Jabalpur. जबलपुर के मेडिकल कॉलेज में आयुष्मान योजना के तहत प्रोत्साहन राशि में की गई 35 से 60 लाख रुपए की बंदरबांट की जांच पूरी हो चुकी है। जांच रिपोर्ट को गोपनीय रखते हुए डीन को सौंप दिया गया है। अब जल्द ही यह रिपोर्ट डीएमई को भेजी जाएगी। फिलहाल जांच को इतना गोपनीय रखा गया है कि कोई भी कमेटी का सदस्य इस बारे में कुछ भी बताने से बच रहा है। दूसरी तरफ सूत्रों का कहना है कि जांच रिपोर्ट तैयार करने में कोऑर्डिनेटर की भी मदद ली गई है जबकि वह जांच कमेटी का हिस्सा नहीं थे। जिसके चलते जांच रिपोर्ट का खुलासा होने के पहले ही उस पर सवाल उठने लगे हैं।
गलत ढंग से आहरित की गई राशि
बता दें कि मामले की मेडिकल जांच कमेटी की अध्यक्ष डॉ नम्रता दुबे और अन्य सदस्य डॉ जयदीप और डॉ गौतम ने मिलकर जांच की है। जांच रिपोर्ट में यह पता लगाना था कि आयुष्मान योजना के तहत सुपरवाइजर कैटेगिरी में प्रोत्साहन राशि किस तरह क्रियान्वयन समिति में पास करवाकर पूर्व कॉलेज डीन, पूर्व अधीक्षक, पूर्व योजना अध्यक्ष और कोऑर्डिनेटर ने मिलकर गलत तरीके से अपने-अपने खातों में राशि आहरित करवाई है।
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हल्ला मचने के बाद नहीं ले रहे राशि
सुपरवाईजर कैटेगिरी के अंतर्गत क्रियान्वयन कमेटी के प्रमुख सदस्य पूर्व डीन डॉ पीके कसार, पूर्व अधीक्षक डॉ राजेश तिवारी, डॉ लक्ष्मी सिंगोटिया, कोऑर्डिनेटर डॉ केके गौर, प्रशासनिक अधिकारी प्रशांत गोंटिया समेत 35 लोगों को यह राशि आवंटित की गई है। यह राशि करीब 1 साल तक लोगों में बंटती रही। लेकिन जैसे ही इसके आवंटन पर आपत्ति आई तो इस राशि का भुगतान रुक गया था।
वर्तमान में फिलहाल न तो प्रभारी डीन डॉ गीता गुइन और न ही वर्तमान अध्यक्ष डॉ परवेज सिद्दीकी इस राशि को ले रहे हैं। यही नहीं प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में भी गलत ढंग से सुपरवाइजर कैटेगिरी की राशि अब कोई नहीं ले रहा है।