संजय गुप्ता, INDORE. सुप्रीम कोर्ट से पीडितों को राहत देने के लिए भूमाफिया रितेश उर्फ चंपू अजमेरा, चिराग शाह, हैप्पी धवन, नीलेश अजमेरा और अन्य को जमानत मिली है। इसका फायदा किस तरह से उठाया जा रहा है, और प्रशासन किस तरह से पस्त और बेबस है इसका खुलासा 2 फरवरी (गुरुवार) को एक बार फिर हो गया। हाईकोर्ट की इंदौर बैंच में करीब एक घंटे तक चली सुनवाई के दौरान जिला प्रशासन की ओर से आए कमेटी के हेड एडीएम डॉक्टर अभय बेडेकर ने कहा कि मैं मेरे अधिकार क्षेत्र में जितना कर सकता था किया, लेकिन आरोपी सहयोग नहीं कर रहे हैं, बार-बार नोटिस देने के बाद भी नहीं आ रहे हैं और इन पर सख्ती की जरूरत है। मुझे धमकियां दी जाती है कि कोर्ट में आपके कपडे उतरवा देंगे, नौकरी चली जाएगी। हम इनकी जमानत रदद् करने के भी आवेदन देना चाहते हैं। हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद इसमें सुनवाई के लिए 15 मार्च की तारीख लगाई है। जिसमें प्रशासन को विस्तृत रिपोर्ट कि किस आरोपी पर कितने क्रिमिनल केस हैं, इनके क्या मामले हैं और क्या निराकरण किया गया है। इसके साथ जवाब के लिए कहा गया है। उधर आरोपियों की ओर से कहा गया कि प्रशासन स्पष्ट बताए कि कौन सहयोग कर रहा और कौन नहीं कर रहा है, जो सहयोग कर रहा है उसकी जमानत जारी रखी जाए।
सिर्फ कब्जा मिला है, रजिस्ट्री के पते नहीं, राशि अधूरी
उधर प्रशासन की रिपोर्ट में तीनों कॉलोनियों फीनिक्स, सेटेलाइट और कालिंदी गोल्ड में कुल 129 केस रजिस्ट्री वाले पीडित बताए गए हैं, जिनमे से 61 को कब्जा दिलाया गया है लेकिन केवल कब्जा हुआ है, जिसका कोई विधिक मतलब नहीं है, इनकी रजिस्ट्री अभी भी अटकी हुई है, और इसके बिना यह ना बेच सकते हैं और ना ही मकान बना सकते हैं। वहीं जिन 109 पीडितों को बुकिंग राशि के बदले केवल रसीद मिली है, उनमें से 68 को भुगतान होना बताया गया है लेकिन यह भुगतान भी आधा-अधूरा है। कई लोगों ने चेक लिए ही नहीं क्योंकि वह काफी कम राशि के थे, वो प्लाट चाह रहे हैं, जो उन्हें नहीं मिल रहे हैं और उन पर यह राशि के चेक लेकर सैटल करने का दबाव बनाने की बात पीडित बता रहे हैं।
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा है सपोर्ट नहीं करें तो जमानत रद्द करा सकते हैं
सुप्रीम कोर्ट ने जब इस मामले को हाईकोर्ट को रिवर्ट किया था, तब साफ आदेश दिया है कि यदि इसमें आरोपी गण सहयोग नहीं करें तो प्रशासन जमानत रद्द कराने का आवेदन हाईकोर्ट में दे सकता है। हाईकोर्ट को लगता है कि जरूरत है कि रिटायर हाईकोर्ट जज की अध्यक्षता में कमेटी बनाना है तो वह कर सकता है। मामला तेजी से किया जाए।
प्रशासन को भूमाफियाओं के 95 फीसदी क्रिमिनल केस पता ही नहीं
हाईकोर्ट में उस समय अजीब स्थिति आ गई, जब पूरी बहस के बाद सरकारी वकील ने भूमाफियाओं के केस, आवेदन की कॉपी मांगी, इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से मामला आए इतना समय हो गया, और आपके पास कॉपी ही नहीं है। वकील ने कहा नहीं सर 95 फीसदी मामले में कॉपी नहीं है, यह मिल जाए। सरकारी वकील केवल बाणगंगा थाने में दर्ज कुछ केस की लिस्ट ही उपलब्ध करा सकें। इस पर हाईकोर्ट ने उन्हें यह उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
हाईकोर्ट ने मांगी भूमाफियाओं की संपत्ति की जानकारी, ADM बोले पर्दे के पीछे बॉस दूसरे
हाईकोर्ट ने सहयोग नहीं मिलने की बात पर एडीएम से पूछा कि इनकी संपत्तियों की जानकारी है क्या? इस पर एडीएम ने माना कि पर्दे के आगे चेहरे दूसरे हैं जैसे कि निकुल कपासी और दूसरे लोग, लेकिन असल में पर्दे के पीछे बॉस और हैं। पीडित 20-30 साल से परेशान हो रहे हैं, अब सख्ती होना चाहिए। क्योंकि पीडित बचे हुए हैं और यह सहयोग नहीं कर रहे हैं।
