इंदौर में कान्ह नदी की सफाई पर कब तक बहाएंगे पैसा, पहले खर्च हो चुका 1157 करोड़ अब नमामि गंगे प्रोजेक्ट के 511 करोड़ मिले 

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Jitendra Shrivastava
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इंदौर में कान्ह नदी की सफाई पर कब तक बहाएंगे पैसा, पहले खर्च हो चुका 1157 करोड़ अब नमामि गंगे प्रोजेक्ट के 511 करोड़ मिले 

योगेश राठौर, INDORE. इंदौर देश का सबसे स्वच्छ शहर, प्रदेश का इकलौता शहर जिसके पास वाटर प्लस का दर्जा है। बीते 15 सालों में कान्ह नदी की सफाई को लेकर यहां पर 1157 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं, गंदे नालों को बंद करके कान्ह में मिलने से रोका जा चुका है, इसी के लिए वाटर प्लस का दर्जा मिला है। अब केंद्र ने नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत इंदौर को 511 करोड़ की राशि मंजूर हुई है, जिससे कान्ह नदी को और साफ करेंगे। लेकिन दिसंबर में ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी कैबिनेट तो प्रस्ताव पास कर चुकी है कि कान्ह नदी का पानी गंदा है और सिंहस्थ 2028 के पहले कान्ह के पानी को डायवर्ट कर कान्ह से मिलने में रोकेंगे और इस पर खर्च करेंगे 598 करोड़ रुपए। अब केंद्र और राज्य दोनों का मानना अलग है और प्रोजेक्ट अलग है?





आइए पहले समझते हैं 15 साल में कितना खर्च किया





कान्ह नदी की सफाई इंदौर के लिए एक गंभीर मुद्दा है, जब तक सफाई अभियान नहीं चला था तब तक लोग इसे नदी की जगह नाला ही मानते थे। बीते 15 सालों में कान्ह की सफाई पर सौ-दो सौ करोड़ नहीं पूरे 1157 करोड़ रुपए अलग-अलग योजनाओं में खर्च हो चुके हैं।





एसटीपी बनाने 534 और नाला टेपिंग पर 200 करोड़ खर्च किए





केंद्र की जेएनएनयूआरएम प्रोजेक्ट में सीवरेज लाइन डालने और एसटीपी बनाने में खर्च किए 534 करोड़। सिंहस्थ मद में 77 करोड़ जिससे नदी में गंदा पानी मिलने से रोकने के लिए पाइपलाइन डाली गई। फइर अमृत वन योजना में 273 करोड़ से पांच एसटीपी बनाए गए, नाला टेपिंग पर 200 करोड़ खर्च कर नालों को बंद किया गया जिससे पानी कान्ह में नहीं मिले, बीते दो सालों से गलियों में पानी भरने और गाड़ियां बहने की वजह भी जानकार इसी नाला टेपिंग को बताते हैं। फिर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में एसटीपी और सौंदर्यीकरण पर 50 करोड़ और खर्च हुए।





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अब देखते हैं कैबिनेट ने क्या प्रस्ताव पास किया है





दिसंबर 2022 में मप्र कैबिनेट ने 598 करोड़ का प्रोजेक्ट पास किया जिसमें है कि उज्जैन के गोठडा ग्राम के पास कान्ह को डायवर्ट कर एक नहर के रूप में कालियादोह महल के पास जाकर क्षिप्रा में छोड़ा जाएगा, जिससे क्षिप्रा नदी साफ रहे औऱ् कान्ह का गंदा पानी इसमें नहीं मिले। यह प्रोजेक्ट सिहंस्थ 2028 तक पूरा करेंगे।





अब समझते हैं 511 करोड़ का नमामि गंगे प्रोजेक्ट क्या है





राष्ट्रीय गंगा संरक्षण मिशन के एक हिस्से के रूप में इंदौर में कान्ह नदी शुद्दीकरण का 511 करोड़ का केंद्र का प्रोजेक्ट है, यह मिशन गंगा नदी और उसकी बेसिन की नदियों को उनके मूल स्थल पर साफ करने का लक्ष्य है। कान्ह क्षिप्रा में मिलती है, वह चंबल में और फिर चंबल यमुना में मिलकर गंगा में मिलती है। इसलिए इस प्रोजेक्ट के तहत शहरी सीमा से सटे गांव और क्षिप्रा नदी के शुद्धीकरण के लिए यह प्रोजेक्ट मंजूर हुआ। इसमें 195 एमएलडी के तीन एसटीपी बनाए जाएंगे। एक 120 एमएएलडी का कबीटखेडी में, 35 एमएलडी का लक्ष्मीबाई प्रतिमा पर और 40 एमएलडी का कनाड़िया पर। इस प्रोजेक्ट में 244 करोड़ एसटीपी बनाने और 190 करोड़ मेंटनेंस के लिए खर्च होंगे। दो साल में काम पूरा कर कान्ह के पानी को साफ किया जाएगा और 13 किमी की पाइपलाइन भी डलेगी जिससे पानी का उपयोग गार्डन, खेल मैदान, सड़क धुलाई आदि में कर सकेंगे।





अभी निगम यह कर रहा है





अभी निगम दस एसटीपी से 412 एमएलडी पानी ट्रीट कर रहा है। 90-90 एमएलडी के दो एसटीपी पुरानी टेक्नोलॉजी के हैं जिनकी जगह नई टेक्नोलॉजी के दो बनेंगे। अभी नगर निगम हर दिन 200-250 एमएलडी कबीटखेड़ी से ट्रीट कर कान्ह में छोड़ते हैं। बताया जाता है कि अभी ट्रीटमेंट के बाद पानी में बायोलाजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) 50 और केमिकल ऑक्सीडजन डिमांड (सीओडी) सौ वाला पानी कान्ह में छोड़ा जाता है, नई टेक्नोलॉजी के एसटीपी के बाद बीओडी लेवल दस और सीओडी 30 हो जाएगा।  





क्या कहते हैं जानकार





पूर्व सिटी इंजीनियर अतुल सेठ का कहना है कि नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत गंगा में मिलने वाली नदियों को उनके मूल स्थान पर ही साफ किया जाना है। यदि कान्ह साफ हो जाती है तो फिर मप्र सरकार के क्षिप्रा में कान्ह के नहीं मिलने देने के प्रोजेक्ट का कोई मतलब नहीं रह जाता है। अधिकारियों को तकनीकी तौर पर इसे समझकर दूर करना चाहिए और एक ही प्रोजेक्ट होना चाहिए, ताकि पैसों का सदुपयोग हो सके। 





सांसद शंकर लालवानी केंद्र के प्रोजेक्ट के पक्ष में





उधर सांसद शंकर लालवानी इसे केंद्र सरकार की इंदौर को सौगात बताते हैं। उनका कहना है कि ने यह राशि कान्ह और सरस्वती नदी की शुद्धता के लिए काम आएगी और जब पानी साफ हो जाएगा, ट्रीट होगा तो फिर उसके क्षिप्रा से मिलने में भी कोई समस्या नहीं है। 





उधर महापौर दोनों ही प्रोजेक्ट को डबल लाभ वाले बता रहे





वहीं महापौर पुष्यमित्र भार्गव का कहना है कि भारत सरकार और मप्र सरकार के सहयोग से यह राशि मिल रही है इससे तीन अलग-अलग जगह पर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनेंगे। पानी को शुद्ध किया जा सकेगा। मप्र सरकार औऱ् केंद्र की योजना के कारण डबल लाभ मिलेगा, दोनों प्रोजेक्ट अलग है।



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