Jabalpur. जबलपुर हाईकोर्ट ने निजी विद्यालयों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य शासन के शिक्षा विभाग द्वारा प्राइवेट स्कूलों में 5वीं और 8वीं की परीक्षाएं बोर्ड पैटर्न पर कराने संबंधी आदेश को लेकर राहत प्रदान की है। अशासकीय विद्यालय परिवार की ओर से दायर याचिका में आदेश को आरटीई एक्ट 2009 की भावनाओं के अनुरूप न होने का हवाला दिया गया था।
अशासकीय विद्यालय परिवार द्वारा दायर याचिका में याचिकाकर्ता की ओर से दीपक पंजवानी ने अदालत में दलील दी कि मध्य सत्र में ऐसा आदेश दिए जाने से स्कूली बच्चों पर मानसिक तनाव उत्पन्न हो रहा है। यह भी दलील दी गई कि नई शिक्षा नीति 2022 में केवल 12वीं में ही बोर्ड परीक्षा कराने की बात कही गई है। ऐसे में 5वीं और 8वीं की परीक्षा बोर्ड पैटर्न में कराने का कोई औचित्य नहीं है। दूसरी तरह राज्य शिक्षा केंद्र ने अर्धवार्षिक परीक्षा से अपने निर्धारित पाठ्यक्रम द्वारा बोर्ड पैटर्न पर परीक्षा कराने के निर्देश जारी कर दिए।
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अदालत ने समस्त पक्षों को गंभीरता से सुनने के उपरांत मध्य सत्र में बदलाव से बच्चों के शैक्षणिक मूल्यांकन में अनियमितता की संभावना को देखते हुए संस्था से जुड़े निजी स्कूलों को पाठ्यक्रम संबंधी अनिवार्यता से मुक्त करते हुए उन शालाओं में चल रहे सिलेबस के आधार पर मूल्यांकन कराए जाने का आदेश दिया है।
बोर्ड पैटर्न परीक्षा निरस्त करने का भी अनुरोध
इधर याचिकाकर्ता अशासकीय विद्यालय परिवार के अध्यक्ष मोहन नागवानी ने मध्य सत्र में आदेश पारित होने से छात्रों के मानसिक तनाव को ध्यान में रखते हुए राज्य शिक्षा केंद्र से बोर्ड पैटर्न परीक्षा को ही स्थगित करने का अनुरोध किया है। संगठन की मांग है कि आगामी सत्र से इस फैसले को लागू किया जाए।