Jabalpur. सुप्रीम कोर्ट में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के तहत शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्ति में आरक्षण का प्रावधान लागू करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई हुई। जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस एस आर भाट की खंडपीठ ने पूर्व में जारी नोटिस का जवाब देने प्रदेश सरकार को 3 सप्ताह की अंतिम मोहलत दी है। सुनवाई के दौरान अधिवक्ता संतोष पाल, रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक प्रसाद शाह ने अदालत में पक्ष रखा।
याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी गई आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 2 (ख) और 2(च) में व्याख्या का प्रश्न मौजूद है कि क्या स्थापना की परिभाषा में महाधिवक्ता कार्यालय समाहित माना जाएगा और क्या शासकीय अधिवक्ता का पद लोक पद है। यदि उक्त परिभाषा खंड के अनुसार समाहित है तो आरक्षण अधिनियम 1994 के प्रावधान लागू होंगे। शीर्ष अदालत को यह भी बताया गया कि पंजाब सरकार द्वारा शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्ति में आरक्षण के प्रावधान लागू कर दिए गए हैं। कोर्ट को यह भी बताया गया कि विगत 35 वर्षों में मध्यप्रदेश में लगभग ऐसे 38 जजों की नियुक्ति हुई जो पूर्व में शासकीय अधिवक्ता थे।
दलीलें सुनने के बाद शीर्षकोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि मध्यप्रदेश शासन द्वारा बनाए आरक्षण अधिनियम को सरकार लागू क्यों नहीं करना चाहती इस मुद्दे पर शासन जवाब प्रस्तुत करे। इस बीच प्रदेश सरकार का पक्ष रख रहे अधिवक्ता सौरभ मिश्र ने जवाब पेश करने के लिए 3 सप्ताह का समय मांगा, जिस पर अदालत ने 3 सप्ताह का आखिरी समय दिया है।