एफआईआर पर ट्रायल हो और भूमाफियाओं को दया नहीं सजा मिले
प्रशासन की ओर से यह भी कहा गया कि पीडितों को हक देने के बाद भी इन आरोपियों की दंड माफ नहीं हो जाता। हम चाहते हैं कि एफआईआर पर ट्रायल हो और इन सभी को इनके किए की सजा मिले और किसी तरह की दया नहीं की जाए। हम तो बेल निरस्त का भी आवेदन लगाना चाहते हैं।
सरकार के साथ भी भूमाफियाओं ने किया धोखा
यह बात भी कोर्ट में उठी कि मौके पर प्लाट दे भी दें तो लेकिन वहां तो विकास ही नहीं हुआ है। खेत पड़े हुए हैं। इन सभी ने फर्जी साइन करके मंजूरियां ली है, किसानों के फर्जी हस्ताक्षर कर धोखाधड़ी की गई है। इस तरह से इन्होंने सरकार के साथ भी धोखा किया है। 98 फीसदी मामलों में वहीं की पर्सन सेम आरोपी है।
हमारी जमीन पर कब्जा करा रहा प्रशासन
उधर कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि हमारी जमीन पर जबरदस्ती कर धमकी देकर कब्जा करा रहा है और इन मामलों को निराकृत बता रहा है। जबकि जमीन हमारी है। वहीं कुछ लोगों ने कहा कि हमें रसीद के बदले राशि नहीं मिली है, वो हमें प्रशासन दिलाए। कमेटी के अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट देने के बाद काम ही करना बंद कर दिया। इस पर बेडेकर ने कहा कि कमेटी लगातार काम कर रही है, हमने एक मामले में चिराग शाह पर एफआईआर भी कराई है, हम किसी को धमका नहीं रहे हैं, हम केवल आरोपी और पीडित को बैठाकर देख रहे हैं कि उनका समाधान हो जाए और इसे रिकॉर्ड पर ले रहे हैं।
इस तरह की धोखेबाजी की है भूमाफियाओं ने
कोर्ट में बेडेकर ने बताया कि प्रक्रिया के दौरान सामने आया कि तीन तरह के केस हैं, पहला जिसमें प्लाट बुकिंग के बदले राशि लेकर रसीदें दी गई लेकिन प्लाट नहीं मिला इसमें क्योंकि जमीन के भाव बढने के बाद सौदे रद्द कर किसी और को प्लाट बेचे गए। दूसरा वो प्लाट दिया गया जिसकी जमीन ही नहीं है, किसान की जमीन पर प्लाट कटना बताकर रजिस्ट्री कर दी गई। तीसरी बात किसान से सौदा किया लेकिन पूरी राशि नहीं दी, जबकि उसकी जमीन पर नक्शा काटकर प्लाट काट दिया और बुकिंग लेकर रजिस्ट्री कर दी। पीडित बुकिंग की राशि के बदले अब राशि लेने को तैयार नहीं है वो प्लाट लेना चाहते हैं।
14 महीने में आधे केस ही अधूरे निपटाए भूमाफियाओं ने, जमातन के मजे पूरे
सुनवाई के दौरान प्रशासन ने रिपोर्ट पेश करते हुए बताया कि 3 कॉलोनियों में क्या निराकरण हुआ है।
फीनिक्स- इसमें कुल 81 पीड़ित सामने आए हैं, जिसमें से 56 के पास रजिस्ट्री है और 25 के पास भुगतान की रसीद है। मामले में रजिस्ट्री वालों में से 6 को कब्जा दिया गया है और 43 को रसीद के पेठे भुगतान हुआ है। कुल 81 केस में 49 का निराकरण बताया गया। इसे लेकर प्रशासन ने बताया कि कंपनी लिक्विडेशन में चली गई है, उनका कहना है कि हाईकोर्ट के निर्देश के बाद ही कब्जा मिलने वालों को रजिस्ट्री हो सकेगी।
सेटेलाइट- इसमें कुल 71 पीडित सामने आए हैं, जिसमें से 49 रजिस्ट्री वाले और 22 रसीद वाले थे। जिसमें से 27 को कब्जा दिया गया है और 6 को राशि दिलाई गई है। कुल 71 में से 33 का निराकरण बताया गया।
कालिंदी गोल्ड- इसमें कुल 96 पीडित सामने आए, जिसमें से 34 रजिस्ट्री वाले थे और 62 रसीद वाले थे। इसमें से 28 को कब्जा दिलाया गया और 19 को रसीद के बदले राशि दिलाई गई। कुल 96 केस में से 47 का निराकरण किया गया।
कुल केस- कुल पीडित 248 सामने आए थे, जिसमें से रजिस्ट्री वाले 129 थे इसमें से 61 को कब्जा मिला है और रसीद वाले 109 थे, जिसमें 68 को भुगतान मिला है। यानि कुल 248 केस में निराकरण 129 का हुआ, यानि 52 फीसदी का निराकरण हुआ।