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Bangalore. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च(आईसीएमआर) ने दावा किया है कि आने वाले 3 सालों में देश में कैंसर के मरीज तेजी से बढ़ सकते हैं। दावा है कि 2025 तक भारत में कैंसर के मरीजों में 12.7 फीसद की दर से बढ़ोतरी हो सकती है। बीते कुछ सालों में कैंसर रोगियों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। कैंसर रोगियों के बढ़ते हुए आंकड़े के मद्देनजर विशेषज्ञ यह दावा कर रहे हैं।
साल दर साल बढ़ रहे मरीज
आईसीएमआर की मानें तो साल 2020 में पूरे देश में कैंसर के मामले 13.92 लाख थे जो 2021 में बढ़कर 14.26 लाख हो गए थे। वहीं साल 2022 में भी कैंसर मरीजों की तादाद 14.61 लाख हो चुकी थी। विशेषज्ञों के अनुसार, देश में हृदय रोग और सांस की बीमारियां ही नहीं बल्कि कैंसर के मामले भी तेजी से बढ़े हैं। कैंसर के बढ़ते मामलों के लिए तंबाखू और शराब के अलावा बढ़ती उम्र, जीवनशैली, व्यायाम और पौष्टिक आहार में कमी को जिम्मेदार माना जा रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि कई बार कैंसर के लक्षणों की पूरी जानकारी नहीं होने पर बीमारी का समय रहते पता नहीं चल पाता। इलाज में भी देरी होने के कारण कैंसर बढ़ता चला जाता है। ऐसे में लोगों को कैंसर के बारे में जागरूक करना भी बेहद जरूरी है।
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बीते कुछ सालों के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो इंडिया में पुरूषों को सबसे ज्यादा मुंह और फेफड़ों के कैंसर सामने आए हैं, वहीं महिलाओं की बात की जाए तो उनमें सबसे ज्यादा ब्रेस्ट और गर्भाशय के कैंसर देखने को मिले। बेंगलुरू स्थिति आईसीएमआर नेशनल सेंटर फॉर डिसीज इंफॉर्मेटिक्स एंड रिसर्च के अनुसार, 2015 से 2022 तक समस्त प्रकार के कैंसर के आंकड़ों में करीब 24.7 फीसद की बढोतरी हुई है। 14 साल की उम्र के बच्चों में लिम्फॉइड ल्यूकेमिया यानि ब्लड से जुड़े कैंसर होने का खतरा ज्यादा होता है, कैंसर से बचने के लिए इसके बारे में जागरूक होना बेहद जरूरी है।
विशेषज्ञों के अनुसार बुढ़ापा, फैमिली हिस्ट्री, जेनेटिक्स, मोटापा, तंबाखू का सेवन, शराब, वायरल संक्रमण जैसे एचपीवी, वातावरण में कैमिकल, प्रदूषण, सूरज की हानिकारक यूवी किरणों का संपर्क, खराब आहार और जीवन शैली समेत कुछ हार्मोन और बैक्टीरिया भी इस भयानक बीमारी के फैलने के कारणों में शामिल हैं। इस बीमारी से बचने के लिए कैंसर के लक्षण देखते ही तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
विशेषज्ञ कहते हैं कि लोगों को कैंसर से बचने के लिए तंबाखू और शराब से दूर रहना चाहिए। संतुलित आहार और रोजाना व्यायाम को आदत में डालना चाहिए। हेपेटाइटिस बी और ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) के टीके लगवाना चाहिए। साथ ही नियमित स्क्रीनिंग और प्रदूषण से दूर रहना भी बेहद जरूरी है। अगर किसी की फैमिली हिस्ट्री में यह बीमारी रही है तो उस परिवार के सदस्यों को तुरंत अपनी जांच करवानी चाहिए।