संजय गुप्ता, INDORE. पद संभालने के बाद से ही तत्कालीन निगमायुक्त प्रतिभा पाल से पार पाने की कवायद में जुटे महापौर पुष्यमित्र भार्गव को आखिरकार उनके ट्रांसफर होने के बाद इसका मौका मिल ही गया। मंगलवार को हुई मेयर इन काउंसिल (एमआईसी) की बैठक में सर्वसहमति से फैसला हुआ कि 27 मार्च की एमआईसी बैठक के बाद निगमायुक्त द्वारा जो भी अपने स्तर पर फैसले लिए गए थे, उन्हें रद्द किया जाता है। कई फैसलों को लेकर चौतरफा शिकायत आ रही थी। इसमें सबसे अहम था कि जिस पर घोटाले के आरोप लगे, उसे अधिकारी को सस्पेंड किया गया था और जाने से पहले उसे बहाल कर दिया गया, साथ ही कई अधिकारी, कर्मचारियों को मनमर्जी से निगम में इधर से उधर कर दिया गया। अब इन सभी फैसलों को रद्द कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि तीन अप्रैल को प्रतिभा पाल को रीवा कलेक्टर बनाने के आदेश हुए थे।
एमआईसी मेंबर ने ही ली थी आपत्ति
एमआईसी सदस्य राजेंद्र राठौर ने मेयर इन काउंसिल को पत्र लिखकर इस पर आपत्ति लीथी कि एमआईसी में प्रस्ताव लाए बिना किसी की बहाली नहीं की जा सकती है। नियमानुसार निलंबन के बाद जांच पूरी होने का इंतजार करना चाहिए था। कई कर्मचारी ऐसे हैं, जिन्होंने बहाली के बाद दोबारा उसी पद पर काम करना शुरू कर दिया है। दरअसल यह मुद्दा उन्होंने खासकर उपयंत्री अवधेश जैन को लेकर उठाया था। कुछ महीने पहले विकास यात्रा के दौरान कमला नेहरू कॉलोनी में एक गेट लगाने के लिए बुलवाई गई निविदा को लेकर बवाल मचा था। जिस काम के लिए निविदाएं बुलवाई जा रही थीं, वह पहले ही बन चुका था। अटल गेट पर एसीपी शीट लगाने का मामला था। बाकायदा जनप्रतिनिधियों ने उसका लोकार्पण भी किया था। मामला सामने आने के बाद पूर्व निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने जोनल अधिकारी उपयंत्री अवधेश जैन को निलंबित कर दिया था। इतना ही नहीं जांच करने के आदेश भी जारी किए गए थे। इसी बीच पूर्व निगमायुक्त पाल ने रीवा रिलीव होने के पहले तीन अप्रैल को जैन का निलंबन समाप्त कर बहाल कर दिया। जैन ने दोबारा जोनल अधिकारी के पद पर ही काम करना शुरू भी कर दिया। राठौर का कहना है कि बहाली का मतलब यह नहीं कि दोबारा उसी पद पर काम करने लग जाएं। बहाली के बाद भी पदस्थापना के आदेश जारी किए जाते हैं। जांच पूरी होने व निर्दोष पाए जाने के बाद ही बहाली होना चाहिए। उन्होंने इस तरह के 7-8 कर्मचारी-अधिकारियों की बहाली पर आपत्ति ली है।
यह लिए गए फैसले
महापौरर पुष्यमित्र भार्गव ने फैसला लिया कि जो आदेश महपौर परिषद की जानकारी के बगैर पूर्व निगमायुक्त ने किए, उस पर रोक लगी रहेगी। रिलीव होने से पहले उन्होंने कुछ निलंबित अफसरों को बहाल करने के आदेश जारी कर दिए थे। दो बार इंदौर को स्वच्छता का अवार्ड दिलाने वाली बैठक में निलंबित अफसरों को बहाल करने और कुछ अफसरों को वीआरएस देने का मुद्दा उठा तो भार्गव ने फैसला लिया कि जो आदेश महपौर परिषद की जानकारी के बगैर पूर्व निगमायुक्त ने उस पर रोक लगी रहेगी। एक अन्य अफसर की पदोन्नति का मुद्दा भी बैठक में उठाया गया। बैठक में महापौर परिषद सदस्य अभिषेक शर्मा बबलू, निरंजन सिंह चौहान, राजेश उदावत, नंदू पहाडि़या, जीतू यादव सहित अफसर मौजूद थे।
बावड़ी हादसे वाले मंदिर को नियमानुसार बनाएगें
पटेल नगर में श्री बेलेशवर महादेव मंदिर की बावड़ी के हादसे में 36 लोगों की मौत और फिर मंदिर को तोड़ने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने फिर मंदिर बनाने की बात कही है। इस पर महापौर ने कहा कि मंदिर निर्माण को लेकर किसी भी मंदिर का निर्माण और संचालन की अनुमति कलेक्टर द्वारा विशेष अधिनियम के तहत की जाती है। यदि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने घोषणा की है तो नियमानुसार वहां मंदिर बनाया जाएगा। उसमें निगम की जो भूमिका तय होगी, उसे हम निभाएंगे।