ग्वालियर में 3 दिन पहले दृश्यम मूवी देख रची हत्या की कहानी, 12 घंटे पुलिस को उलझाए रखा फिर खुला हत्या का राज

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Jitendra Shrivastava
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ग्वालियर में 3 दिन पहले दृश्यम मूवी देख रची हत्या की कहानी, 12 घंटे पुलिस को उलझाए रखा फिर खुला हत्या का राज

देव श्रीमाली, GWALIOR.  बीएड कॉलेज और नर्सिंग होम संचालक के बेटे की हत्या का खुलासा हो गया, प्रखर की हत्या उसी के दोस्त ने नगर निगम कर्मचारी के साथ मिलकर की थी और लाश को झांसी हाइवे पर ले जाकर पेट्रोल डालकर जला दिया था। इस खौफनाक अपराध को अंजाम देने का आइडिया आरोपियों को फिल्म दृश्यम देखकर मिला था। पुलिस ने इस मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है, एक आरोपी अब भी फरार है।



पिता ने जताया था आरोपी करण पर संदेह



मंगलवार दोपहर अभय अपने  घर से निकला और बाल भवन स्थित निगम मुख्यालय पहुंचा। शाम तक जब घर नहीं पहुंचा तब उसके परिजन ने फोन लगाना शुरू किया। पिता प्रशांत को पता था कि वह करन से मिलने गया है, इसलिए उसे भी कॉल किया, लेकिन उसका भी मोबाइल बंद था। फिर अभय के पिता प्रशांत और अन्य परिजन यूनिवर्सिटी थाने पहुंचे, गुमशुदगी दर्ज कराई। प्रशांत ने संदेह के आधार पर पुलिस से करण को बुलाकर पूछताछ करने के लिए भी कई बार कहा था लेकिन पुलिस ने उनकी कोई बात नहीं सुनी, तब उन्होंने खुद ही करण को बता में उलझाकर अपने पास बुलाया और पुलिस के हवाले कर दिया, लेकिन पुलिस उससे कुछ उगलवा नहीं सकी।



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करण ने 12 घंटे पुलिस को उलझाए रखा



इस मामले में पुलिस ने पहले ही दिन आरोपी को गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन 12 घंटे तक आरोपी करण ने पुलिस को अपनी बातों में उलझाकर रखा। सख्ती करने पर वह टूट गया और उसने पुलिस के सामने सब सच उगल दिया। सीएसपी यूनिवर्सिटी रत्नेश सिंह तोमर ने बताया कि रात 12 बजे आरोपी करण को राउंड अप कर लिया था।  उसकी कार की तलाशी लेने पर उसमें खून मिला, लेकिन वह बोला कि ये मुर्गे के खून के धब्बे हैं। वह ससुराल से आ रहा है, ससुराल में चिकन बना था, चिकन खरीदकर ले गया था उसी के दाग हैं। सीसीटीवी कैमरे देखने और प्रखर और अभय की लोकेशन जब पुलिस ने चेक की तो दोनों की लोकेशन एक ही जगह की निकली जिसके बाद पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो मामला सामने आया, करीब आठ घंटे बाद करण ने हत्या करने की बात स्वीकार कर ली। 



नौ लाख रुपए के लिए हत्या 



आरोपी करण वर्मा नगर निगम में काम करता है, अन्य लोगों के काम करवाने के एवज में पैसे भी लेता है। उसकी अभय से पुरानी पहचान थी, अभय का एक लेआउट पास होना था जिसके लिए उसने करण को 9 लाख रुपए दिए थे, लेकिन काम नहीं होने के बाद भी करण उसे पैसे वपास नहीं कर रहा था। 27 दिसंबर को करण ने अभय को फोन कर पैसे वापस करने का कहकर नगर निगम मुख्यालय के पास बुलाया और अपनी कार में बिठाया, कार में पहले से ही दो लोग मौजूद थे जिन्होंने अभय की गोली मारकर हत्या कर दी और लाश को झांसी हाईवे पर ले जाकर पेट्रोल डालकर आग लगा दी।



दृश्यम फिल्म देखकर रची साजिश



आरोपियों ने पुलिस पूछताछ में बताया कि वह 9 लाख रुपए वापस नहीं करना चाहते थे, तीन दिन पहले उन्होंने दृश्यम फिल्म देखकर हत्या की योजना तैयार की और हथियार जुटाकर हत्या की साजिश रची। योजना के अनुसार पैसे लौटाने के बहाने दोपहर में अभय को सिटी सेंटर स्थित नगर निगम मुख्यालय बुलाया। अभय अपनी गाड़ी से गया था, लेकिन हत्यारों ने योजना के मुताबिक उसे अपनी गाड़ी में आगे की सीट पर बिठाया जिसमें पीछे की सीट पर पहले से ही दो लोग बैठे थे। चलती कार में ही उसे गोली मार दी और गाड़ी को झांसी हाइवे की तरफ ले गए। जहां सुनसान जगह पर अभय के शव को पेट्रोल डालकर जला दिया।



छापे के बाद चर्चा में आए थे प्रशांत



मृतक अभय के पिता प्रशांत सिंह परमार सहायक शिक्षक हैं,  फिलहाल प्रशांत निलंबित हैं। उनके घर आय से अधिक संपत्ति के मामले में इसी साल इओडब्ल्यू का छापा पड़ा था। जिसमें देशभर में 80 स्कूल, कॉलेज मिले थे। इसके बाद उन पर विभागीय कार्रवाई हुई थी। प्रशांत राजनीति में भी रुचि रखते थे चुनाव में काफी पैसे खर्च करने पर भी चर्चा में आए थे।



मामले में एक आरोपी ने पुलिस पर छोड़ दिये कुत्ते



इस मामले में आरोपी गौरव सक्सेना को पकड़ने जब पुलिस गोल पहाड़िया गई तो गौरव ने पुलिस को देखकर भागने की कोशिश की और बचने के लिए उसने पुलिस पर कुत्ते भी छोड़ दिए, लेकिन उसकी कोशिश काम नहीं आई और घेराबंदी के बाद में पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।



पिता का आरोप- पुलिस ने तत्काल नहीं की कार्रवाई



इस मामले में प्रशांत सिंह परमार ने पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उसका कहना है कि पुलिस को सूचना दे दी थी, लेकिन पुलिस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। जिन पुलिसकर्मियों को साथ भेजा, वह बीच में किसी दुकान पर रुक गए, जबकि उन्होंने बेटे के साथ अनहोनी की आशंका जताई थी। प्रशांत को शिनाख्त के लिए जब अभय का शव दिखाया गया तो वे बेसुध हो गए।


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