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देव श्रीमाली GWALIOR. इंदौर में इस समय देश का सबसे बड़ा प्रवासी भारतीय सम्मेलन चल रहा है जिसमें दुनिया भर के निवेशकों को मध्यप्रदेश में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया गया है। इनके स्वागत सत्कार और इवेंट पर पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है लेकिन विडंबना है कि इसमें प्रदेश ही नही देश के सबसे पुराने औद्योगिक संगठन सिंधिया राज के जमाने में स्थापित मध्यप्रदेश चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज को न्योता ही नहीं दिया गया। तीन बड़े औद्योगिक केंद्रों वाले ग्वालियर-चंबल संभागों से एक भी व्यापारी या उद्योगपति को भी इसमें शिरकत करने का मौका नहीं मिला। इससे ग्वालियर अंचल के उद्योगपति और व्यापारी न केवल दुखी बल्कि, नाराज भी है।
118 साल पुराना है ग्वालियर के चेम्बर
ग्वालियर का चेम्बर ऑफ कॉमर्स न केवल मध्यप्रदेश बल्कि, देश का सबसे पुराना व्यापारिक और औद्योगिक संगठन है। इसकी स्थापना तत्कालीन सिंधिया शासक माधवराव सिंधिया प्रथम के प्रयासों से 26 मई 1906 को की गई थी। वे भी इसके सम्मानित सदस्य बने थे । इसके पहले अध्यक्ष सिंधिया स्टेट के प्रमुख व्यवसाई लाला भिखारी दास से लेकर बिरला घराने के प्रमुख लोगों में से एक दुर्गादास मंडेलिया भी रहे। वे भी अध्यक्ष रहे। अभी भी यह एमपी का एकमात्र अधिकृत चेम्बर ऑफ कॉमर्स है हालांकि, फिलहाल इसका कार्यक्षेत्र प्रमुखत ग्वालियर चम्बल अंचल में ही हैं, लेकिन पहली बार है जब इसको इंदौर के प्रवासी भारतीय सम्मेलन का न्योता तक नहीं दिया गया।
इंदौर की मीट का ग्वालियर को कोई फायदा नहीं
चेम्बर ऑफ कॉमर्स के सह अध्यक्ष विजय गोयल का कहना है कि 2007 के बाद हुई इन्वेस्टर मीट के बाद ग्वालियर चम्बल संभाग के किसी भी औद्योगिक केंद्र को कोई फायदा नही मिला यहां तक सरकार आमंत्रित भी नहीं करती। अभी इंदौर में चल रहे प्रवासी भारतीय सम्मेलन में भी ग्वालियर के चेम्बर ऑफ कॉमर्स तक को आमंत्रण नहीं दिया गया। अब आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि इस मीट से ग्वालियर चम्बल को क्या लाभ होगा ? गोयल ने कहा कि 2007 के बाद इस अंचल के अनेक उद्योग बन्द हो गए, लेकिन उतने ही नए भी आए, लेकिन इसमें सरकार का कोई योगदान है। गोयल ने सरकार से मांग की कि जल्द ही ग्वालियर में भी बड़ी इन्वेस्टर मीट का आयोजन किया जाए।
ज्यादातर बड़े उद्योग बंद हो गए
ग्वालियर चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के मानसेवी सचिव डॉ. प्रवीण अग्रवाल ने कहा कि 1984 में माधव राव सिंधिया जब ग्वालियर के सांसद बने तो वे इस क्षेत्र में औद्योगिक क्रांति लेकर आए। मालनपुर और बामौर में इंडस्ट्रियल एरिया भी स्थापित किये गए। यहां उद्योग लगाने वालों को अन्य सहूलियतें देने के साथ साथ सेल्स टैक्स जिसे आज वेट कहते हैं में, सब्सिडी भी दी गई थी। इस वजह से एमपी आइरन, कैडबरी, गोदरेज, जेके टायर, सूर्या, एटलस जैसी बड़ी-बड़ी इंडस्ट्रीज भी आईं थी। मालनपुर में टेबा और बाबा रामदेव की पतंजलि दो बड़े उद्योग लगा रही है हालांकि, इनका इन्वेस्टर मीट से कोई लेना देना नहीं है।
पड़ोसी राज्यों की नीति देखें एमपी सरकार
डॉ. अग्रवाल का कहना है कि मध्यप्रदेश सरकार को अपने पड़ोसी राज्यों की औद्योगिक नीति को देखकर उनका अध्ययन कर अपनी औद्योगिक नीति को प्रतिस्पर्धी बनाना होगा तभी इस क्षेत्र में औद्योगिकीकरण को फिर से गति मिलेगी।