इंदौर विकास प्राधिकरण सबसे बड़ा भूमाफिया; पीड़ितों ने समस्या कलेक्टर को बताई, सीईओ को फोन लगाया तो उन्हें इश्यू ही नहीं पता

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Jitendra Shrivastava
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इंदौर विकास प्राधिकरण सबसे बड़ा भूमाफिया; पीड़ितों ने समस्या कलेक्टर को बताई, सीईओ को फोन लगाया तो उन्हें इश्यू ही नहीं पता

संजय गुप्ता, INDORE. शहर की 114 कॉलोनियों पर अलग-अलग स्कीम घोषित कर जमीन अटका कर बैठे आईडीए (इंदौर विकास प्राधिकरण) पर अब पीड़ितों का गुस्सा फूटने लगा है। द सूत्र द्वारा इस मामले को पुरजोर तरीके से उठाने के बाद आईडीए अब बैकफुट पर है, लेकिन हैरत की बात है कि इस पूरे मामले में पीड़ितों द्वारा आईडीए चेयरमैन जयपाल सिंह चावड़ा से मिलने के बाद भी आईडीए सीईओ आरपी अहिरवार को अभी तक इस मुद्दे की कोई जानकारी ही नहीं है।



2020 में जारी नोटिफिकेशन की जानकारी नहीं हैः सीईओ



मंगलवार को पुष्पविहार व अन्य कॉलोनियों के पीड़ितों ने जनसुनवाई में जाकर कलेक्टर डॉ. इलैया राजा टी से मुलाकात कर अपनी व्यथा सुनाई। कलेक्टर ने मौके से ही आईडीए सीईओ को फोन लगाया, लेकिन उन्हें इस मामले की और न ही सरकार द्वारा सितंबर 2020 में जारी किए गए नोटिफिकेशन की कोई जानकारी है। इस पर कलेक्टर ने उन्हें नोटिफिकेशन पढ़कर बताया और कहा कि इस पर हम अब रेगुलर बात करेंगे। पीड़ितों से कलेक्टर ने कहा कि आप हर मंगलवार को आइए, मैं आईडीए से इस पर मॉनीटरिंग करते हुए जानकारी लूंगा और आपको जानकारी देंगे कि इसमें क्या हो रहा है। द सूत्र ने भी जब अहिरवार से इस मुद्दे पर जानकारी मांगी थी तब भी उनका यही जवाब था कि पता नहीं है अभी मेरे पास यह मुद्दा नहीं आया है। 



भूमाफिया अभियान के बाद भी मुक्त नहीं



जनवरी-फरवरी 2021 में जिला प्रशासन ने दीपक मद्दा, सुरेंद्र संघवी सहित अन्य माफियाओं के खिलाफ अभियान चलाया था और इसके बाद यह जमीन मुक्त कराई थी जिसकी कीमत ढाई हजार करोड़ से ज्यादा की है। इसमें 6 एफआईआर भी अलग-अलग भूमाफियाओं पर कराई गई, यहां कैंप लगाकर वरीयता सूची बनाकर सदस्यों को नपती कर प्लाट पर कब्जा सौंपा गया, लेकिन इसके बाद भी यह आईडीए के चलते अवैध कॉलोनी के दर्जे से मुक्त नहीं हो रही है। 



पीड़ितों ने बताया 20 साल से हैं आईडीए से परेशान



पीड़ित एनके मिश्रा व अन्य ने कलेक्टर को पूरी बात बताई, उन्होंने कहा कि साल 2002-03 में आईडीए ने स्कीम 132 लांच कर दी, इसमें 13 कॉलोनियां दायरे में आ गई और इसके छह हजार प्लाट धारकों की जमीन दायरे में आ गई। यह स्कीम रद्द हुई तो आईडीए ने साल 2009 में यहां स्कीम 171 लांच कर दी। इसके बाद ना मुआवजा दे रहे हैं और ना ही स्कीम से मुक्ति। साल सितंबर 2020 में मप्र शासन का नोटिफिकेशन आ चुका है कि क्षतिपूर्ति राशि लेकर आईडीए स्कीम से मुक्त कर सकता है। हम केवल क्षतिपूर्ति का प्रकाशन चाहते हैं, ताकि दो माह में यह राशि भरकर स्कीम से मुक्ति पा सकें और हमारी कॉलोनी वैध हो जिससे मकान बना सकें। ढाई साल से आईडीए हमारी फाइल खोलने और नोटिफिकेशन करने के लिए भी तैयार नहीं है।



