एमआईसी के जलकर माफी के प्रस्ताव को आयुक्त ने वापस लौटाया, कांग्रेस ने किया था 130 करोड़ जलकर माफ करने का वादा

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Jitendra Shrivastava
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ग्वालियर नगर निगम की एमआईसी के जलकर माफी के प्रस्ताव को आयुक्त ने वापस लौटाया, कांग्रेस ने किया था 130 करोड़ जलकर माफ करने का वादा

देव श्रीमाली, GWALIOR. लोगों पर कोरोना काल के जल कर के बकाया 130 करोड़ रुपए माफ करने को लेकर मेयर और आयुक्त आमने सामने आ गए है। एमआईसी ने इन बिलों का प्रस्ताव पारित कर आयुक्त को भेजा था, लेकिन उन्होंने इसे मानने की जगह पुनर्विचार के लिए मेयर इन काउंसिल में भेज दिया। मेयर के चुनाव में कांग्रेस ने यह जलकर माफ करने का वादा किया था इसलिए माना जा रहा है कि इस मामले में बीजेपी बनाम कांग्रेस की सियासत भी चल रही है।





कोरोना काल का बकाया है जलकर





कोरोना काल में सारे प्रतिष्ठान और घर बन्द रहे थे, सारे दफ्तर बन्द थे। इस बीच नगर निगम के जल उपभोक्ता अपना पानी का बिल जमा नहीं कर पाए थे। आम लोग और व्यापारी शुरू से ही मांग कर रहे थे कि उन पर बकाया जलकर माफ किया जाए। इसको लेकर ज्ञापन भी दिए गए, लेकिन प्रशासन ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। प्रशासन का कहना था कि 130 करोड़ की राशि माफ करने से नगर निगम का आर्थिक ढांचा चरमरा जाएगा। 





कांग्रेस ने किया था वादा





इस वर्ष के शुरुआत में हुए ग्वालियर नगर निगम के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. शोभा सिकरवार ने वादा किया था कि यदि वे जीतीं तो 2012 से 2021 तक के बीच के नागरिकों पर बकाया 130 करोड़ रुपए के बिल माफ करेंगे। 57 वर्ष बाद ग्वालियर में मेयर पद पर कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. शोभा सिकरवार की जीत हुई तो उन पर जलकर माफ करने का दबाव बढ़ने लगा।





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एमआईसी ने माफ करने को मंजूरी दी





विगत 25 नवम्बर को मेयर की अध्यक्षता में हुई मेयर इन कौंसिल की बैठक में जलकर के 2021 तक के बकाया सभी बिल माफ करने का प्रस्ताव स्वीकृत करके क्रियान्वयन के बाद आयुक्त किशोर कान्याल के पास भेज दिया गया। काफी समय तक तो आयुक्त ने इस पर कोई कार्यवाही नहीं की, लेकिन जब मेयर ने उन पर दवाब बनांया तो आयुक्त ने यह प्रस्ताव पुनर्विचार के लिए फिर से एमआईसी को भेज दिया है। 





आयुक्त ने एमआईसी को लौटाया प्रस्ताव





एमआईसी का प्रस्ताव आखिरकार विगत दिवस मेयर को वापिस लौटा दिया। आयुक्त किशोर कान्याल का कहना है कि हमने जलकर माफ करने का प्रस्ताव एमआईसी के पुनर्विचार के लिए भेजा है, क्योंकि यह विषय राज्य शासन के विचार का है। एमआईसी इसे परिषद में भेज सकती है। अगर वहां से भी पारित हो जाता है तब भी हमें इसे शासन को ही भेजना पड़ेगा क्योंकि इसका निर्णय शासन स्तर पर ही होगा।





मेयर बोल- हमने तो जनहित में निर्णय लिया





मेयर डॉ. शोभा सिकरवार का कहना है कि कोरोना काल में नगरवासियों की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई है। ऐसे में उनसे पुराना जलकार्य वसूलने के प्रयास अन्याय है इसीलिए उन्होंने नगर निगम चुनाव के समय लोगों को इसे माफ करने का भरोसा दिलाया था और चुनाव जीतकर पदभार ग्रहण करते ही एमआईसी में जलकार्य माफी का प्रस्ताव पास करके भेज दिया। अब अगर वे वापस करते हैं तो हम इसे परिषद में भेजेंगे और उम्मीद है कि विपक्ष के पार्षद भी जनहित के इस काम में सहयोग करेंगे।





टकराव की संभावना





एमआईसी अगर इस प्रस्ताव को विचार के लिए परिषद भेजती है तो वहां टकराव की स्थिति पैदा होना तय है। यह भी जरूरी नहीं है कि प्रस्ताव परिषद में पास ही हो जाए क्योंकि परिषद में कांग्रेस का नही बल्कि, बीजेपी का बहुमत है और सभापति मनोज तोमर भी बीजेपी के ही है।



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