मद्दा, संघवी जैसे भूमाफिया से जमीन मुक्त कराई तो इंदौर विकास प्राधिकरण बन गया उनसे बड़ा माफिया

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Rahul Garhwal
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मद्दा, संघवी जैसे भूमाफिया से जमीन मुक्त कराई तो इंदौर विकास प्राधिकरण बन गया उनसे बड़ा माफिया

संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में जनवरी 2021 में बड़ा भूमाफिया अभियान चला, पुष्प विहार, अयोध्यापुरी की जमीन भूमाफिया दीपक मद्दा, सुरेंद्र संघवी से जैसों से मुक्त कराई गई और उन पर आधा दर्जन एफआईआर हुई। लोगों को शिविर लगाकर प्लॉट के कब्जे दिलाए गए, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी इंदौर आए, खुद की और अधिकारियों की पीठ थपथपाई और सैकड़ों पीड़ित खुश थे कि अब खुद के मकान का सपना पूरा होगा, लेकिन अब सरकारी एजेंसी इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए) ने ही ये सपना तोड़ दिया है। आईडीए को अब पीड़ित सबसे बड़ा भूमाफिया बता रहे हैं। ये प्लॉटधारक 2-5 साल से नहीं 30 से 35 साल से परेशान हैं और 6 हजार से ज्यादा प्लॉटधारक इस तरह पीड़ित हैं।



पीड़ित आखिर ऐसा क्यों कह रहे हैं?



इंदौर विकास प्राधिकरण यानी आईडीए द्वारा अवैध कॉलोनी की जारी हुई सूची में उन्होंने एनओसी देने से मना कर दिया, यानी ये कॉलोनियों आईडीए की स्कीम में ही रहेंगी और इसका मतलब है कि नगर निगम द्वारा इन कॉलोनियों को अवैध से वैध करने की हो रही पूरी प्रक्रिया खत्म हो गई। ये कॉलोनियां अवैध ही रहेंगी, यानी निगम यहां लोगों को मकान बनाने की मंजूरी नहीं देगा। इसमें अयोध्यापुरी, पुष्प विहार जैसी कॉलोनियां भी शामिल हैं। ये वही कॉलोनियां हैं जहां की ढाई हजार करोड़ कीमत की जमीन को भूमाफिया से मुक्त कराने का अभियान जनवरी-फरवरी 2021 में धूमधाम से चला और शासन से लेकर प्रशासन तक ने खुद की जमकर पीठ थपथपाई। लोगों को शिविर लगाकर कब्जे दिलाए गए, सीएम ने मार्च 2021 में ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में हुए आयोजन में सरकार और अधिकारियों की जमकर तारीफ की और कहा भी कि पीड़ितों की लड़ाई अब हमें लड़नी है, आउट ऑफ द वे इनकी मदद करना है, लेकिन ये सभी पीड़ित आईडीए के हाथों की प्रताड़ित हो रहे हैं।



क्यों हम कह रहे हैं कि ये आईडीए से ही पीड़ित हैं



मध्यप्रदेश शासन ने 28 सितंबर 2020 को योजना से मुक्ति संबंधी नोटिफिकेशन जारी किया। इसके नियम 24 में साफ था कि किसी स्कीम की जमीन को मुक्त करने के लिए 2 अखबारों में विज्ञप्ति जारी की जाएगी। इसमें भूस्वामी से ली जाने वाली क्षतिपूर्ति राशि का जिक्र होगा और स्कीम पर व्यय राशि मिलने पर ये स्कीम लैप्स हो जाएगी। इसके लिए 2 माह का समय दिया जाएगा।




  • ये नोटिफिकेशन जारी होने के बाद पीड़ित प्लॉटधारक कई बार आईडीए से मिल चुके हैं, लेकिन आज तक ये नोटिफिकेशन ही जारी नहीं हुआ, यानी आईडीए खुद की सरकार के बनाए नोटिफिकेशन को ही मानने को तैयार नहीं है। 


