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देव श्रीमाली, GWALIOR. शास्त्रीय संगीत का सबसे बड़ा आयोजन तानसेन समारोह में अब परवान चढ़ने लगा है। इसकी सभाओं में एक तरफ विश्वमोहन भट्ट और सलिल भट्ट ने वीणावादन की जुगलबंदी से कल (20 दिसंबर) बहते झरनों सा आभास कराया। वहीं ध्रुपद के लिए विख्यात भोपाल के गुंदेचा परिवार की युवा ध्रुपद गायिका धानी गुंदेचा ने अपनी प्रस्तुति से सबका मन मोह लिया। आज 21 दिसंबर की शाम की सभा मे परवीन सुल्ताना अपना गायन प्रस्तुत करेंगी।
पिता-पुत्र की वीणा पर जुगलबंदी ने मोहा रसिकों का मन
विश्व विख्यात संगीतज्ञ और ग्रेमी पुरस्कार(संगीत का दुनियां का सबसे बड़ा एवार्ड) विजेता पद्मभूषण पंडित विश्वमोहन भट्ट और उनके सुयोग्य बेटे सलिल भट्ट की मोहनवीणा-सात्विक वीणा जुगलबंदी से निकली मधुर झंकार ने रसिक श्रोताओं के मन को झंकृत कर दिया। पं विश्वमोहन भट्ट द्वारा स्वनिर्मित राग "विश्व रंजनी" में किए गए वादन में वीणा से निकली सम्मोहनी संगीत की लहरियों में श्रोता मग्न होकर संगीत सरिता में गोते लगाते नजर आए। प्रांगण में बह रही हल्की-हल्की हवाओं से अठखेलियां कर रही वीणाओं की तानों से कभी कल-कल बह रहे झरने की चंचलता का आभास हुआ तो कभी ऐसा लगा कि बर्फ से लदी हसीन वादियां तानसेन के आंगन में सिमट आईं हैं।
नव सृजित राग विश्वरंजनी ने खींचा सबका ध्यान
पंडित विश्वमोहन ने राग शिव रजनी व मधुवंती के मिश्रण से राग "विश्वरंजनी" ईजाद किया है। पिता-पुत्र की जोड़ी ने इस राग में आलाप, जोड़ झाला को बड़ी खूबसूरती से और दिलकश अंदाज में पेश किया। उन्होंने जोड़ आलाप में नई धुन बजाकर महफिल में चार चांद लगा दिए। उन्होंने अपने वादन में रुद्र वीणा का भी आभास कराया। द्रुत तीन ताल में और तेज रिदम में सुरीली तानें सुनकर रसिक मंत्रमुग्ध हो गए।
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ग्रेमी अवार्ड समारोह वाली धुन भी सुनाई
ग्रेमी अवार्ड विजेता बनते समय बजाई गईं धुनें भी पंडित विश्वमोहन ने अपने वीणा वादन में निकाल कर सुनाईं। साथ ही हिंदुस्तानी व पाश्चात्य की मिश्रित धुनों का रसास्वादन भी रसिकों को कराया। पंडित ने राष्ट्रगीत वन्देमातरम की धुन निकालकर अपने गायन को विराम दिया।वीणा वादन की जुगलबंदी में सलिल भट्ट ने बखूबी ढंग से साबित किया कि किस तरह एक सुयोग्य शिष्य अपने गुरुजन की विशेषताओं को खुद के अंदर समेट लेता है। वीणा वादन की जुगलबंदी में तबले पर हिमांशु महंत ने ऐसी ताल मिलाई कि स्वर-तान की सरिता में हर कोई हिलोरे लेने लगा।
कला संरक्षण के लिए एमपी सरकार की प्रशंसा की
पद्मभूषण विश्वमोहन भट्ट के वादन के साक्षी बनने बड़ी संख्या में रसिक श्रोता पहुंचे थे। तानसेन समारोह के विशाल पंडाल में तिल रखने को भी जगह नहीं बची थी। श्रोताओं की इतनी बड़ी संख्या देखकर पंडित ने भी अपने उदबोधन में ग्वालियर की कला रसिकता को सराहा। साथ ही कहा मध्यप्रदेश सरकार ने कला एवं संगीत को प्रश्रय देकर सराहनीय काम किया है। इसी का नतीजा है कि तानसेन समारोह की ख्याति अब देश ही नहीं दुनियाभर में है। बड़े-बड़े संगीतज्ञ तानसेन समारोह में प्रस्तुति के लिए अपनी बारी का इंतजार करते हैं। साथ ही देश-दुनिया के संगीत रसिक साल भर तानसेन समारोह का इंतजार करते हैं।
धानी गुंदेचा ने राग "जोग" में बंदिश पेश की
ध्रुपद के लिए विख्यात भोपाल के गुंदेचा परिवार की युवा ध्रुपद गायिका धानी गुंदेचा ने मंगलवार (20 दिसंबर) की सांध्यकालीन सभा मे तीसरे कलाकार के रूप में प्रस्तुति दी। उन्होंने राग "जोग" में सुंदर अलापचारी पेश की। धानी ने ताल चौताल में निबद्ध बंदिश "सुर को प्रमाण जान" का गायन कर गान मनीषी तानसेन को स्वरांजलि अर्पित की। उन्होंने भोर के राग "वैरागी भैरव "और सूलताल में निबद्ध बंदिश "डम डम डमरू बाजे..." को सुमधुर ढंग से प्रस्तुत कर अपने गायन को विराम दिया। उनके साथ पखावज पर पंडित अखिलेश गुंदेचा ने बहुत बढ़िया संगत की। तानपूरे पर विक्रमादित्य गुप्ता और मोहित यादव ने साथ निभाया।
तानसेन समारोह में आज 21 दिसंबर को ये होगा
- सुबह 21 दिसंबर - इस सभा के आरंभ में तानसेन संगीत महाविद्यालय ग्वालियर की ध्रुपद प्रस्तुति होगी। इस सभा में विश्व संगीत के तहत जिम्बाब्वे के ब्लेसिंग चिमंगा के बैंड की प्रस्तुति होगी। इसके बाद पं.सुखदेव चतुर्वेदी मुम्बई का ध्रुपद गायन, अभिषेक बोरकर पुणे का सरोद वादन,आनंद भाटे पुणे का गायन एवं प्रवीण शेवलीकर भोपाल वायोलिन वादन की प्रस्तुति देंगे।