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संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में 22 अप्रैल को जिला प्रशासन ने देर रात ( 29 अप्रैल) बार-पब पर छापे मारकर जांच की। इसमें टिक टेक शो और सोशा पब को इलेक्ट्रिक सर्टिफिकेशन नहीं होने के चलते सील किया गया। शनिवार (22 अप्रैल) को कार्रवाई हुई, रविवार (23 अप्रैल) को छुट्टी थी और सोमवार (24 अप्रैल) दोपहर में यह पब संचालक तो इलेक्ट्रिक सर्टिफिकेशन (आडिट) की एनओसी लेकर ही एसडीएम के पास पहुंच गए और पब खुलवाने की मांग रख ली। वर्किंड डे में मात्र पांच-छह घंटे में यह सर्टिफिकेट उन्हें मिल गया। हालांकि कलेक्टर डॉ. इलैया राजाटी ने इसकी जांच करने की बात कहकर फिलहाल यह खोलने से मना कर दिया है।
इसलिए मिल गई एनओसी, क्योंकि जांच होती ही नहीं है
इस सर्टिफिकेशन को जारी करने वाले विभाग के इंदौर प्रमुख हितेंद्र कुमार से द सूत्र ने मुलाकात कर सर्टिफिकेट की प्रक्रिया जानी। तब उन्होंने चार पन्ने का एक फार्म दिखाया और कहा कि यह सेल्फ सर्टिफिकेशन फार्म है। इसमें 27 बिंदु पर बार, पब संचालक अपनी जानकारी भरकर देता है और हम फिर उसे कुछ देर में ही अपने विभाग से इलेक्ट्रिकल सर्टिफिकेशन की अनापत्ति जारी कर दे देते हैं। जब हमने पूछा कि मैदान पर इसकी जांच होती होगी, समय लगता होगा। तब उन्होंने कहा कि नहीं ऐसा कोई नियम नहीं है, सेल्फ सर्टिफिकेशन पर ही इसे जारी किया जाता है। यह उनकी जिम्मेदारी होती है यदि कोई चूक होती है तो हम जाकर जांच नहीं करते हैं। यदि कलेकटर आदेश करते हैं कि किसी जगह विशेष की तो फिर जांच की जाती है। अब उन्होंने बार-पब की जांच का बोल तो हम जाकर जांच करेंगे।
अस्पतालों में भी यही हाल है
अस्पतालों में भी इलेक्ट्रिकल सर्टिफिकेशन का यही हाल है। इसी सेल्फ सर्टिफिकेशन के आधार पर इन्हें एनओसी मिल जाती है। अब कलेक्टर के आदेश पर 100 से ज्यादा अस्पतालों की मौके पर जाकर जांच की जा रही है।
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बार-पब में नहीं मिले थे दस्तावेज
शनिवार 22 अप्रैल को एसडीएम अंशुल खरे के साथ आबकारी, पुलिस विभाग ने बार-पबों की देर रात जांच की थी। इसमें देर रात तक शराब परोसना पाया गया। साथ ही कई बार-पबों में उचित दस्तावेज भी नहीं पाए गए थे। इसके बाद दो पबों को सील किया गया था। इन्हें सभी दस्तावेज लाने का कहा गया था और यह सोमवार को ही दस्तावेज लेकर पहुंच गए थे। शंका होने पर कलेक्टर ने इन्हें खोलने से मना कर दिया और जांच के लिए कहा गया।