Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन घोटाले को लेकर दायर हुई याचिका पर सुनवाई हुई। अदालत ने राज्य शासन से पूछा है कि घोटाले की जांच रिपोर्ट में जिन लोगों को आरोपी बताया गया है उनके खिलाफ कार्रवाई क्या की गई। पूर्व आदेश के पालन में वरिष्ठ आईएएस नेहा मराव्या द्वारा की गई जांच रिपोर्ट पेश की गई। जस्टिस शील नागू और जस्टिस वीरेंद्र सिंह की डबल बेंच ने जांच रिपोर्ट को याचिका का अहम हिस्सा बनाने के लिए याचिकाकर्ता को संशोधन आवेदन पेश करने के निर्देश भी दिए हैं।
भोपाल निवासी भूपेंद्र कुमार प्रजापति की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक प्रसाद शाह ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि आजीविका मिशन के अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा बीमा, नियुक्ति, अगरबत्ती मशीन खरीदी, स्कूल यूनिफॉर्म समेत अन्य घोटालों को अंजाम दिया गया है, इसके पुख्ता सबूत हैं।
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जांच रिपोर्ट में भी खुलासा हो चुका है, बावजूद इसके ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। सेवानिवृत्त आईएफएस ललित मोहन बेलवाल समेत अन्य की नियुक्तियां भी जांच का विषय हैं। याचिका में बताया गया कि भ्रष्टाचार की वजह से राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का मुख्य उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है। इस मामले में विधानसभा में भी सवाल किया जा चुका है और ध्यानाकर्षण भी कराया जा चुका है। इसके बावजूद सरकार ने अब तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की, इसलिए जनहित याचिका दायर की गई।
हाईकोर्ट ने आजीविका मिशन में हुए भ्रष्टाचार से जुड़ी उच्च स्तरीय जांच समिति की रिपोर्ट के साथ संलग्न करने के निर्देश याचिकाकर्ता को दिए थे, जिसके बाद यह प्रक्रिया पूरी कर दी गई है। बता दें कि प्रदेश की वरिष्ठ आईएएस नेहा मराव्या ने लगभग एक साल पहले शिकायतों की जांच करके आजीविका मिशन के अधिकारियों और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट के अधिकारी के विरुद्ध आपराधिक धाराओं के तहत मामला पंजीबद्ध करने की शासन को अनुशंसा की थी।