Jabalpur. जबलपुर हाईकोर्ट ने राज्य में बिना लाइसेंस के दूध विक्रय करने वालों और दूध में मिलावट करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के सिलसिले में सरकार से रिपोर्ट तलब की है। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की डबल बेंच ने इसके लिए सरकार को 4 हफ्ते की मोहलत दी है।
जनहित याचिकाकर्ता नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ पीजी नाजपांडे की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि यह जनहित याचिका 2017 में दायर की गई थी। इस पर नोटिस जारी होने और दिशानिर्देश के बाद राज्य शासन की ओर से पूर्व में एक रिपोर्ट पेश की गई थी।
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उस रिपोर्ट में कुछ सैंपल लिए जाने और कुछ व्यापारियों के विरुद्ध कार्रवाई की जानकारी दी गई थी। लेकिन साल 2019 से 2022 तक की कार्रवाई का ब्यौरा उस रिपोर्ट में नहीं था। जिससे साफ है कि पूर्व में पेश की गई रिपोर्ट महज कागजी औपचारिकता थी।
खुलेआम हो रही दूध में मिलावट
बहस के दौरान दलील दी गई कि आज भी जबलपुर समेत मप्र के अन्य शहरों में सरेआम मिलावटी दूध बेचा जा रहा है। इससे न केवल आम उपभोक्ता का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है बल्कि प्रदूषित दूध पीकर बच्चे व बड़े बीमार हो रहे हैं। सरकार की जिम्मेदारी है कि नागरिकों को शुद्ध दूध की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। इतना ही नहीं विक्रेता दूध के मनमाने दाम वसूल रहे हैं। महंगा दूध लेने के बाद भी यदि मिलावट होती है तो ग्राहक खुद को ठगा महसूस करता है। इस सब पर ठोस अंकुश अनिवार्य है। यह व्यापक जनहित का मुद्दा है।