इंदौर मेयर को नहीं मिला मनचाहा ''मित्र'', नई निगम कमिश्नर बनीं हर्षिका सिंह, कलेक्टर के बाद निगमायुक्त के लिए भी शहर नया

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BP Shrivastava
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इंदौर मेयर को नहीं मिला मनचाहा ''मित्र'', नई निगम कमिश्नर बनीं हर्षिका सिंह, कलेक्टर के बाद निगमायुक्त के लिए भी शहर नया

संजय गुप्ता, INDORE.  इंदौर निगमायुक्त पद से साल 2012 बैच की आईएएस प्रतिभा पाल की विदाई हो गई है और उन्हीं की बैच की आईएएस हर्षिका सिंह नई निगमायुक्त बनीं हैं, लेकिन महापौर को मनचाहा मित्र निगमायुक्त नहीं मिला है। सूत्रों के अनुसार महापौर ने भोपाल स्तर पर अपनी पसंद के कुछ अधिकारियों के नाम सुझाए थे लेकिन इन्हें दरकिनार कर हर्षिका सिंह को निगमायुक्त बनाने का फैसला लिया है। इसकी एक बड़ी वजह है कि वह पहले कभी इंदौर नहीं रही हैं और इंदौर के किसी स्थानीय नेता से लेकर ठेकेदार तक को नहीं जानती हैं, ऐसे में वह अपने स्तर पर जरूरी फैसले लेंगी और जरूरी हुआ तो भोपाल स्तर पर ही मार्गदर्शन लिया जाएगा और दिया जाएगा। 



स्वतंत्र काम करने के लिए झटपटा रहीं मेयर और परिषद



शपथ लेने के बाद से ही महापौर के रूप में स्वतंत्र काम करने के लिए महापौर और उनकी पूरी परिषद झटपटा रही है, लेकिन अधिकारियों ने हाथ बांथे हुए हैं। अधिकारियों के व्यवहार को लेकर एमआईसी सदस्य, पार्षद से लेकर खुद महापौर तक खुलकर बोल चुके हैं और कह चुके हैं कि लालफीताशाही नहीं चलेगी। महापौर और निगमायुक्त प्रतिभा पाल के बीच सबकुछ सही नहीं है यह अंदरूनी लड़ाई तो जगजाहिर है, लेकिन माना जा रहा था कि सरकार अगले ट्रांसफर के दौरान उन्हें राहत देगी। इसकी भनक महापौर को भी थी कि अप्रैल-मई माह में ट्रांसफर होगा, ऐसे में उन्होंने भी कुछ अच्छे अधिकारियों के नाम सुझा दिए थे लेकिन सरकार ने फिर उन पर चोट करते हुए उनकी जगह खुद की पसंद का अधिकारी इंदौर भेज दिया है। 



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कलेक्टर इलैया राजा की भी इंदौर में पहली पोस्टिंग



राजनीति में किसी घटना के लिए कहा जाता है क्रोनोलॉजी समझिए…अब प्रशासनिक सिस्टम में भी इसे समझना जरूरी हो गया है। नवंबर 2022 में कलेक्टर बदलते हैं और जो कभी पहले इंदौर में नहीं रहे वह आईएएस डॉ. इलैया राजा टी आते हैं। इसके पहले आप लोकेश जाटव को छोड़कर जो कांग्रेस शासन में आए थे, बाकी सभी कलेक्टरों पर नजर डालें तो वही अधिकारी आए हैं, जो पहले कभी इंदौर में किसी पद पर काम कर चुके हैं। चाहे वे मनीष सिंह हो, आकाश त्रिपाटी, पी नरहरि, निशांत वरवड़े, राघवेंद्र सिंह आदि हो, लेकिन इलैया राजा पहली बार इंदौर में पोस्ट हुए हैं। इंदौर में कुछ समय का कार्यकाल बिताने वाले सीनियर आईपीएस मकरंद देउस्कर भी हाल ही में पुलिस कमिशनर इंदौर हुए हैं। 



