मंदसौर गोलीकांड में इंदौर HC बेंच का शासन को नोटिस, कहा- जैन आयोग की रिपोर्ट पटल पर क्यों नहीं रखी गई, 4 हफ्ते में जवाब दें

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BP Shrivastava
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मंदसौर गोलीकांड में इंदौर HC बेंच का शासन को नोटिस, कहा- जैन आयोग की रिपोर्ट पटल पर क्यों नहीं रखी गई, 4 हफ्ते में जवाब दें

INDORE. इंदौर हाईकोर्ट बेंच ने मंदसौर गोलीकांड मामले में मध्यप्रदेश शासन को नोटिस जारी किया है। जिसमें अदालत ने कहा कि जैन आयोग की रिपोर्ट अभी तक पटल पर क्यों नहीं रखी गई। इस मामले में शासन चार हफ्ते में जवाब कोर्ट में प्रस्तुत करे। यहां बता दें, मंदसौर गोलीकांड की जांच के लिए जैन आयोग का गठन किया गया है। मामले में 14 फरवरी 2023 को शासन ने याचिका पर आपत्ति उठाई थी। केस में पूर्व विधायक पारस सकलेचा पिटीशनर हैं।





शासन ने याचिका पर शुरू में आपत्ति उठाई थी





इससे पूर्व दिनांक 14.02.2023 को शासन की ओर से इस याचिका पर प्रारंभिक आपत्ति उठाते हुए यह तर्क प्रस्तुत किया गया था कि याचिका कोर्ट के समक्ष प्रचलन योग्य नहीं है। बहस का मुख्य आधार यह था कि कोर्ट द्वारा जांच आयोग अधिनियम की धारा 3 (4) के अंतर्गत शासन को विधानसभा के समक्ष जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने आदेशित नहीं किया जा सकता है। जिस पर याचिकाकर्ता की ओर से भी बहस करते हुए यह तर्क प्रस्तुत किया कि कोर्ट द्वारा धारा 3(4) का उल्लंघन होने पर शासन को जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए उचित आदेश प्रदान किया जा सकता है।





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सकलेचा के तर्क पर शासन को नोटिस





पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने याचिका में हाईकोर्ट से प्रार्थना की थी कि शासन को मंदसौर गोलीकांड की रिपोर्ट विधानसभा में पेश करने के लिए आदेश किया जाए। इस संबंध में सकलेचा ने कोर्ट में तर्क भी प्रस्तुत किए। इसके बाद कोर्ट ने शासन की आपत्ति को खारिज किया और शासन को नोटिस जारी किया। जिसमें 4 हफ्ते में कोर्ट में जवाब प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं। मामले की सुनवाई जस्टिस अरविन्द धर्माधिकारी तथा जस्टिस प्रकाश चंद्र गुप्ता की युगल पीठ ने की।





क्या है मामला





शासन द्वारा किसान आंदोलन के दौरान 6  जून 2017 को मंदसौर में हुए गोलीकांड हुआ था। जिसमें 5 किसानों की मौत हो गई थी। उसके बाद गोलीकांड की जांच के लिए रिटायर जस्टिस जेके जैन की अध्यक्षता में जैन आयोग का गठन किया था। आयोग द्वारा अपनी अंतिम रिपोर्ट शासन को 13 जून 2018 में प्रस्तुत कर दी गई थी | जांच आयोग अधिनियम, 1952 की धारा 3 के अनुसार, शासन का यह दायित्व है कि, वह जांच आयोग की रिपोर्ट तथा रिपोर्ट की अनुशंसा अनुसार की गई कार्यवाही 6 माह के भीतर विधानसभा में प्रस्तुत करें। परन्तु आज तक शासन द्वारा ना ही रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई की गई और ना ही अधिनियम के अनुसार रिपोर्ट विधानसभा में पेश की गई। 



 



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