जबलपुर. मध्यप्रदेश में 27% OBC आरक्षण के मामले की सुनवाई चल रही है। इस मामले की सुनवाई के लिए अखिल भारतीय ओबीसी महासभा (OBC Mahasabha) ने हाईकोर्ट (MP Highcourt) में एक याचिका दायर की है। ओबीसी महासभा ने इस याचिका में अपील की है कि ओबीसी संबंधी समस्त याचिकाओं की सुनवाई एक अलग बेंच द्वारा की जाए जिसमें न्यायाधीश ओबीसी और सामान्य (General) वर्ग से न हो।
वर्ण व्यवस्था की सोच आज भी मौजूद
ओबीसी महासभा के इस आवेदन ने नए विवाद को भी जन्म दे दिया है क्योंकि इस आवेदन के सातवें और आठवें बिंदु में जो बातें लिखी गई हैं, वह कहीं ना कहीं न्यायपालिका के सम्मान को ठेस पहुंचाती हैं। ओबीसी महासभा ने अपने आवेदन में दलील दी है कि आज के आधुनिक सामाजिक परिवेश में भी ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य में सदियों पुरानी मानसिकता अभी भी मौजूद है। तीनों ही जातियां पारंपरिक तौर पर चतुर्वर्ण प्रथा में सबसे ऊंची स्थिति रखती हैं।
याचिका में सांप्रदायिक हित का हवाला
महासभा ने बताया कि जाति प्रथा ने आम लोगों में जाति विशेष को लेकर अवधारणाएं पैदा कर दी हैं। ऐसे में ओबीसी जाति के हित को ध्यान में रखते हुए 27 फीसदी आरक्षण के मामले में नई बेंच गठित की जाए जिसमें न्यायाधीश ना तो ओबीसी वर्ग से हो और ना ही सामान्य जाति के क्योंकि ऐसे मामलों में सांप्रदायिक हित छुपा होता है। बहरहाल इस मामले पर 7 अक्टूबर को हाई कोर्ट सुनवाई करने जा रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा की न्यायपालिका को कटघरे में रखने वाले इस आवेदन पर न्यायालय क्या अभिमत देता है।