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Damoh. शासन ने बायोफ्यूल के लिए रतनजोत की खेती को बढ़ावा दिया था, लेकिन पिछले एक दशक में रतनजोत के जरिए बायोफ्यूल बनने के बजाय यह नौनिहालों की जान का दुश्मन जरूर बना है। हर साल बच्चों द्वारा रतनजोत के बीज निगलने की घटनाएं सामने आती हैं। ताजा मामला दमोह जिले के जबेरा का है। दमोह जिले के जबेरा ब्लॉक के हनुमत डोंगरी गांव के प्राथमिक स्कूल में पढ़ने वाले करीब करीब 18 बच्चों ने सोमवार दोपहर स्कूल की छुट्टी के दौरान रतनजोत के बीच खा लिए। घर पहुंचने पर सभी बच्चों को उल्टियां हुई तो परिजन हैरान हो गए बच्चों से पूछने पर पूरी बात बताई और सभी बच्चों को इलाज के लिए अभाना स्वास्थ्य केंद्र लाया गया। वहां प्राथमिक इलाज के बाद सभी को जिला अस्पताल रेफर किया गया जहां उनका इलाज किया जा रहा है।
रीसिस में खेलते-खेलते बच्चों ने बीज खा लिए
स्कूल के शिक्षक चरण पटेल ने बताया कि दोपहर में स्कूल में खाने की छुट्टी हुई थी इसी दौरान कुछ बच्चों ने परिसर के बाहर लगे रतनजोत के बीज खा लिए। डेढ़ घंटे बाद जब इन बच्चों ने उल्टियां शुरू की , तो उनसे पूछताछ की गई । बच्चों ने बताया कि उन्होंने रतन जोत के बीज खाए हैं तत्काल परिजनों को सूचित किया गया और सभी बच्चों को 108 एंबुलेंस के माध्यम से जिला अस्पताल भिजवाया गया । जिला अस्पताल पहुंचने के बाद बच्चों का का इलाज शुरू कर दिया और धीरे धीरे सभी बच्चों की हालत फिलहाल सामान्य हो गई।
रतनजोत बीज खाना खतरनाक नहीं, उल्टियां होती हैं
दमोह में रतनजोत के बीज खाने के मामले सामने आते रहते हैं, लेकिन इन बीजों के खाने से कोई बड़ी समस्या नहीं होती यह जरूर है कि कुछ देर तक उल्टियां होती हैं और इलाज होने के बाद आराम हो जाता है। दरअसल मूंगफली के समान दिखने वाले रतनजोत के बीज को बच्चे खाद्य सामग्री समझकर खा लेते हैं। जिसके बाद उल्टियां शुरू हो जाती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में इस बाबत कोई जागरूकता अभियान भी नहीं चलाया जाता।