Jabalpur. सड़क किनारे और सार्वजनिक स्थानों पर अवैध तरीके से स्थापित धार्मिक स्थलों को हटाने के मामले में दायर याचिका पर जबलपुर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। सरकार ने रिपोर्ट पेश कर बताया है कि अवैध और यातायात में बाधक धर्मस्थलों को हटाने की कार्रवाई जारी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कुछ निर्माण हटाए भी जा चुके हैं। चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की डबल बेंच ने मामले पर अगली सुनवाई 3 अप्रैल को नियत की है। अदालत ने जबलपुर में जिला शिक्षा अधिकारी के दफ्तर के सामने हाल ही में बने मंदिर के मामले में भी सरकार को जवाब पेश करने कहा।
अधिवक्ता सतीश वर्मा ने अदालत को बताया कि अवमानना याचिका साल 2014 से लंबित है और अभी तक सड़क किनारे और सरकारी जमीन पर बने कई मंदिर व मजार नहीं हटाए गए हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारी राजनैतिक दबाव में कार्रवाई से बच रहे हैं। केंट बोर्ड और रेलवे की ओर से बताया गया कि छावनी क्षेत्र में बचे हुए धर्मस्थल हटाने बार-बार लिखा जा चुका है लेकिन जिला प्रशासन समय पर मजिस्ट्रेट और पुलिस बल नहीं दे पाता।
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बीती सुनवाई में सड़क चौड़ीकरण और यातायात में बाधक 64 धार्मिक स्थलों की लिस्ट पेश की गई थी। बताया गया कि जिन निर्माणों की लिस्ट पेश की गई उनमें से कुछ मास्टर प्लान के परिपालन में बाधक, फुटपाथ में बाधक, पौधारोपण, स्मार्ट सिटी, फ्लाईओवर और नाली निर्माण में बाधक हैं, इसलिए उन्हें हटाना बहुत जरूरी है। याचिकाकर्ता ने बताया कि जबलपुर में कई स्थानों पर बहुत लंबे समय से यातायात में बाधक बन रहे धार्मिक स्थलों पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
अधिवक्ता सतीश वर्मा का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में अवैधानिक धार्मिक स्थलों को हटाने और उनकी निगरानी संबंधित उच्च न्यायालयों को करने के निर्देश दिए थे। इस पर मप्र हाईकोर्ट ने सुओ मोटो लेते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा था। उन्होंने बताया कि इस पर सरकार न ही कार्रवाई कर रही है और न ही जवाब पेश कर रही है। अदालत ने इस बाबत भी सरकार से रिपोर्ट मांगी है।