जबलपुर हाईकोर्ट ने अवैध भवन में संचालित अस्पतालों के मामले में जारी किया नोटिस, प्रशासन ने फायर एनओसी भी दे दी

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Rajeev Upadhyay
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जबलपुर हाईकोर्ट ने अवैध भवन में संचालित अस्पतालों के मामले में जारी किया नोटिस, प्रशासन ने फायर एनओसी भी दे दी

Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अवैध भवनों में संचालित जबलपुर के दो अस्पतालों को फायरसेफ्टी सर्टिफिकेट जारी करने के मामले में सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। अदालत ने जिला प्रशासन से सवाल किया है कि अवैध रूप से बने भवन में संचालित संस्कारधानी और केयर हॉस्पिटल को फायर सर्टिफिकेट कैसे जारी कर दिया गया। इस मामले में दायर जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की डबल बेंच ने प्रमुख सचिव लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग, कलेक्टर जबलपुर, निगम आयुक्त जबलपुर, फायर ऑफीसर, सीएमएचओ जबलपुर, संस्कारधानी अस्पताल के संचालक डॉ रोहित चतुर्वेदी, केयर अस्पताल के संचालक डॉ राहुल अग्रवाल समेत फायर इंजीनियर निखिल रनपुरिया को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने कहा है। 



जबलपुर के रहने वाले विनोद अग्निहोत्री ने याचिका दायर कर अदालत को बताया कि राज्य शासन फायर सेफ्टी एंड इमरजेंसी सर्विस एक्ट को लागू नहीं कर रही है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आर एन तिवारी ने बताया कि प्रशासनिक अधिकारी ऐसे भवनों में संचालित अस्पतालों को फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट जारी कर रहे हैं जो बिना भवन अनुज्ञा के अवैध रूप से निर्मित किए गए हैं। इन भवनों में पर्याप्त पार्किंग की सुविधा नहीं है। इसके अलावा यहां वैकल्पिक फायर एग्जिट भी नहीं है। 




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  • बता दें कि पूर्व में प्रशासन ने करमेता स्थित केयर अस्पताल पर कार्रवाई भी की थी। करमेता में ही स्थित संस्कारधानी अस्पताल और केयर अस्पताल के भवनों के संबंध में नगर निगम के पत्र द्वारा सीएमएचओ को बताया गया था कि उक्त अस्पताल भवन के पक्ष में निर्माण अनुज्ञा और बिल्डिंग कम्पलीशन प्रमाणपत्र जारी नहीं किया गया है। इन भवनों में पार्किंग, एमओएस आदि सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। टीएंडसीपी ने भी ऐसा ही पत्र सीएमएचओ को भेजा था। 



    नगरीय प्रशासन और विकास विभाग ने भी बीते साल 2 सितंबर को पत्र लिखकर कहा था कि भवन निर्माण पूर्ण होने पर भवन पूर्णता प्रमाण पत्र एवं अधिवास की अनुज्ञा प्राप्त किए बिना ही भवन को उपयोग में लाना नियम विरुद्ध है। याचिका में मांग की गई कि प्रमाण पत्र को निरस्त किया जाए। 


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