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देव श्रीमाली, GWALIOR. एक तरफ जहां धर्म को लेकर राजनीति और एक दूसरे को निशाने पर लेने की प्रवृति आम बात होती जा रही है। ऐसे में भी लोगों के दिल मे धर्म और जाति से ऊपर उठकर मानवीयता के उदाहरण देखने को मिल ही जाते हैं। ग्वालियर शहर में सांप्रदायिक सद्भावना का एक जीता जागता उदाहरण ग्वालियर की रेलवे कॉलोनी में देखने को मिला। जहां एक हिंदू महिला के निधन के बाद जब उसके परिजनों ने आने से इनकार कर दिया तो उसका अंतिम सफर को कॉलोनी में रहने वाली मुस्लिम युवाओं ने पूरा किया। महिला के देहांत के बाद उन्हें मुक्तिधाम तक पहुंचाया और उनकी बेटी से ही मुखाग्नि दिलवाई।
परिवार वालों ने मारपीट करके निकाल दिया था
रेलवे कॉलोनी में रहने वाले शाकिर खान ने बताया कि कॉलोनी में ही रहने वाली रमा देवी का देहांत हो गया था। उनका कोई बेटा नहीं है, सिर्फ एक बेटी हैं जो कि उनके देहांत के समय दिल्ली में थी। बाकी परिवारीजन भी यहां रहते है, लेकिन उन्होंने कोई संपर्क नहीं रखा। शाकिर ने बताया कि रमा देवी सात आठ माह पहले अपना घर छोड़कर यहां आई थी और कॉलोनी में ही एक पेड़ के नीचे हताश होकर बैठी रहती थी। उनसे पूछने पर बताया कि अब हम उस घर में लौट कर नहीं जाएंगे। उनके साथ उनके परिवार के लोग मारपीट करते थे।
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मस्जिद के पास बना दिया था बसेरा
इसके बाद शाकिर ने कॉलोनी में ही मस्जिद के पास उनका एक आसरा बना दिया था, जहां वे रह रही थी। 13 जनवरी को उनका देहांत हो गया। इसकी सूचना शाकिर ने उनकी दिल्ली में रह रही बेटी शीला माहोर को दी, लेकिन उन्हें दिल्ली से आने में समय लग रहा था तो शाकिर उनकी अंत्येष्टि करने का बीड़ा उठाया। उनकी मदद के लिए कॉलोनी के अन्य लोग भी आगे आए। उनके परिवार सहित कॉलोनीवासियों ने ही उनके अंतिम संस्कार का सामान इक्कठा किया और उनकी बेटी के आने तक पूरी तैयारी कर ली थी।
मुस्लिमों ने दिया कंधा, बेटी से दिलवाई मुखाग्नि
इसके बाद उनकी बेटी के आने पर रमादेवी के अंतिम समय की पूरी विधि उनकी बेटी से करवाई और फिर रमादेवी के पार्थिव देह को मुस्लिम परिवार के सभी भाइयों ने कंधा देकर पहुंचाया। वहां उन्हीं की बेटी से रमा देवी को मुखाग्नि दिलवाई।