Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक मामले में टिप्पणी करते हुए बोला है कि बेदखली हमेशा कानून के दायरे में होनी चाहिए। चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की डबलबेंच ने कहा कि अनधिकृत कब्जे हटाने के समय भी नियम कायदों का पालन करनते हुए प्रक्रिया को पूर्ण करना चाहिए। इस टिप्पणी के साथ अदालत ने शासकीय भूमि पर व्यवसाय करने वाले पथ विक्रेताओं द्वारा दायर याचिका का निराकरण कर दिया।
दमोह जिले की नगर परिषद, पटेरा निवासी भरत ताम्रकार और अन्य की ओर से अधिवक्ता आशीष त्रिवेदी और असीम त्रिवेदी ने पक्ष रखा। दलील दी गई कि याचिकाकर्ता सड़क किनारे शासकीय भूमि पर बीते 50 सालों से व्यवसाय कर जीवन यापन कर रहे हैं। वे केंद्र सरकार द्वारा 2014 में बनाए गए पथ विक्रेता अधिनियम के अंतर्गत पथ विक्रेता की परिभाषा में शामिल हैं। उक्त अधिनियम की धारा 3 में दी गई व्यवस्था के अनुसार जब तक टाउन वेंडिंग कमेटी का गठन नहीं किया जाता व सर्वे कर पथ विक्रेताओं को प्रमाणपत्र नहीं दिया जाता, तब तक उन्हें उनके व्यवसाय से बेदखल नहीं किया जा सकता।
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प्रदेश शासन ने साल 2017 में टाउन वेंडिंग कमेटी से संबंधित नियम बनाए। साल 2020 में पथ विक्रेताओं से संबंधित नियम बनाए हैं। नगर परिषद, पटेरा में हाल ही में गठित कमेटी हुई है लेकिन उक्त अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार अभी तक कोई टाउन वेंडिंग कमेटी का गठन नहीं किया गया है। इसके बावजूद नगर पालिका परिषद के सीएमओ ने याचिकाकर्ता को बेदखल करने का नोटिस दिया है। जो कि अवैध है।
हाईकोर्ट ने तर्क सुनने के बाद अभिनिर्धारित किया है रिकॉर्ड में मौजूद सामग्री पर विचार करने के बाद हमारा मानना है कि यह सब अधिकारियों द्वारा विचार करने का विषय है। यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि किसी व्यक्ति की बेदखली चाहे वह अनधिकृत कब्जे में ही क्यों न हो, कार्रवाई कानून के अनुसार ही होनी चाहिए। उत्तरदाताओं ने कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए उन्हें नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है। स्पष्टीकरण प्रस्तुत किए गए हैं। यह सही, न्यायसंगत है कि नहीं यह अधिकारियों को तय करना है। लिहाजा यह स्वयं निर्धारित है कि प्रतिवादियों को बेदखली करते समय कानून के अनुसार कार्य करना चाहिए।
जबलपुर हाईकोर्ट ने की अहम टिप्पणी, कहा-जमीन से बेदखली हमेशा कानून के दायरे में होनी चाहिए
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Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक मामले में टिप्पणी करते हुए बोला है कि बेदखली हमेशा कानून के दायरे में होनी चाहिए। चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की डबलबेंच ने कहा कि अनधिकृत कब्जे हटाने के समय भी नियम कायदों का पालन करनते हुए प्रक्रिया को पूर्ण करना चाहिए। इस टिप्पणी के साथ अदालत ने शासकीय भूमि पर व्यवसाय करने वाले पथ विक्रेताओं द्वारा दायर याचिका का निराकरण कर दिया।
दमोह जिले की नगर परिषद, पटेरा निवासी भरत ताम्रकार और अन्य की ओर से अधिवक्ता आशीष त्रिवेदी और असीम त्रिवेदी ने पक्ष रखा। दलील दी गई कि याचिकाकर्ता सड़क किनारे शासकीय भूमि पर बीते 50 सालों से व्यवसाय कर जीवन यापन कर रहे हैं। वे केंद्र सरकार द्वारा 2014 में बनाए गए पथ विक्रेता अधिनियम के अंतर्गत पथ विक्रेता की परिभाषा में शामिल हैं। उक्त अधिनियम की धारा 3 में दी गई व्यवस्था के अनुसार जब तक टाउन वेंडिंग कमेटी का गठन नहीं किया जाता व सर्वे कर पथ विक्रेताओं को प्रमाणपत्र नहीं दिया जाता, तब तक उन्हें उनके व्यवसाय से बेदखल नहीं किया जा सकता।
प्रदेश शासन ने साल 2017 में टाउन वेंडिंग कमेटी से संबंधित नियम बनाए। साल 2020 में पथ विक्रेताओं से संबंधित नियम बनाए हैं। नगर परिषद, पटेरा में हाल ही में गठित कमेटी हुई है लेकिन उक्त अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार अभी तक कोई टाउन वेंडिंग कमेटी का गठन नहीं किया गया है। इसके बावजूद नगर पालिका परिषद के सीएमओ ने याचिकाकर्ता को बेदखल करने का नोटिस दिया है। जो कि अवैध है।
हाईकोर्ट ने तर्क सुनने के बाद अभिनिर्धारित किया है रिकॉर्ड में मौजूद सामग्री पर विचार करने के बाद हमारा मानना है कि यह सब अधिकारियों द्वारा विचार करने का विषय है। यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि किसी व्यक्ति की बेदखली चाहे वह अनधिकृत कब्जे में ही क्यों न हो, कार्रवाई कानून के अनुसार ही होनी चाहिए। उत्तरदाताओं ने कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए उन्हें नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है। स्पष्टीकरण प्रस्तुत किए गए हैं। यह सही, न्यायसंगत है कि नहीं यह अधिकारियों को तय करना है। लिहाजा यह स्वयं निर्धारित है कि प्रतिवादियों को बेदखली करते समय कानून के अनुसार कार्य करना चाहिए।