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Jabalpur. जबलपुर जिला प्रशासन ने पर्यावरण प्रदूषण के हवाले से अब शहर में तंदूर सुलगाने पर बैन लगा दिया है। संभागायुक्त ने इस बाबत खाद्य सुरक्षा विभाग को निर्देश दिए और विभाग ने होटल-रेस्तरां के मालिकों को नोटिस थमा दिए। नोटिस में कहा गया है जिसे आपत्ति हो 3 दिन के अंदर जवाब दाखिल करे। अब रेस्तरां मालिक कहां प्रशासन से पंगा लेंगे। दो दिन बीतने को हैं कोई आपत्ति विभाग तक नहीं पहुंची है।
एलपीजी का करो प्रयोग
प्रशासन ने शहर में तंदूर को प्रतिबंधित करते हुए होटल-रेस्तरां संचालकों को एलपीजी का प्रयोग करने का विकल्प दिया है। फैसले पर अमल के लिए 3 दिनों की मोहलत जरूर दी गई है। लेकिन पंजाबी और नॉनवेज रेस्तरां के मालिकों में इस आदेश से हड़कंप है। फैसले का विरोध में हो रहा है। रेस्तरां संचालकों की दलील है कि यह शौक और स्वाद का मामला है। प्रदूषण रोकना ही है तो प्रशासन बड़ी मात्रा में चल रहे ईंट भट्टों और अवैध भट्टियों पर कार्रवाई क्यों नहीं करता।
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करीब 400 रेस्तरां और इतने ही होटल
शहर में करीब 400 रेस्तरां और इतने ही होटल हैं। करीब-करीब सभी तंदूर का इस्तेमाल करते हैं। कुछ के पास गैस भट्टी ही इस्तेमाल में आती है लेकिन तंदूर वे भी जलाते हैं। प्रशासन का यह नोटिस आते ही सभी पसोपेश में पड़ गए हैं कि आखिर उनकी क्या गलती है जो प्रशासन उन पर यह तानाशाही कर रहा है। जब तंदूर बंद होंगे तो तंदूर की रोटी का स्वाद और शौक लोग कैसे पूरा कर पाऐंगे। रेस्तरां संचालक इसे लोगों के स्वाद पर हमला करार दे रहे हैं और कह रहे हैं कि इसे लागू करना बेहद मुश्किल है। कहने वाले यह भी कह रहे हैं कि इसके नाम पर होने वाली कार्रवाई के आड़ में अवैध वसूली ही होगी और कुछ नहीं।
दिल्ली जैसे तो नहीं है हालात
रेस्तरां संचालक कह रहे हैं कि शहर के हालात दिल्ली जैसे तो हैं नहीं। प्रशासन को कचरा जलाकर बिजली बनाने वाला कठौंदा प्लांट नहीं दिखता, न ही वे अवैध ईंट भट्टे दिखते हैं जिनसे भारी मात्रा में प्रदूषण होता है। प्रशासन को दिख रहा है तो बस तंदूर । रेस्तरां संचालकों ने इस मुद्दे पर आंदोलन करने का भी मन बनाया है। अब देखना होगा कि जनता इस मुद्दे पर क्या राय रखती है।