/sootr/media/post_banners/2bc0e794415290467813eb7d5eb81fddb20f9d6ea71585ea500079aabe00ed1a.jpeg)
INDORE. इंदौर में हर आयोजन अनोखा होता है। अब देखिए ना, इंदौर के सबसे बड़े और मशहूर उत्सव रंग पंचमी की गेर को निहारने के लिए लोगों में जबरदस्त उत्साह है। उत्साह भी ऐसा कि अब लोगों को गेर को देखने के लिए छतों पर भी जगह नहीं मिल रही है। इससे गेर ने क्षेत्र की छतों के भाव बढ़ा दिए हैं। टोरी कॉर्नर से लेकर राजबाड़ा और गेर के करीब साढ़े तीन किमी मार्ग पर कोई चार सैकड़ा मकान हैं, जिनकी छतों से गेर को निहारा जा सकता है। मुख्य जगहों की छतों के लिए मालिकों से अब तक करीब 10 ग्रुप तक संपर्क कर चुके हैं। इनमें प्रशासनिक और पुलिस अफसरों से लेकर बड़े-बड़े नेता और उद्योगपति तक शामिल हैं। अब ऊंची सिफारिश के बावजूद भी एक-दो लोगों से ज्यादा की जगह नहीं मिल पा रही है।
राजबाड़ा सर्कल की मांग सबसे ज्यादा, यहां से गेर का नजारा शानदार दिखता है
गेर को लेकर पिछले दो-तीन दिन से अधिकतर छतें बुक हो चुकी हैं। सबसे ज्यादा मांग राजबाड़ा सर्कल की , जहां से गेर का नजारा सबसे भव्य और अच्छा दिखाई देता है। यहां खजूरी बाजार की तरफ से रंगों का रैला आता है और फिर पूरे राजबाड़ा चौक को अपने में समाहित कर लेता है। यहां से गोपाल मंदिर तक के हिस्से में रंगों का इंद्रधनुष खिलता है। राजबाड़ा पर छतों की संख्या अमूमन 40-50 के करीब है, इसलिए भी मारा-मारी ज्यादा रहती है। एक ग्रुप के सदस्य ने बताया कि पुलिस चौकी के पास एक बड़ी छत पर पहुंचे और मालिक से पूछा कि कुछ लोगाें को जगह मिल सकती है क्या, तो जवाब मिला, कुछ देर पहले ही पुलिस के एक आला अफसर ने किसी को भेजा था। पूरी जगह बुक कर ली है। टेंट भी वे ही लगाएंगे और खाने-पीने का इंतजाम भी उन्हीं का रहेगा। राजबाड़ा के ठीक सामने सुगंधी परिवारों के घर हैं, वहां भी यही आलम है। कुछ परिवार शनिवार (11 मार्च) शाम को ही अपने घरों में ताला लगाकर निकल गए हैं। कारण पूछने पर कहते हैं कि दिनभर लोग ऊपर जाने का आग्रह करते हैं, कितने लोगों को मना करेंगे। राजबाड़ा क्षेत्र के एक व्यापारी बताया कि, काफी मशक्कत के बाद मैं चार मेहमानों के लिए जगह बना पाया हूं।
ये भी पढ़ें...
एक बार ट्रैक्टर पर कोई बैठा तो दोबारा नहीं आता
गेर आयोजक कमलेश खंडेलवाल कहते हैं कि एक बार गेर में कोई व्यक्ति ट्रैक्टर पर बैठ जाता है तो अगले साल किसी कीमत पर आने को तैयार नहीं होता। ट्रैक्टर चलाने वाले पर लोग इतना गुलाल उड़ाते हैं, गुब्बारे फेंकते हैं कि हालत खराब हो जाती है। टैंकर से पानी चलाने वालों का ध्यान खींचने के लिए उन पर सबसे ज्यादा हमले होते हैं।
गेर के दौरान घंटों बंद रहती है इलाके की बिजली
गेर के दौरान करीब साढ़े तीन किमी के गेर मार्ग की बिजली बंद रहती है। आयोजक बताते हैं, गेर में लोगों पर लगातार पानी फेंका जाता है। बीच में बिजली के तार होते हैं, शॉर्ट सर्किट न हो इसलिए बिजली बंद कर देते हैं। आयोजकों के मुताबिक, गेर में शामिल लोगाें के साथ रहवासियों की सुरक्षा करना भी हम सबकी जिम्मेदारी बनती है। इसलिए यह जरूरी है।
गेर का इंदौर में मचा ही कुछ और...
गेर आयोजक कहते हैं कि गेर में इंदौरवासी, जो आनंद उठाते हैं, उसे महसूस करने का अलग ही मजा है। ये अलग बात है कि गेर के बाद आई स्पेशलिस्ट को हजारों की फीस चुकाना पड़ती है। आंखों में इतना गुलाल चला जाता है कि उसे निकालने और ठीक कराने के लिए एक्सपर्ट की मदद लेना ही पड़ती है। रिकवर करने में एक हफ्ता लग जाता है।
यूनेस्को में शामिल करने के लिए चाहिए दस्तावेज
कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी ने कहा कि इंदौर की परम्परा गेर को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल कराने के लिए एक बार फिर पुरजोर प्रयास होंगे। उन्होंने आग्रह किया कि जिनके पास भी गेर के संबंध में दस्तावेज हो, वे कलेक्टर कार्यालय में जमा करा सकतें है। इस बार दस्तावेजी करण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। फोटोग्राफ, वीडियो सहित अन्य दस्तावेजों का संग्रहण होगा। पुलिस आयुक्त हरिनारायण चारी मिश्र ने सुरक्षा व्यवस्था संबंधी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि गेर के दौरान सीसीटीवी और अन्य माध्यमों से निगरानी रखी जाएगी। उन्होंने कहा कि यह प्रयास होंगे कि कोई भी व्यक्ति मदिरा या अन्य मादक पदार्थ पीकर गेर में शामिल नहीं हो। महिलाओं की सुरक्षा पर विशेष ध्यान रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि आयोजन के दौरान किसी के भी साथ अभद्रता का व्यवहार नहीं हो।