इंदौर जिला पंचायत अध्यक्ष लगातार दूसरी बार महिला होगी, पच्चीस साल में तीसरी बार

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Lalit Upmanyu
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इंदौर जिला पंचायत अध्यक्ष लगातार दूसरी बार महिला होगी, पच्चीस साल में तीसरी बार

Indore. जिला पंचायत इंदौर को लगातार दूसरी बार महिला अध्यक्ष मिलेगी। आज हुए आरक्षण में इंदौर अध्यक्ष का पद अजा महिला के लिए आरक्षित हुआ है। बीते ढाई दशक में यह तीसरा मौका होगा जब कोई महिला इस पद को संभालेगी। पिछली बार सामान्य महिला के लिए अध्यक्ष पद आरक्षित था जिसमें भाजपा की कविता पाटीदार चुनी गईं थीं।



जिले की कुल सत्रह सीटों के लिए आरक्षण पहले ही हो चुका था, आज अध्यक्ष का आरक्षण हुआ । वैसे जिला पंचायत के चुनाव पार्टी आधार पर नहीं होते हैं । उन्हें चुनाव चिन्ह भी पार्टियों के नहीं मिलते हैं लेकिन अप्रत्यक्ष तौर पर होने वाले इन चुनावों में सभी पार्टियां प्रत्यक्ष रूप से अपने उम्मीदवार घोषित करती हैं। नतीजों को भी कमोबेश भाजपा-कांग्रेस की सीटों की तरह ही गिना जाता है। पिछले पच्चीस साल में इंदौर जिला पंचायत पर तीन बार भाजपा और दो बार कांग्रेस का कब्जा हुआ है। 



अब तक महू का दबदबा



इंदौर में पिछले पांच अध्यक्षों में से तीन महू से और दो इंदौर से बने हैं। संभावना जताई जा रही है कि यदि भाजपा समर्थित सरकार आती है तो महू या सांवेर तहसील में से ही कोई अध्यक्ष बनेगा क्योंकि ये वे विधानसभाएं हैं जहां भाजपा के विधायक हैं और दोनों मंत्री भी हैं। महू में उषा ठाकुर (पर्यटन मंत्री) और सांवेर में तुलसी सिलवाट ( जलसंसाधन मंत्री) हैं। देपालपुर में विशाल पटेल कांग्रेस के विधायक हैं। वहीं कुछ सीटें इंदौर शहर से सटे राऊ विधानसभा के ग्रामीण इलाकों में आती हैं जहां से जीतू पटवारी (कांग्रेस) विधायक हैं । यदि कांग्रेस की सीटें ज्यादा आती हैं तो जरूर इन दो विधानसभा से ही कोई अध्यक्ष निकले। हालांकि दोनों ही पार्टियों के मामले में फैसला इस बात पर निर्भर होगा कि एससी महिला किस क्षेत्र से जीतकर आती हैं।



तीन भाजपा, दो कांग्रेस 



पच्चीस साल में पांच जिला पंचायत अध्यक्ष बने इनमें से तीन बार भाजपा के और दो बार कांग्रेस के अध्यक्ष रहे।

-सत्यनारायण पटेल (कांग्रेस) इंदौर से ।

-रामकरण भाभर (भाजपा) महू से ।

-योगिता चौधरी (कांग्रेस) इंदौर से ।

-ओम परसावदिया (भाजपा) महू से।

-कविता पाटीदार (भाजपा) महू से।



दो ने राजनीतिक कद बढ़ाया



जिला पंचायत अध्यक्ष यूं राज्य मंत्री स्तर का होता है लेकिन अमूमन होता यही है कि इस पद से हटने के बाद अध्यक्ष की राजनीति पुनः अपने क्षेत्र तक सीमित हो जाती है। पच्चीस साल में इंदौर में जो पांच अध्यक्ष बने उनमें से केवल दो ही अपना राजनीतिक कद बढ़ा पाए। कांग्रेस के सत्यनारायम पटेल जो अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस से विधायक बने, लोकसभा चुनाव भी लड़े। इसी तरह निवर्तमान अध्यक्ष कविता पाटीदार (भाजपा)  का कद तो हाल ही में बढ़ गया जब पार्टी ने उन्हें राज्यसभा के लिए उम्मीदवार बना दिया। बाकी तीन अध्यक्षों में से ओम परसावदिया और रामकरण भाभर अपने क्षेत्रों में तो जाने-पहचाने हैं लेकिन अपनी राजनीति को आगे नहीं बढ़ा पाए। योगिता चौधरी तो पद से हटने के बाद तकरीबन नदारद ही हो गईं। 




 


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