सभी को प्रक्रिया होते हुए आचार संहिता की आशंका



पीड़ितों को आशंका है कि यह प्रक्रिया अभी नहीं हुई तो फिर इसमें दो-तीन साल की रूकावट आ जाएगी, क्योंकि सितंबर माह के बाद कभी भी आचार संहिता लग जाएगी। वहीं नोटिफिकेशन के तहत जाहिर सूचना जारी होने के बाद कम से कम दो माह का समय देना है। यानि प्रक्रिया एक-दो माह में ही नहीं शुरू हुई तो फिर इसके टलने की आशंका रहेगी। पीड़ित आईडीए चेयरमैन से भी यह कह चुके हैं कि ऐसा लग रहा है कि आप लोग चाहते हैं कि टल जाए और आचार संहिता लग जाए, ताकि कुछ करना ही नहीं पड़े। 



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सीएम ने मार्च 2021 में कहा था- इनकी मदद करो



भूमाफिया अभियान के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मार्च 2021 में ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में हुए धन्यवाद समारोह में कहा था कि टाइगर जिंदा है और कोई भूमाफिया नहीं बचेगा, अब पीड़ितों की लड़ाई सरकार लड़ेगी और इनकी आउट ऑफ द वे मदद जो हो सके वह हमें करना है, ताकि सभी का घर का सपना पूरा हो सके, लेकिन आईडीए ने इसके बाद कोई पहल नहीं की और न ही स्कीम से मुक्ति के लिए कोई प्रक्रिया आगे की। 



आईडीए चेयरमैन ने बुलवाई अयोध्यापुरी की फाइल तो चौंक गए



उधर 14 एकड़ में बसी अयोध्यापुरी की कहानी तो और भी अजीब है। इसके लिए तो आईडीए साल 2002 में ही एनओसी जारी कर चुका है और बोर्ड में संकल्प भी पास हो चुका था, लेकिन इसके बाद भी आईडीए इसे अपनी स्कीम 77 में समाहित बता रहा है। पीड़ितों ने जब आईडीए चेयरमैन जयपाल सिंह चावड़ा से मंगलवार को मुलाकात कर यह सारी जानकारी और पूर्व में जारी एनओसी बताई तो उन्होंने एक-एक कर सभी अधिकारियों को बुलाया और सच्चाई जानी, इनकी बातें सुनकर चावड़ा भी चौंक गए, बोले मरवाओगे क्या, जब हम एनओसी दे चुके हैं तो फिर इसे अपनी स्कीम में समाहित कैसे बता रहे हैं। फिर चावड़ा ने आईडीए सीईओ अहिरवार को बुलाकर फाइल देखने के लिए कहा। पीड़ितों को कहा गया है कि दो-तीन में नए सिरे से एनओसी जारी करेंगे। ऐसा होने पर अयोध्यापुरी वैध कॉलोनी हो सकेगी, क्योंकि इसी एनओसी पर निगम उसे वैध के लिए मंजूरी देगा।



यह 13 संस्था के प्लाट धारक स्कीम 171 के कारण परेशान



देवी अहिल्या श्रमिक कामगार, इंदौर विकास गृह निर्माण सहकारी संस्था, लक्ष्मणनगर, सूर्य गृह निर्माण, मजदूर पंचायत सभा जिसकी पुष्पविहार कॉलोनी है, मारूति, न्याय विभाग कर्मचारी संस्था, सन्नी गृह निर्माण, रजत गृह निर्माण, त्रिशला गृह निर्माण, संजना गृह निर्माण, श्रीकृपा और अप्सरा गृह निर्माण संस्था।


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