Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने जबलपुर के करमेता में स्थित केयर अस्पताल को राहत देने से इनकार किया है। साथ ही अपील के निराकरण तक लाइसेंस निरस्त किए जाने के मामले में यथास्थिति कायम रखने की व्यवस्था दी है। बता दें कि प्रशासन ने अस्पताल का लाइसेंस निरस्त कर दिया था, जिसे चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील दायर की गई थी।
जस्टिस मनिंदर सिंह भट्टी की एकलपीठ ने अपने आदेश में केयर अस्पताल प्रबंधन को यह स्वतंत्रता दी है कि वह सक्षम अधिकारी के समक्ष राहत पाने के लिए अपील कर सकता है। यह स्वतंत्रता हस्तक्षेपकर्ता को भी दी गई है। इस तरह सक्षम अधिकारी दोनों पक्षों को सुनवाई का अवसर देकर 30 दिन के अंदर अपील पर विचार कर निर्णय लेंगे।
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मामले की सुनवाई के दौरान दलील दी गई कि सभी अनियमितताएं दूर करने के बावजूद लाइसेंस अब तक बहाल नहीं किया गया। इस वजह से अस्पताल का संचालन प्रभावित हो रहा है। बता दें कि विनय डेविड और प्रशांत वैश्य की शिकायत पर सीएमएचओ ने अजय कुरील और डॉ आदर्श विश्नोई की अध्यक्षता में दो सदस्यीय जांच टीम गठित कर जांच के निर्देश दिए थे।
कमेटी ने अपनी रिपोर्ट पेश कर अस्पताल का पंजीयन निरस्त कर लाइसेंस निरस्त करने की अनुशंसा की थी। जिसके बाद सीएमएचओ ने 1 फरवरी को केयर अस्पताल का पंजीयन निरस्त कर अस्पताल को बंद करने के निर्देश जारी किए थे। शिकायतकर्ता की ओर से अदालत को अवगत कराया गया कि अस्पताल के पास नगर निगम से प्राप्त भवन अनुज्ञा और भवन पूर्णता प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं है। अस्पताल में वैकल्पिक फायर एग्जिट और साइड के अलावा पीछे के हिस्से में विधि निर्धारित रिक्त स्थान भी नहीं है।
राज्य शासन की ओर से उपमहाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता अस्पताल के पास पंजीयन निरस्त करने के आदेश के विरूद्ध अपील करने का प्रावधान उपलब्ध है। तमाम दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने अपना आदेश सुनाया।