इंदौर में हुकुमचंद मिल के मजदूरों को 173 करोड़ भुगतान का प्रस्ताव हाई कोर्ट में रखा गया, मजदूरों ने मांगा ब्याज 88 करोड़ ब्याज

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Neha Thakur
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 इंदौर में हुकुमचंद मिल के मजदूरों को 173 करोड़ भुगतान का प्रस्ताव हाई कोर्ट में रखा गया, मजदूरों ने मांगा ब्याज 88 करोड़ ब्याज

संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर हुकुमचंद मिल का सालों से लटका मामला अब हाई कोर्ट में सुनवाई के लिए लगा हुआ है। मंगलवार 9 मई को हुई सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश हाउसिंग बोर्ड भोपाल ने मजदूरों को 173 करोड़ रुपए बकाया राशि देने के लिए हामी भर दी। इस प्रस्ताव का औपचारिक रूप से हाई कोर्ट में पत्र दे दिया है। निगम के वकील ने कहा कि हमारी लगातार सभी पक्षों से चर्चा चल रही है और हम भुगतान का निराकरण कर रहे हैं। मजदूरों को उनके मूल राशि 229 करोड़ में से पहले ही एक हिस्सा दिया जा चुका है और अब हाउसिंग बोर्ड 173 करोड़ एकमुश्त देने के लिए तैयार हैं। इंदौर हाई कोर्ट खंडपीठ में मामले की अगली सुनवाई 19 जून को होगी।



कम से कम 88 करोड़ ब्याज मिले



मजदूर आपस में पहले ही तय कर चुके हैं कि उन्हें इस एकमुश्त राशि के साथ ब्याज भी चाहिए। मजदूर संघ के नेता नरेंद्र श्रीवंश ने द सूत्र को बताया कि वैसे तो हमारा ब्याज 170 करोड़ से ज्यादा का बनता है, लेकिन हमने जब मिल लिक्विडेशन में आई थी तब तक साल 2001 तक का ही ब्याज की मांग की है ये 88 करोड़ होता है और हम शहर हित में 92 करोड़ रु. का ब्याज छोड़ चुके हैं। जब नगर निगम हाउसिंग बोर्ड और हमारे बीच में लगातार चर्चा हुई तो हमसे कहा गया कि आप शहर हित में कुछ इसमें योगदान दीजिए। तो हमने सब लोगों से बैठक करके तय किया कि हमको 2001 तक का ब्याज मिल जाए जो 88 करोड़ रु. होता है तो भी हम सहमत हैं, लेकिन ब्याज के लिए औपचारिक प्रस्ताव हमको नहीं मिला। इसलिए मूल राशि के साथ ब्याज लेने के लिए हमने पहले से ही हाई कोर्ट में आवेदन लगा रखा है। इस मामले में हाईकोर्ट से जो दिशा निर्देश होंगे उसी के अनुसार आगे कार्रवाई होगी हम तो भारी ब्याज पहले ही छोड़ चुके हैं।



बैंकों को तो ब्याज पर ब्याज मिल रहा है



वहीं बैंकों को चक्रवर्ती ब्याज मिल रहा है उनका लोन तो मात्र 16 17 करोड़ का था, जो अब भारी भरकम हो गया है और उन्हें तो चक्रवर्ती ब्याज पर ब्याज मिल रहा है। लेकिन मजदूरों के मामले में ब्याज देने को तैयार नहीं है।



करीब 6 हजार मजदूरों की चल रही है 30 साल से देनदारी



हुकुमचंद मिल 1990 में बंद हो गई थी। उस समय फैक्ट्री में 5945 मजदूर काम करते थे यह मजदूर तभी से ही अपनी बकाया राशि की मांग के लिए लगे हुए हैं कई बार प्रस्ताव आए जमीन बेचकर इनको राशि का भुगतान किया जाए। जमीन का हाल ही में वैल्यूएशन 500 करोड़ से ज्यादा किया गया है। बीच में नगर निगम ने भी प्रस्ताव पास किया था। यहां पर आईटी पार्क बना दिया जाए और जमीन डेवलपमेंट से जो राशि मिलेगी उससे बाकी लोगों का पेमेंट कर दिया जाए। लेकिन यह प्रस्ताव भोपाल जाकर ठंडा पड़ गया। इसके बाद नया प्रस्ताव आया हाउसिंग बोर्ड की तरफ से यहां पर वह आवासीय टाउन से बना देंगे और इसके एवज में मजदूरों को एकमुश्त 173 करोड़ की राशि दे देंगे, लेकिन ब्याज नहीं देंगे। हाउसिंग बोर्ड आयुक्त चंद्रमौली शुक्ला यहां दौरा करके गए थे और उन्होंने कहा था कि एक मुस्त राशि ले लो और यदि आप हां हो तो हमारी कोर्ट में प्रस्ताव रख देते हैं और एक ही बार में आपकी पूरी राशि खाते में डाल देते हैं। लेकिन मजदूरों ने तय किया कि उन्हें जो ब्याज मिलना चाहिए वह हाई कोर्ट तय कर दे उस आप से हम सब इस मामले में एग्री रहेंगे।

 


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