चुनाव के मद्देनजर रूठे कार्यकर्ताओं को मनाने का दौर शुरू, नेता घर पहुंचकर पूछ रहे-कोई नाराजगी तो नहीं है भाई

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Rajeev Upadhyay
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चुनाव के मद्देनजर रूठे कार्यकर्ताओं को मनाने का दौर शुरू, नेता घर पहुंचकर पूछ रहे-कोई नाराजगी तो नहीं है भाई

Bhopal. मार्च का महीना चल रहा है, देखते-देखते नवंबर-दिसंबर भी आ जाएगा। जब विधानसभा चुनाव का माहौल चरम पर होगा। ऐसे में चुनाव की रणभेरी बज जाए उससे पहले अपने पैदल सैनिकों यानि कार्यकर्ताओं का तेल-पानी चैक करने हर राजनैतिक दल तैयारी कर रहा है। तीज-त्यौहार भी पार्टियों को यह मान मनौव्वल और मंत्रणा का अच्छा अवसर प्रदान कर रहे हैं। वैसे तो तीज त्यौहार हर साल आते हैं लेकिन बीते सालों में पार्टियों ने कार्यकर्ताओं की पूछपरख नहीं की। उल्टा पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव के दौरान कार्यकर्ता नेताओं के चक्कर काट रहे थे। अब पार्टियां रुठे हुए कार्यकर्ताओं को मनाने जतन कर रही हैं। 



अभी कार्यकर्ता ही नींव से लेकर मुंडेर तक का पत्थर




शतरंज में जिस तरह पैदल सैनिक होता है कार्यकर्ता की हालत भी उसी तरह की होती है। एक-एक घर चलना है और एक बार आगे बढ़ गए तो वापस मुड़ने की कोई गुंजाइश नहीं। अमूमन हर राजनीतिक पार्टी में होता है कि सत्ता में आने के बाद कार्यकर्ताओं की पूछ परख बेहद कम हो जाती है। मंत्री,सांसद या विधायक के आसपास दलालों का चक्रव्यूह बन जाता है, पार्टी कैडर या कार्यकर्ता को हाशिए पर धकेल दिया जाता है। अब यह साल चुनावों का साल है तो मध्यप्रदेश में अभी ऐसे ही नजारे देखने को मिल रहे हैं, जिसमें जमीनी कार्यकर्ता को त्वमेव केवलं धर्तासी, त्वमेव केवलं भर्तासी का मंत्र सुनाया जा रहा है। 




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  • मंत्रियों से वन-टू-वन बातचीत में बीजेपी के संगठन मंत्री शिवप्रकाश कह चुके हैं कि प्रभार वाले जिलों पर गंभीरता से ध्यान दें। परफॉर्म नहीं करेंगे तो मुश्किल होगी, संगठन व कार्यकर्ताओं की वजह से ही सरकार में हैं। कार्यकर्ताओं की भावनाओं का ख्याल हमेशा रखा जाए।  प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा भी अपनी बैठकों में बार-बार कार्यकर्ताओं के मान सम्मान की बात तो कर ही रहे हैं, साथ में उन्हें चुनाव में टिकट या सत्ता में भागीदारी का आश्वासन भी देते नजर आ रहे हैं।



    कांग्रेस में जेपी अग्रवाल ने सुलगा दी मशाल



    कार्यकर्ताओं की उपेक्षा को लेकर इसी तरह की खरी-खरी बात कांग्रेस खेमे में भी सुनाई दे रही है। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और मध्यप्रदेश प्रभारी जेपी अग्रवाल ने जबलपुर में पार्टी की एक महत्वपूर्ण बैठक में कहा कि जिन कार्यकर्ताओं के कंधों पर चढ़कर नेता सांसद या विधायक बनें ,उन्हें भुलाया जाता रहा है। जमीनी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा से ही पार्टी कमजोर हो गई। यही बात पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी कह चुके हैं कि यदि कार्यकर्ताओं को साथ लेकर नहीं चला गया तो इस चुनाव के बाद पार्टी खत्म हो जाएगी।



    चुनाव आते-आते फिर शुरू हो जाएगी पुरानी रीत



    हालांकि कार्यकर्ताओं की बिरदावली गाने का यह दौर ज्यादा समय तक चलने वाला नहीं है। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आता जाएगा, अभी किए जा रहे कसमें-वादे सब धरे के धरे रह जाऐंगे। दलबदलुओं की खातिरदारी में पार्टियां जमीनी कार्यकर्ता की मेहनत को न केवल दरकिनार कर देगी, बल्कि उनकी मेहनत से खड़ी की गई फसल भी मेहमानों के हवाले करने से भी नहीं चूका जाता। 





    घर पहुँच रहे माननीय रूठों को मना रही पार्टियां कार्यकर्ताओं की मानमनौव्वल honorable people reaching home parties celebrating their anger Arrogance of the workers
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