जबलपुर में 2 वकीलों ने प्रतिवाद दिवस के समर्थन में पैरवी नहीं की, पर मोटिवेट कर पक्षकार से करवाई जिरह, HC ने दी अंतरिम राहत

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Rajeev Upadhyay
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जबलपुर में 2 वकीलों ने प्रतिवाद दिवस के समर्थन में पैरवी नहीं की, पर मोटिवेट कर पक्षकार से करवाई जिरह, HC ने दी अंतरिम राहत





Jabalpur,Chandresh Sharma. पूरे प्रदेश में स्टेट बार काउंसिल के आह्वान पर प्रतिवाद दिवस मनाया जा रहा है। वकील अपने केसों में पैरवी नहीं कर रहे हैं। न्यायालयीन कार्य से विरत रहकर वे विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन जबलपुर में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें दो वकीलों और उनके पक्षकार के सामने इस प्रतिवाद दिवस के चलते बड़ा धर्मसंकट खड़ा हो गया था। परिस्थिति ऐसी थी कि यदि अदालत अपना फैसला नहीं देती तो पक्षकार की सालों की मेहनत पर पानी फिर जाता। फिर क्या था दोनों वकीलों ने पक्षकार को मोटिवेट किया कि वह हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मलिमठ की डबल बेंच के सामने खुद अपनी पैरवी करे। काफी समझाने और उसे वस्तुस्थिति समझाने के बाद पक्षकार जिरह करने तैयार हो गई। ताज्जुब तो इस बात का है कि अदालत ने तमाम दलीलें सुनने के बाद पक्षकार के पक्ष में अंतरिम फैसला सुनाते हुए उसे राहत प्रदान की है। 





यह था मामला





जबलपुर निवासी सरिता सोनी रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय से संबद्ध मदर टेरेसा लॉ कॉलेज की छात्रा हैं। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय ने उन्हें 25 मार्च को होने जा रही सीपीसी की एटीकेटी परीक्षा में बैठाने से इनकार कर दिया था। जिसके चलते उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। 24 मार्च को उनके मामले की सुनवाई होनी थी लेकिन स्टेट बार काउंसिल ने प्रतिवाद दिवस मनाने का ऐलान कर दिया। ऐसे में श्रीमती सरिता सोनी के वकील एडवोकेट एच एन मिश्रा और एडवोकेट देवेश शर्मा अजीब धर्मसंकट में फंस गए। वे स्टेट बार काउंसिल के आह्वान के चलते वे अदालत में पैरवी के लिए उपस्थित नहीं हो सकते थे। काफी विचार विमर्श के बाद वे इस नतीजे पर पहुंचे कि स्टेट बार के आह्वान के चलते वे पैरवी नहीं कर सकते लेकिन सलाह तो दे ही सकते हैं। दोनों ने अपनी पक्षकार को स्वयं जिरह करने के लिए मोटिवेट किया। 







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  • जिसके बाद श्रीमती सरिता ने चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा के समक्ष अपनी दलीलें प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय प्रबंधन की लेटलतीफी के चलते परीक्षाएं देरी से हुईं। वहीं अब उन्हें समय सीमा खत्म होने का हवाला देकर परीक्षा में बैठने नहीं दिया जा रहा है। दलीलें सुनने के बाद अदालत ने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि वे याचिकाकर्ता को 25 मार्च को होने जा रही 5वें सेमेस्टर की एटीकेटी परीक्षा में बैठने दें। साथ ही परीक्षा का रिजल्ट याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन कर दिया, यानि 25 मार्च को होने वाली सीपीसी विषय की एटीकेटी की परीक्षा का रिजल्ट याचिका का अंतिम निर्णय होने तक लंबित रखा जाएगा। 





    अपने पक्षकार को न्यायालय से मिले न्याय के चलते पक्षकार के साथ-साथ दोनों वकील भी बेहद खुश हैं। उनका मानना है कि हमारी सलाह और मोटिवेशन के चलते एक पक्षकार को न्याय मिल गया, जो कि उनके लिए बेहद संतोषजनक है। 



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