इंदौर एमपीएससी से बाहर की गई 34 महिला उम्मीदवारों के भी होंगे इंटरव्यू, HC ने राज्य सेवा परीक्षा 2019 को लेकर दिया बड़ा फैसला

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Pratibha Rana
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इंदौर एमपीएससी से बाहर की गई 34 महिला उम्मीदवारों के भी होंगे इंटरव्यू, HC ने राज्य सेवा परीक्षा 2019 को लेकर दिया बड़ा फैसला

संजय गुप्ता, INDORE. मप्र लोक सेवा आयोग इंदौर की कार्यशैली एक बार फिर विवादों में आ गई है। राज्य सेवा परीक्षा 2019 में एक बार प्री और फिर मैंस पास करने के बाद 34 गर्ल्स उम्मीदवारों को ऐनवक्त पर इंटरव्यू से बाहर करने के फैसले पर जबलपुर हाईकोर्ट ने सवाल खड़े कर दिए हैं। इनकी याचिका पर सुनवाई करने के बाद जबलपुर हाईकोर्ट ने इन्हें इंटरव्यू प्रोसेस में शामिल करने के साथ ही 19 जून को पीएससी को इस मामले में जवाब देने के लिए कहा है। हालांकि यह भी कहा है कि इन 34 उम्मीदवारों को लेकर आगे की प्रक्रिया हाईकोर्ट के अंतिम आदेश के अधीन रहेगी। 



यह हुआ था विवाद, जिसमें 34 गर्ल्स को कर दिया था बाहर



मप्र लोक सेवा आयोग ने करीब 570 पदों के लिए राज्य सेवा परीक्षा 2019 की प्री ली और इसका रिजल्ट दिसंबर 2020 को जारी किया, फिर इस आधार पर मैंस हुई और इसका रिजल्ट दिसंबर 2021 में जारी हुआ। साथ ही इंटरव्यू के लिए प्रक्रिया शुरू की गई, इसके लिए यह 34 गर्ल्स उम्मीदवार भी सफल हुई। लेकिन इसी दौरान परीक्षा के राज्य सेवा के रोस्टर नियम को लेकर याचिका 543/2021 लगी जिस पर हाईकोर्ट ने फैसला दिया कि यह नियम सही नहीं है। इसके बाद पीएससी ने परीक्षा के हर स्तर यानि प्री, मेंस और इंटरव्यू स्तर पर माइग्रेशन लगाया। इसमें आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार के मेरिट में होने पर उन्हें अनारक्षित कैटेगरी में शिफ्ट किया जाता है और फिर खाली हुए पद पर आरक्षित वर्ग का अन्य उम्मीदवार आ जाता है। इस आदेश के बाद पीएससी ने रिजल्ट संशोधित किया और गर्ल्स उम्मीदवारों को जो प्री एक्जाम में कटऑफ पहले 142 अंक था वह माइग्रेशन के बाद 144 अंक कर दिया। इसके आधार पर पीएससी ने इन 34 गर्ल्स को नए कटऑफ के तहत बाहर कर दिया, जो पहले ही मैंस दे चुकी थी और इंटरव्यू के लिए सफल घोषित हो चुकी थी। लेकिन दो जनवरी 2023 को हाईकोर्ट की डबल बैंच का आदेश आया। इसमें कहा गया था कि मेरिट होल्डर आरक्षित उम्मीदवारों का अनारक्षित कैटेगरी में माइग्रेशन केवल मैंस और इंटरव्यू स्तर पर हो सकता है क्योंकि प्री तो केवल स्क्रूटनी परीक्षा है, यह योग्यता मापने वाली परीक्षा नहीं है। सभी उम्मीदवार इस आधार पर गए थे कि हाईकोर्ट डबल बैंच के नए आदेश को दरकिनार कर हमे बाहर किया गया, क्योंकि प्री में माइग्रेशन बनता ही नहीं था। 



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हाईकोर्ट ने यह कहा



इस मामले में हाईकोर्ट सिंगल बेंच ने कहा कि इस याचिका से तीन सवाल उठ रहे हैं।




  • पहला यह कि क्या नए आदेश पर पुराना आदेश लागू हो सकता है जैसा की पीएससी ने किया अप्रैल 2020 के आदेश को तो माना लेकिन जनवरी 2023 के आदेश को ध्यान में नहीं रखा गया।


  • दूसरा यह कि जो उम्मीदवार प्री और मैंस दोनों पास कर चुका है उसे इंटरव्यू से कैसे वंचित किया जा सकता है। 

  • तीसरा यह कि पीएससी इस तरह रिजल्ट संशोधित करता है तो माइग्रेट वालों के लिए क्या अलग स्लॉट रखे जा सकते हैं। इन सभी सवालों के जवाब पीएससी को 19 जून को अगली सुनवाई में रखना है। तब तक इन उम्मीदवारों को इंटरव्यू में शामिल करने के लिए कहा गया है। 



  • माइग्रेशन नियम को लेकर अभी भी चल रहा है केस



    जबलपुर हाईकोर्ट में जबलपुर निवासी भानु प्रता सिंह तोमर की याचिका पर पहले ही जबलपुर हाईकोर्ट में माइग्रेशन नियम को लेकर सुनवाई चल रही है। इसमें सवाल उठाए गए हैं कि पीएससी द्वारा राज्य सिविल सेवा नियम 2015 के तहत हर स्तर प्री, मैंस, इंटरव्यू पर आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों का माइग्रेशन अनारक्षित कैटेगरी में हो रहा है, जो सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के अन्य फैसलों के तहत अवैधानिक है, मेरिट केवल मेंस और इंटरव्यू से ही तय होगी। इसे लेकर जबलपुर हाईकोर्ट डबल बैंच ने पहले ही अंतरिम निर्देश दिए हैं कि राज्य सेवा परीक्षा 2020, 2021 और 2022 भी कोर्ट के अंतिम आदेश के तहत होगी। इसमें अगली सुनवाई 12 जून को होना है।


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