  • स्कीम को कोर्ट में चैलेंज होने पर आईडीए नाम बदलकर दूसरी स्कीम ला देता है, साल 2002-03 से ही ये स्कीमों का मामला उलझा हुआ है, आईडीए इन्हें मुक्त नहीं कर रहा है और ना ही खुद इनका विकास कर रहा है।

  • पुष्पविहार कॉलोनी के पीड़ित भू अधिग्रहण एक्ट आने के बाद इस पर तैयार हुए कि हमें मुआवजा दे दिया जाए, आईडीए स्कीम में जमीन रख लें। तब आईडीए ने इस अधिग्रहण के बदले 1 करोड़ की राशि कलेक्टर के पास जमा कराई, जब पीड़ित कलेक्टर से मिले तो पता चला जब तक 80 फीसदी राशि नहीं आएगी अधिग्रहण नहीं होगा और ये राशि बनती थी 1500 करोड रुपए जिसके बदले में आईडीए ने दिए थे मात्र 1 करोड़। आखिर में स्कीम फिर ऐसे ही अटकी रही। 

  • आईडीए ना मुआवजा दे रहा है, ना प्लॉटधारकों के कब्जे वैध कर एनओसी जारी कर रहा है और ना स्कीम से मुक्त कर रहा है।



  • अयोध्यापुरी की समस्या



    अयोध्यापुरी कॉलोनी एलआईजी लिंक रोड से लगी हुई है, करीब 14 एकड़ जमीन और 400 से ज्यादा प्लॉटधारक हैं। जब कब्जा मिला तो ये यहां पर एक-एक कमरा, बाउंड्रीवाल बनाकर बैठ गए कि कोई भूमाफिया कब्जा नहीं कर लें, उम्मीद थी कि वैध हो जाएगी और फिर मकान बना लेंगे, लेकिन अब वैध होने की उम्मीद आईडीए ने खत्म कर दी। मजेदार बात तो ये है कि आईडीए साल 2002 में ही इस कॉलोनी को स्कीम से मुक्त होने की एनओसी जारी कर चुका है, लेकिन अब खुद आईडीए इस एनओसी को नहीं मान रहा है, उनका तर्क है कि भोपाल से ये प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई थी। यानी जहां से चले थे कॉलोनी वाले वहीं आ गए। संस्था के पदाधिकारी बताते हैं कि समझ नहीं आ रहा है कि आईडीए चाहता क्या है, खुद अपने ही आदेश को नहीं मान रहा है जबकि एनओसी 20 साल पहले ही दे चुका है। यहां आईडीए की स्कीम 77 लगी हुई है।



    पुष्पविहार की समस्या



    ये कॉलोनी 68 एकड़ जमीन पर है। इसमें 1100 प्लॉटधारक है। इसके साथ कुल 13 कॉलोनी स्कीम 171 में आ रही है। आईडीए ने इन्हें भी एनओसी देने से मना कर दिया है। जबकि इसके पहले आईडीए कहता रहा है कि विमुक्ति राशि ये भूस्वामी भर दें तो स्कीम से मुक्त करने में कोई परेशानी नहीं है। पुष्पविहार कॉलोनी रहवासी संघ के एके मिश्रा बताते हैं कि 30-35 साल से हम लोग लड़ाई लड़ रहे हैं। 2 साल पहले लगा कि सीएम शिवराज सिंह चौहान, विधायक महेंद्र हार्डिया, कलेक्टर मनीष सिंह के कारण सपना पूरा होगा, लेकिन अब आईडीए ने परेशान करना बंद नहीं किया। पुष्पविहार में अभी तक प्लॉटधारक अपने 30 करोड़ लगाकर विकास काम करा चुके हैं। 20 करोड़ और लगा रहे हैं। निगम को संपत्ति कर 3 करोड़ दे चुके हैं और हर साल लाखों रुपए दे रहे हैं। पूरी कॉलोनी के विकास कार्य 90 फीसदी पूरे हैं, बिजली के पोल लगे हैं, सड़कें बनी हैं, नर्मदा लाइन डलवा रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी मकान बनाने की मंजूरी नहीं है। जबकि एक बार पहले निगम सशर्त मंजूरी दे चुका था, लेकिन फिर आईडीए की आपत्ति पर निगम ने रोक लगा दी।


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