संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर जिला कोर्ट ने व्यापमं घोटाले मामले में पांच आरोपियों को पांच-पांच साल की सजा सुनाई। यह वह आरोपी है जिन्होंने मुन्नाभाई बनकर यानि दूसरों की जगह परीक्षा में बैठकर उन्हें पास कराया। दो आरोपियों को आरोप मुक्त कराया गया है। सीबीआइ की तरफ से विशेष लोक अभियोजक रंजन शर्मा ने तर्क रखे। विशेष न्यायाधीश संजय कुमार गुप्ता वींद्र कुमार और विक्रांत कुमार के अलावा रामचित्र जाटव, राकेश खन्ना और ब्रजेश कुमार को दोषी करार देते हुए यह सजा सुनाई। दो आरोपी व्यक्तियों नरेंद्र चौरसिया और अजय यादव को बरी कर दिया।
आरोपियों पर अर्थदंड भी लगाया गया
कोर्ट ने सजा देने के साथ ही प्रत्येक आरोपियों पर र 12 से 14 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया है। कोर्ट के सामने सीबीआई ने 52 गवाहों के बयान दर्ज करवाए। बयानों में सामने आया कि एक ने वर्ष 2013 में हुई पीएमटी का फार्म भरा था, लेकिन उसने परीक्षा नहीं दी। उसके स्थान पर दूसरा व्यक्ति परीक्षा में शामिल हुआ और परीक्षा पास भी कर ली।
फोटो मिलान के दौरान फर्जीवाड़ा सामने आ गया
मामले का खुलासा उस वक्त हुआ जब फार्म भरने वाला आरोपी प्रवेश लेने के लिए इंदौर के एमजीएम मेडिकल कालेज पहुंचा। वहां फोटो मिलान के दौरान शंका हुई तो जांच हुई और फर्जीवाड़ा सामने आ गया। कोर्ट ने फार्म भरने वाले, परीक्षा में शामिल होने वाले आरोपियों के अलावा उन तीन आरोपियों को भी सजा सुनाई, जिन्होंने फर्जीवाड़े में भूमिका निभाई थी।
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प्रवेश लेने पहुंचने पर हुआ घोटाले का खुलासा
साल 2013 में हुई पीएमटी में भिंड निवासी रवींद्र कुमार ने परीक्षा का फार्म भरा था, लेकिन उसके स्थान पर ग्वालियर निवासी विक्रांत कुमार परीक्षा में शामिल हुआ। बाद में जब रवींद्र एमजीएम मेडिकल कालेज में प्रवेश की औपचारिकता पूरी करने गया तो मामला सामने आया। तत्कालीन डीन ने इस मामले की सूचना तुरंत पुलिस को दी। बाद में यह मामला सीबीआइ को सौंप दिया गया।
इन आरोपियों पर इन धाराओं में हुई सजा
120-बी आईपीसी 3 साल 2000 जुर्माना, 419 आईपीसी 3 साल 2000 जुर्माना, 420 आईपीसी 4 साल 2000 जुर्माना, 467 आईपीसी 5 साल 2000 जुर्माना, 468 आईपीसी 3 साल 2000 जुर्माना, 471 आईपीसी 3 साल 2000 जुर्माना, 201 आईपीसी 2 साल 2000 जुर्माना और एमपीरिया 3/4 2 साल 2000 जुर्माना।