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Jabalpur. जबलपुर की मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान यूनिवर्सिटी की रिजल्ट को लेकर हो रही गफलत थमने का नाम नहीं ले रही। कभी हाजिर छात्र को गैर हाजिर बताना, कभी छात्रों की आंसरशीट पानी में धो देना तो। पास स्टूडेंट को फेल बता देना तो कभी रिजल्ट ही घोषित नहीं करना। एकबारगी देखा जाए तो लगता यही है कि यह यूनिवर्सिटी एक काम भी ठीक से नहीं कर सकती। जिस पर कोई प्रश्नचिन्ह न लगे। ताजा मामला भोपाल के एक निजी होम्योपैथिक कॉलेज का है। जहां के 18 छात्र-छात्राओं ने परीक्षा में 100 से भी ज्यादा अंक हासिल कर लिए हैं। कुछ स्टूडेंट्स को तो 100 में से 170 नंबर दे दिए गए।
दरअसल यह तब सामने आया जब मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी ने बीएचएमएस के रिजल्ट डिक्लेयर किए। एक तो पहले ही छात्र रिजल्ट की लेटलतीफी से परेशान थे और जैसे तैसे रिजल्ट आया भी है तो ऐसा जिसे दुरूस्त कराने में उन्हें कई चक्कर लगाने पड़ सकते हैं। बता दें कि ये परीक्षाएं बीते साल नवंबर माह में आयोजित की गई थीं, जिनका रिजल्ट 2 फरवरी को जारी किया गया। विश्वविद्यालय ने बीएचएमएस के अलावा एमबीबीएस, बीएएमएस, बीएससी नर्सिंग समेत कई पाठ्यक्रमों के रिजल्ट भी जारी किए हैं। जिसमें से बीएचएमएस सेकेंड ईयर के पैथोलॉजी सब्जेक्ट के प्रैक्टिकल में 18 छात्रों को 139 से लेकर 170 अंक तक दे दिए गए जबकि प्रैक्टिकल कुल 100 अंकों का ही था। जिन छात्रों के रिजल्ट में गड़बड़ी आई है वे सभी भोपाल के निजी मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट्स हैं।
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यूनिवर्सिटी कह रही कॉलेज की गलती
इधर मेडिकल यूनिवर्सिटी इस गफलत के लिए संबंधित कॉलेज को ही जिम्मेदार बता रही है। विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ पुष्पराज बघेल ने बताया कि कॉलेज द्वारा प्रायोगिक अंक देने में गलती की गई है। कॉलेज को नोटिस जारी किया गया है। संशोधित रिजल्ट जल्द ही जारी किया जाएगा।
जारी होने से पहले कमेटी में रखा जाता है रिजल्ट
जानकारी के अनुसार विश्वविद्यालय में रिजल्ट को जारी करने से पहले स्क्रूटनर, टेबुलेटर और रिजल्ट कमेटी के सामने रखा जाता है, लेकिन जिन्हें रिजल्ट में गड़बड़ी देखने की जिम्मेदारी दी गई है, वे क्या कर रहे हैं सबके सामने है। आए दिन परीक्षा परिणामों में कोई न कोई त्रुटी सामने आ जाती है, जिसके चलते छात्रों को परेशान होना पड़ता है।