इंदौर हादसे में NDRF, आर्मी आने में देर क्यों? घटना के 4 घंटे बाद बावड़ी से कोई जिंदा नहीं निकला, 54 लोग डूबे थे, 34 शव निकले

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Atul Tiwari
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इंदौर हादसे में NDRF, आर्मी आने में देर क्यों? घटना के 4 घंटे बाद बावड़ी से कोई जिंदा नहीं निकला, 54 लोग डूबे थे, 34 शव निकले

संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में मंदिर में बावड़ी की छत ढहने के बाद चले रेस्क्यू पर सवाल खड़े हो रहे हैं। अवैध अतिक्रमण और इसे राजनीतिक संरक्षण इस बावड़ी हत्याकांड की वजह बना। वहीं रेस्क्यू काम में अधिकारियों की लापरवाही और सही समय पर सही फैसले नहीं लेना, रेस्क्यू टीम के पास संसाधन ना होना, एनडीआरएफ और आर्मी को बुलाने में देरी यह 35 लोगों की जान पर भारी पड़ गई। एनडीआरएफ की टीम शाम 5 बजे आई तो आर्मी रात 8-9 बजे पहुंची, लेकिन दुर्भाग्य से घटना के चार घंटे बाद ही कोई जीवित नहीं बचा था, दोपहर साढ़े तीन बजे के बाद बावड़ी से केवल शव निकले, कोई जिंदा बाहर नहीं निकला, क्योंकि रेस्क्यू टीम ने बावड़ी के पानी को खाली करने जैसा फैसला शाम 5 बजे बाद लिया। बावड़ी से आज सुबह (31 मार्च) 12 बजे तक 34 शव निकाले जा चुके थे, 2 की मौत अस्पताल में इलाज के दौरान हुई। इस तरह कुल 35 मौत हो चुकी है। एक शख्स सुनील सोलंकी लापता थे, उनका शव भी मिल गया। अस्पताल में 16 अभी भर्ती है, दो डिस्चार्ज हो चुके हैं। यानी इस घटना से बावड़ी में डूबने वाले कुल 54 पीड़ित थे।




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मंदिर बावड़ी हादसे में डेढ़ साल के हितांश खानचंदानी की मौत हो गई। पिता अपने बच्चे से लिपटकर फूट-फूटकर रोए।





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इंदौर हादसे में जान गंवाने वाले 11 लोगों की अर्थी एक साथ उठी।




वहीं, मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष सेवाराम गलानी और सचिव मुरली सबनानी के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज कर लिया गया है। गाद और पानी निकालने के बाद एक बार फिर एनडीआरएफ और आर्मी की टीम बावड़ी में उतरी है। 



लापरवाही की बानगी देखिए, होश फाख्ता करने के लिए ये काफी है




  • 30 मार्च सुबह करीब 11 से 11.15 बजे बीच में श्री बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर की बावड़ी धंसती है, अधिकारी आधे घंटे में पहुंचते हैं, लेकिन एक से डेढ़ घंटे में फायर ब्रिगेड व अन्य रेस्क्यू टीम पहुंचती है। 


  • रेस्क्यू टीम के आने के बाद रस्सियां डालकर बचाव काम शुरू होता है, लेकिन बावड़ी जिन दीवार और टिन शेड से घिरी है, उसे नहीं हटाया जाता। आशंका थी कि दीवार का मलबा भी कुएं में नहीं गिर जाए। रहवासियों का कहना था कि दीवार तोड़कर रेस्क्यू के काम में तेजी लाई जा सकती थी।

  • बावड़ी में नीचे 10 फीट पानी था, जिसमें डूबकर और इसके कीचड़ में फंसकर मौतें हुई, लेकिन इस पानी को हटाने का काम शाम 5 बजे तक नहीं हुआ, जिसकी बार-बार मांग की जाती रही। 

  • लोगों को ऊपर लाने के लिए लोहे का प्लेटफॉर्म नुमा ढांचा रात नौ बजे आया। तब तक रस्सियों के सहारे ही कोशिशें चलती रहीं।

  • रस्सियां कमजोर थी, एक बार रस्सी टूटने से ऊपर आ चुकी पीड़ित महिला वापस नीचे गिर गई।

  • एनडीआरएफ की टीम शाम पांच बजे पहुंची और 30 किमी दूर महू से आर्मी को बुलाने का फैसला करने में अधिकारियों को रात हो गई। ये दोनों ही टीमें केवल शव ही निकाल पाईं, जिंदा कोई नहीं निकला।



  •  100 साल पुराना मंदिर होने का दावा झूठा



    मंदिर ट्रस्ट ने निगम के नोटिस पर अप्रैल 2022 में जवाब दिया था कि यह मंदिर 100 साल पुराना है। रहवासी संघ के पदाधिकारी अवनीश जैन ने बताया कि यह सरासर झूठ है। यह आईडीए की कॉलोनी है, यहां केवल बगीचा था और इसमें बावड़ी थी। इस बावड़ी को कवर कर पहले भगवान शिव की मूर्ति रखी गई और फिर भगवान झूलेलाल की। 1980 में पूर्व पार्षद और बीजेपी नेता सेवाराम गलानी ने मंदिर बनाना शुरू कर दिया। जैन ने आरोप लगाए कि सांसद शंकर लालवानी से लेकर सभी बीजेपी नेताओं का इस मंदिर को लेकर संरक्षण रहा और अवैध निर्माण की शिकायतें करने के बाद भी कभी निगम ने कोई कार्रवाई नहीं की।



    इस तरह बनी बावड़ी



    यह बावड़ी काफी पुरानी है और इसमें पानी का अच्छा स्रोत है। मंदिर ढांचा बनने के बाद इसकी जालियों पर टाइल्स लगाकर पैक कर दिया। बाद में टिन शेड बना दिया। शिव प्रसादी भंडारे के लिए एक साथ भारी भीड़ थी, यह उसी बावड़ी के ऊपर बने टाइल्स पर बैठे हुए थे, जो भारी वजन से और सालों पुरानी बावड़ी की लोहे की जालियों के सड़ जाने के कारण टूट गई और सभी लोग नीचे 40-50 फीट गहरी बावड़ी में समा गए। नीचे करीब 10 फीट पानी और कीचड़ था, जिसमें लोग फंस गए और दम घुंटने, पानी में डूबने से मौत हो गई।


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