Damoh. मध्यप्रदेश के दमोह में हिजाब की चर्चा गर्माई हुई है। यहां कि गंगा-जमना स्कूल में 10वीं की परीक्षा में टॉप करने वाली बच्चियों की फोटो में कुछ हिंदू छात्राओं की फोटो फ्लैक्स में लगवाई गई थी, जिन्हें हिजाब पहने हुए दिखाया गया था। मामला गर्माने के बाद गृहमंत्री और बाल संरक्षण आयोग ने मामले की जांच के आदेश दिए। प्रथम दृष्टया प्रशासन को स्कूल में धर्मांतरण संबंधी कोई मामला नजर में नहीं आया है। वहीं स्कूल की एक टॉपर छात्रा ने यह बयान दिया है कि स्कूल में राष्ट्रगान के बाद एक दुआ कराई जाती है, जो प्रार्थना का एक हिस्सा है। इधर इस मामले के गर्माने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी नाराजगी जताई है, सीएम ने पूरे मामले की गंभीरता से जांच करने के निर्देश दिए हैं।
लब पे आती है दुआ बनकर
10वीं की मेधावी छात्रा रूपाली साहू ने बातचीत में बताया कि स्कूल का ड्रेस कोड है जिसमें सलवार कुर्ती और स्कार्फ शामिल है। स्कूल में धर्म विशेष की पढ़ाई नहीं होती। लेकिन छात्रा ने बताया कि स्कूल की प्रार्थना में राष्ट्रगान के बाद एक दुआ कराई जाती है, जिसके बोल हैं ‘लब पे आती है दुआ बनकर तमन्ना मेरी, जिंदगी हो शमा की सूरत खुदाया मेरी’।
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प्रार्थना से अंजान अभिभावक
इधर रूपाली की मां लीलावती ने बताया कि उन्हें इस दुआ के बारे में कोई जानकारी नहीं है। एडमिशन के वक्त यूनिफॉर्म के साथ स्कार्फ भी दिया गया था, हालांकि यह कंपलसरी नहीं है। स्कूल में कोई धार्मिक प्रचार नहीं होता। मैं भी स्कूल की मीटिंग में जाती हू, मुझे ऐसा कभी नहीं लगा। उन्होंने कहा कि दुआ के संबंध में स्कूल प्रबंधन से बात करूंगी और यह मांग करूंगी कि स्कूल में सरस्वती वंदना भी कराई जाए।
प्रशासन भी दे रहा क्लीन चिट
गृहमंत्री के आदेश के बाद मामले की विस्तृत जांच चल रही है, उधर प्रशासन ने प्रथम दृष्टया स्कूल को क्लीन चिट दे दी है। जिला कलेक्टर मयंक अग्रवाल ने बताया कि जिन हिंदू बच्चियों की हिजाब वाली फोटो वायरल हो रही है, उनसे व उनके परिजनों से बात की गई। किसी ने भी इस पर कोई शिकायत नहीं की है। धर्मांतरण के प्रयास जैसी कोई भी बात भी सामने नहीं आई है।
61 बच्चों ने किया टॉप, इसलिए लोग कर रहे प्रोपेगंडा
इधर स्कूल के संचालक इदरीश खान ने बताया कि जिसे लोग हिजाब समझ रहे हैं वह हिजाब नहीं बल्कि स्कार्फ है, हिजाब सिर से लेकर पैरों तक का होता है। उधर स्कूल की समिति के सदस्य शिवदयाल दुबे ने कहा कि हमारे स्कूल में 65 में से 61 बच्चों ने टॉप किया, यह बात किसी को नहीं दिखी, लेकिन कुछ संगठन बेवजह इस मामले को तूल देकर प्रोपेगंडा फैला रहे हैं।
अल्पसंख्यक कोटे का है संस्थान
बता दें कि गंगा-जमना स्कूल अल्पसंख्यक कोटे से मान्यता प्राप्त है। स्कूल संचालकों ने बताया कि स्कूल में 1200 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं। अभी स्कूल केवल 11वीं कक्षा तक है, इस साल से 12वीं कक्षा की पढ़ाई भी होने लगेगी। स्कूल शिक्षा के अधिकार के तहत नहीं आता, फिर भी कई बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान की जा रही है।
इधर विरोध प्रदर्शन भी हो गए शुरू
इधर इस मामले को लेकर राजनीति भी शुरू हो चुकी है, दमोह के हिंदुवादी संगठनों ने इस मामले को लेकर विरोध प्रदर्शन किया, सर्व हिंदू समाज के लोगों ने तख्तियां लेकर घटना का विरोध दर्ज कराया है। हिंदू जागरण मंच ने भी मामले की पूरी जांच कराने के बाद स्कूल की मान्यता रद्द किए जाने की मांग की है।