IIM इंदौर में हिंदी पखवाड़ा: वर्नाक्यूलर लैंग्वेज कॉर्नर का उद्घाटन, प्रतियोगिताओं का आयोजन

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IIM इंदौर में हिंदी पखवाड़ा: वर्नाक्यूलर लैंग्वेज कॉर्नर का उद्घाटन, प्रतियोगिताओं का आयोजन

इंदौर. भारतीय प्रबंध संस्थान इंदौर (IIM Indore) में हिंदी पखवाड़े का आयोजन किया गया। 1 सितम्बर से शुरू इस कार्यक्रम का समापन 14 सितम्बर को हिंदी दिवस के अवसर पर हुआ। संस्थान में आयोजित हिंदी पखवाड़े के दौरान दो प्रतियोगिताएं, टिप्पणी एवं मसौदा लेखन और अन्ताक्षरी का भी आयोजन हुआ। इस मौके पर इन दोनों प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। साथ ही कार्यक्रम में हिंदी भाषा को लेकर वरिष्ठजनों ने अपने विचार साझा किए।

‘वर्नाक्यूलर लैंग्वेज कॉर्नर’ का उद्घाटन

हिंदी पखवाड़ा के दौरान प्रो. राय द्वारा 13 सितंबर, 2021 को आईआईएम इंदौर लर्निंग सेंटर में एक ‘वर्नाक्यूलर लैंग्वेज कॉर्नर’ का भी उद्घाटन किया गया। इसका उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में लिखी गई पुस्तकों की पेशकश करना और समुदाय को विभिन्न भारतीय भाषाओं से संबंधित साहित्य को सीखने और पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना है। वर्तमान में यहां कन्नड़, हिंदी, मलयालम, बंगाली, उर्दू, मराठी और गुजराती भाषाओं में लगभग 2000 पुस्तकें हैं। 

भाषा संस्कृति का आधार- प्रो. हिमांशु राय

कार्यक्रम में प्रो. हिमांशु राय ने कहा कि एक राष्ट्र और एक देश के बीच अंतर होता है। एक देश में भौगोलिक भूमि द्रव्यमान, लोग और संप्रभुता होती है। जबकि राष्ट्र में एक चौथा तत्व जुड़ जाता है - संस्कृति। यही संस्कृति वह बुनियाद है जिस पर हमें एक नई, न्यायपूर्ण और जीवंत दुनिया का निर्माण करना चाहिए। यदि अगर हम हमारी भाषा खो देते हैं, या वह विलुप्त हो जाती है तो क्या होगा क्योंकि अब कोई भी हिंदी या क्षेत्रीय भाषा में अधिक बात नहीं करता है। इसलिए यह भाषा अब एक 'विषय' बन गई है। सुनिश्चित करें कि हमारी हिंदी भाषा लुप्त न हो, क्योंकि यह वह आत्मा है। 

हमें आशावादी पक्ष की ओर देखना चाहिए- गुलाब कोठारी

डॉ. गुलाब कोठारी ने 'हिंदी का इतिहास और भविष्य' पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि हिंदी को अध्ययन का विषय नहीं माना जाना चाहिए, क्योंकि यह तो हमारे अस्तित्व का सार है। हमें सकारात्मक विचारों पर जोर देना चाहिए, आशावादी पक्ष की ओर देखना चाहिए और अन्य संस्कृतियों की नकल करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। इसके लिए हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम अपने अस्तित्व के कारणों को समझने और अपनाने में सक्षम हैं। उन्होंने कहा कि हिंदी सबसे शक्तिशाली भाषाओं में से एक है और हिंदी या हमारी क्षेत्रीय भाषा में बातचीत करना भाषा के साथ हमारे सम्बन्ध को और प्रगाढ़ और मजबूत बनाता है।

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