ग्वालियर. सम्राट मिहिर भोज (Mihir Bhoj Caste) गुर्जर थे या राजपूत?, इस मामले की सुनवाई 25 सितंबर को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (MP Highcourt) की ग्वालियर खण्डपीठ में हुई। सुनवाई में हाईकोर्ट ने जाति विवाद को हल करने के लिए कमिश्नर की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित करने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि शिला पट्टिका के कारण विवाद की स्थिति बनी है, इसलिए कमेटी की रिपोर्ट आने तक शिला पटि्टका को ढंक कर रखा जाए। साथ ही कोर्ट ने दोनों पक्षों के लोगों से संयम बरतने की उम्मीद जताई है। अदालत ने कहा कि मिहिर भोज की वीरता और उनके कार्यों से प्रेरणा लेने के लिए मूर्ति को खुला रखें।
मामले की अगली सुनवाई 20 अक्टूबर को होगी
ग्वालियर (Gwalior) के समाजसेवी राहुल साहू ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी। उनकी ओर से कोर्ट में तर्क दिया गया कि सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा को लेकर दो समाजों में विवाद चल रहा है। इससे शहर में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति बिगड़ रही है। प्रशासन की ओर से दलील देते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कहा कि नगर निगम ने प्रतिमा लगाने का जो प्रस्ताव पास किया था, उसमें सम्राट मिहिर भोज ही लिखा गया था।
कमेटी में एक गुर्जर और एक क्षत्रिय सदस्य शामिल होंगे
हाईकोर्ट के आदेश के बाद गठित कमेटी के अध्यक्ष संभागायुक्त होंगे और पुलिस महानिरीक्षक इसके उपाध्यक्ष होंगे। कमेटी में एक सदस्य गुर्जर समाज (Gurjar Caste) और एक क्षत्रिय समाज का सदस्य लिया जाएगा। फिर भी कोई विवाद होता है तो गुर्जर समाज का अधिवक्ता आरवीएस घुरैया व क्षत्रिय समाज का अधिवक्ता डीपी सिंह प्रतिनिधित्व करेंगे।
कमेटी ऐतिहासिकता का पता लगाएगी
यह कमेटी देश में लगी सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमाओं के संबंध में भी मार्गदर्शन लेगी। ठोस सबूत और साहित्य के आधार पर ऐतिहासिकता का पता लगाएगी। साथ ही इस पर भी विचार करेगी कि सार्वजनिक स्थान पर राष्ट्रीय नायक की मूर्ति के सामने जाति प्रयोग किया जा सकता है। इसके बाद कमेटी बंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। MP में बवाल: राजा मिहिर भोज को गुर्जर बताया, दो गुटों में टकराव, बसों पर पत्थर फेंके