नई निगमायुक्त की मूल बैच झारखंड 



इंदौर की नई निगमायुक्त हर्षिका सिंह 2012 बैच की मूल रूप से झारखंड कैडर की आईएएस है, अपने बैचमेट और रीवा निवासी रोहित सिंह से शादी के बाद उन्हें मप्र कैडर मिला। वह रीवा कलेक्टर बनाई गई निगमायुक्त प्रतिभा पाल की ही बैचमेट है। हर्षिका सिंह भी अपनी दबंग कार्यशैली के लिए जानी जाती है और वह लंदन स्कूल ऑफ इकॉनामिक्स यूके से मास्टर्स डिग्रीधारी है। सिंह की यह इंदौर में पहली पोस्टिंग है, इसके पहले वह जबलपुर में जिला पंचायत सीईओ, टीकमगढ़ कलेक्टर भी रह चुकी हैं और साल 2020 से वह मंडला कलेक्टर के पद पर हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें मंडला जिले को पूरा साक्षर बनाने के लिए नई दिल्ली में सम्मानित किया था। टीकमगढ़ कलेक्टर रहते हुए भी उन्होंने ग्रामीण महिलाओं की पढ़ाई के लिए ज्ञानालाय खोले और साक्षर किया। उनके इस काम को लेकर आर्टिकल भी लंदन स्कूल ऑफ इकॉनामिक्स के न्यूजलेटर में पब्लिश हुआ था। वह अपनी दबंग कार्यशैली के लिए जानी जाती हैं, शासकीय योजनाओं के अमल और महिला एजुकेशन पर अधिक ध्यान होता है। 



लंदन स्कूल ऑफ इकॉनामिक्स से ली मास्टर्स डिग्री



सिंह की स्कूलिंग बिशप वेस्टकास्ट गर्ल्स स्कूल से और ग्रेजुएशन इकॉनामिक्स में सेंट जेविएयर कॉलेज से हुई है। इसके बाद वह मास्टर्स डिग्री के लिए लंदन चली गईं और वहां लंदन स्कूल ऑफ इकॉनामिक्स (एलएसई) से डिग्री पूरी की। 



यूपीएससी में पहले 638वीं फिर आठवीं रेंक हासिल की



लंदन से पढ़ाई के बाद उन्होंने अपने यूपीएससी की घर पर ही तैयारी की और पहले अटेंम्ट में ही इसे क्लियर करते हुए 638वीं रेंक हासिल की, लेकिन मनचाही पोस्ट नहीं मिलने के बाद दूसरी बार तैयारी की और देश में आठवीं रेंक हासिल की।




साल 2012 बैच में तीन लेडी ऑफिसर, तीनों ही दबंग



साल 2012 की आईएएस मप्र की कैडर बैच में तीन लेडी ऑफिसर है। इसमें मूल रूप से बिहार की निधि निवेदिता, यूपी की प्रतिभा पाल और झारखंड की हर्षिका सिंह है। निवेदिता राजगढ़ कलेक्टर रहते हुए बीजेपी कार्यकर्ता का थप्पड़ मारने को लेकर चर्चित रही हैं और बाद में बीजेपी सरकार आने पर उन्हें वल्लभ भवन ट्रांसफर कर दिया गया था। पाल निगमायुक्त रहते हुए अपनी कार्यशैली के लिए चर्चित रही हैं और महापौर के साथ उनकी कोल्डवार भले ही खुलकर सामने नहीं आई, लेकिन अंदरखाने में सभी अधिकारी इसे समझते रहे हैं। वहीं सिंह भी जबलपुर में सीईओ जिला पंचायत रहते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष मनोरमा पटेल के साथ विवाद के लिए चर्चा में रही है, उन्होंने पटेल पर अभद्र भाषा बोलने को लेकर उनकी शिकायत कमिशनर, कलेक्टर से की थी। वहीं एक कर्मचारी को उनके द्वारा हटाए जाने के बाद उसकी मौत पर कर्मचारी संगठनों ने कैंडल मार्च तक निकाला था। 



हर्षिका सिंह के पति रह चुके झाबुआ और नरसिंहपुर कलेक्टर



हर्षिका सिंह के पति वर्तमान में प्रबंध संचालक लघु उदयोग निगम है। वह झाबुआ कलेक्टर रह चुके हैं और कोविड पॉजीटिव होने के बाद वहां से हटाए गए थे। फिर नरसिंहपुर कलेक्टर बने और नवंबर 2022 में ट्रांसफर किया गया। वे मूल रूप से रीवा जिले के हैं।

 


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