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संजय गुप्ता/योगेश राठौर, INDORE. कोविड के दौरान आपदा को चुनौती मानने की जगह अवसर मानकर कमाई करने को लेकर स्वास्थ्य विभाग पर कई आरोप लगते रहे हैं। इसी मामले में अब इंदौर स्वास्थ्य विभाग के ऊपर 5 करोड़ के घोटाले के आरोप लगे हैं। खासकर इसमें अधिकांश खरीदी प्रशासन और शासन की मंशा से बनाए गए अहम राधास्वामी कोविड केयर सेंटर को लेकर भी थी, जिसके लिए समाजसेवियों ने भी खूब दान किया था। इसमें सीएमएचओ डॉ. बीएस सैत्या के ऊपर गंभीर आरोप लगे हैं जिसमें उनके द्वारा अपनों को उपकृत करने और स्टोर कर्मचारियों से मिलकर खेल करने के आरोप लगाए गए हैं। हालत ये हैं कि इसमें 7 गुना तक ज्यादा कीमत पर ये खरीदी की गई है।
कुल घोटाला इतना
स्वास्थ्य विभाग ने कुल 62 आइटम की खरीदी 5 करोड़ 12 लाख 95 हजार 611 रुपए में की, जबकि स्वास्थ्य विभाग से यही सामग्री खरीदने पर केवल 2 करोड़ 85 लाख 4 हजार 440 रुपए ही लगते। इस तरह सवा दो करोड़ रुपए का घोटाला इस सामग्री खरीदी के नाम पर किया गया। सीएमएचओ डॉ. सैत्या का कहना है कि इस मामले में जांच चल रही है, जो भी होगा सामने आ जाएगा।
स्वास्थ्य विभाग के पोर्टल से ही नहीं की खरीदी
स्वास्थ्य विभाग में खरीदी के लिए मध्यप्रदेश शासन का पोर्टल मध्यप्रदेश पब्लिक हेल्थ सर्विस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एमपीएचएससीएल) अधिकृत है। इसमें सभी के दाम भी तय किए हुए हैं लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने इस पोर्टल से खरीदी ही नहीं की। इसमें स्वास्थ्य विभाग से जुड़े लोग ये कहकर खुद का बचाव कर रहे हैं कि इस पोर्टल से खरीदी के लिए पहले एडवांस में राशि चाहिए होती है। वो कोविड के चलते थी नहीं, इसलिए खुले बाजार से सामग्री बुलाई गई जिसने जिस दाम में दी हमने ले ली।
अपनों को उपकृत करने के लिए जेम पोर्टल में किया खेल
विभाग ने खुले बाजार में और जेम पोर्टल के माध्यम से ये खरीदी की। इसमें भी ये खेल किया कि अपनों को उपकृत करने के लिए टेंडर में ऐसी शर्तें रखी कि दूसरे विरोधी बाहर हो गए और केवल अपनी फर्म ही रह गई और फिर इनसे बढ़ी हुई दरों पर खरीदी की गई। ये भी किया कि इसमें टेंडर एक साथ नहीं करके छोटी-छोटी राशि में खरीदी गई, जैसे मास्क 1 लाख चाहिए तो 10-10 हजार करके लिए गए जिससे 50 हजार से कम की राशि की खरीदी हो और टेंडर की जरूरत ही नहीं पड़े। कई सामग्री की खरीदी इसी तरह से की गई।
इस तरह ऊंचे दामों में हुई खरीदी
- स्टेथेस्कोप - इसे बाजार में 1250 रुपए की दर से खरीदा गया, वहीं स्वास्थ्य विभाग पोर्टल में इसकी दर मात्र 490 रुपए तय है।
जिसकी जरूरत नहीं वो सामान भी खरीदा
कोविड के दौरान स्वास्थ्य विभाग ने वो सामग्री भी खरीदी जिसका कोविड केयर सेंटर में उपयोग ही नहीं था, क्योंकि यहां पर कम गंभीर और बिना लक्षण वाले मरीजों को रखा गया था। विभाग ने यहां उपयोग के लिए डिफ्रीब्रिलेटर (हार्ट अटैक के समय बिजली का झटका देने वाली मशीन) भी 3 लाख की दर से खरीदी जबकि विभाग की पोर्टल पर इसकी कीमत मात्र 1.85 लाख रुपए तय है। वो भी एक-दो नहीं पूरी 15 मशीन 45 लाख रुपए की कीमत में ली गई जबकि उपयोग एक का भी नहीं था।