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Jabalpur. हिंदू धर्म के अनुसार जिस घर में किसी की मौत हो जाती है तो जब तक शव का अंतिम संस्कार न हो जाए, घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता, लेकिन जबलपुर में एक बाप 14 दिन पहले मिली अपने बेटे की लाश को पाने के लिए दर-दर भटक रहा है। यदि पोस्टमार्टम के बाद उसे उसके बेटे की लाश सुपुर्द कर दी जाती, तो धर्म के मुताबिक आज उसकी तेरहवीं भी हो चुकी होती, लेकिन सीमा विवाद या किसी और कारण से पुलिस एक बूढ़े बाप को उसके बेटे की लाश ही नहीं सौंप रही है।
एक बाप के लिए सबसे बड़ा बोझ जवान बेटे की लाश का होता है, यह डायलॉग तो शोले फिल्म का है लेकिन इसकी बानगी जबलपुर में देखने को मिली है। दरअसल 2 मार्च को पनागर के ग्राम बघौड़ा के एक खेत में सिंचाई के लिए पहुंचे मजदूरों को बोरे में लाश मिली थी। लाश की शिनाख्त में करीब 10 दिन बीत गए, इसके बाद जब लाश की शिनाख्त मृतक की पत्नी ने की तो पुलिस ने तफ्तीश कर हत्यारों को गिरफ्तार भी कर लिया। मृतक सुनील को उसके ही जीजा ने मौत के घाट उतार दिया था। लेकिन अब मृतक सुनील का शव आज भी अस्पताल की मर्चुरी में पड़ा हुआ है। उधर उसका पिता अपने बेटे की लाश पाने के लिए इस थाने से उस थाने चक्कर लगाने पर मजबूर है।
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दरअसल पीड़ित पिता ने सबसे पहले पनागर थाना इलाके में यह गुजारिश की। मृतक की लाश पनागर थाना इलाके में ही बरामद हुई थी। जबकि उसकी हत्या नुनसर गांव में होने का खुलासा पुलिस ने किया था। पनागर थाना पुलिस ने मृतक के बाप का बरेला थाने भिजवा दिया। लेकिन बरेला थाना पुलिस भी शव सौंपने में आनाकानी कर रही है। अंधी हत्या का विधिवत खुलासा किए पुलिस को दो दिन से ज्यादा का समय हो चुका है। हत्यारे जेल की सलाखों के पीछे भी पहुंच गए हैं। लेकिन मृतक की लाश को अभी तक अंतिम संस्कार नसीब नहीं हो पाया है।
पिता का आरोप- असली हत्यारे को पुलिस ने छोड़ दिया
इधर पीड़ित पिता मुन्नालाल गौड़ ने यह भी आरोप लगाया है कि उसके बेटे की लाश पनागर में मिली थी, लेकिन पुलिस ने हत्या के मामले का खुलासा करते हुए एक प्रमुख आरोपी को छोड़ दिया है, बाकी अन्य 3 लोगों को आरोपी बनाया है। बेटे का पोस्टमार्टम हुए पखवाड़ा बीतने को है लेकिन पुलिस बेटे की लाश देने से आनाकानी कर रही है। बता दें कि मृतक का पिता अपनी ग्राम पंचायत में पंच के पद पर निर्वाचित हुआ है।
कलेक्टर से लगाई गुहार
पुलिस की लगातार आनाकानी के बाद आखिरकार पीड़ित पिता ने कलेक्टर के आगे गुहार लगाई है। उधर कलेक्टर सौरभ सुमन ने मामले की जांच कराकर शव सुपुर्द कराने का आश्वासन दिया है। कानून की पेचीदगी के चलते डीएम मजबूर हो सकते हैं लेकिन उस बाप का क्या जो अपने बेटे के अंतिम संस्कार न होने के चलते हलक से निवाला तक नहीं उतार पा रहा है।