संजय गुप्ता, INDORE. विधानसभा चुनाव से केवल आठ माह पहले प्रदेश सरकार ने इंदौर और भोपाल के विकास प्राधिकरण में राजनीतिक नियुक्तियां की। इसमें इंदौर में उपाध्यक्ष पद पर गोलू उर्फ राकेश शुक्ला को नियुक्त किया गया है। लेकिन जानकारों के अनुसार यह नियुक्ति गोलू शुक्ला के लिए खुश होने की बजाय चिंताजनक ज्यादा है। कारण है कि बीजेपी में एक व्यक्ति एक पद की अवधारणा के चलते अब उनका विधानसभा चुनाव लड़ने का रास्ता लगभग बंद हो गया है। वह लंबे समय से इंदौर जिले से टिकट की दावेदारी कर रहे थे और मुख्य नजर उनकी विधानसभा एक के साथ तीन पर लगी हुई थी। ऐसे में कह सकते हैं कि इन दोनों विधानसभा से दावेदारी करने वाले अन्य उम्मीदवारों के लिए रास्ता साफ हो गया है।
अध्यक्ष रहते उपाध्यक्ष के पास अधिक अधिकार ही नहीं
आईडीए में एक साल पहले ही जयपाल सिंह चावड़ा को अध्यक्ष बनाया जा चुका है। अधय्क्ष के रहते उपाध्यक्ष के पास कोई अधिक अधिकार नहीं रहते हैं। सामान्य तौर पर किसी प्रोजेक्ट, स्कीम के लिए उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में कमेटी बना दी जाती है और फिर उसकी रिपोर्ट बोर्ड बैठक में रखकर पास कराया जाता है। एक तरह से यह दिखावटी ही पद रहता है, जिसके पास स्वतंत्र तौर पर कोई अधिकार नहीं होते हैं। उधर सरकार ने अभी एक भी डायरेक्टर की राजनीतिक नियुक्ति नहीं की है, जबकि साल 2013 में बनी बीजेपी सरकार ने चार डायरेक्टर बनाए थे।
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पहले तीन उपाध्यक्ष व चार डायरेक्टर रह चुके
बीजेपी की साल 2013 से 2018 की सरकार के दौरान आईडीए में चेयरमैन शंकर लालवानी के साथ पहले काल में हरिनारायण, यादव, ललित पोरवाल और मोहित वर्मा को उपाध्यक्ष बनाया गया था। इनके साथ राजेश उदावत, सीता देवी खंडेलवाल और वीरेंद्र व्यास व विजय मालानी चार संचालक (डायरेक्टर) पद पर राजनीतिक रूप से नियुक्त हुए थे, लेकिन इसके बाद बीजेपी ने सभी से इस्तीफा लिया और केवल लालवानी को अध्यक्ष के तौर पर रखा। कांग्रेस सरकार साल 2018 में आने के बाद आईडीए बोर्ड ही नहीं बना और प्रशासनिक तौर पर संभागायुक्त ने ही इसकी अध्यक्षता की। वहीं बाद में बीजेपी आने पर दो साल तक कोई नियुक्ति नहीं हुई, इसके बाद बीते साल चावड़ा को अध्यक्ष बनाया गया और अब गोलू को उपाध्यक्ष।