Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने पीएससी 2019 के मामले में दायर रिट पिटीशन पर सुनवाई करते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने कहा है। सिंगल बेंच द्वारा दिए गए आदेश के तहत 6 माह के अंदर पीएससी मेंस 2019 की विशेष परीक्षा कराने के निर्देश दिए गए थे। डिवीजन बैंच में याचिकाकर्ता के वकील रामेश्वर ठाकुर ने दलील दी कि प्रथमदृष्टया आदेश को अनारक्षित और आरक्षित वर्ग में भेदभाव करने वाला है। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी किए हैं।
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रिट पिटीशन की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने दलील दी कि सिंगल बेंच द्वारा पारित आदेश संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के प्रावधानों के विरूद्ध है ताथ परीक्षार्थियों में परस्पर भेदभाव उत्पन्न करने वाला है। सुनवाई के बाद डिवीजन बैंच ने अनावेदकों को नोटिस जारी करते हुए जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई 8 फरवरी को नियत की गई है।
याचिकाकर्ता दीपेन्द्र यादव, शैलवाला भार्गव और अन्य की तरफ से दायर की गई अपील में कहा गया था कि PSC 2019 की परीक्षा में संशोधित नियम लागू किए थे, जिसके खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई करते हुए HC की युगलपीठ ने असंशोधित नियम 2015 का परिपालन सुनिश्चित करने के आदेश जारी किए थे। हाईकोर्ट का आदेश आने के पहले PSC ने मुख्य परीक्षा आयोजित करते हुए रिजल्ट जारी कर दिए थे, जिसके बाद PSC ने असंशोधित नियम के तहत रिवाइज रिजल्ट जारी करते हुए, उसके अनुसार दोबारा mains परीक्षा करवाने का निर्णय लिया था।
दोबारा मुख्य परीक्षा कराने के फैसले के खिलाफ मुख्य परीक्षा में चयनित 100 से अधिक अभ्यार्थियों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका की सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा था, जिन अभ्यार्थियों का mains परीक्षा में चयन हो गया है और interview के लिए शॉर्ट लिस्ट किया गया है, दोबारा परीक्षा उनके साथ अन्याय होगी। दोबारा मुख्य परीक्षा करवाने में अधिक व्यय होगा, जो जनहित में नहीं है। पहले की भांति नई सूची के अनुसार चयनित अभ्यार्थियों के लिए विशेष परीक्षा 6 महीने में आयोजित की जाए। पूर्व की मुख्य परीक्षा और विशेष परीक्षा के result अनुसार अंतिम सूची तैयार की जाए।