जबलपुर हाईकोर्ट ने आजीविका मिशन घोटाले पर सरकार से मांगा जवाब, याचिका की सुनवाई के बाद जारी किए नोटिस

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Rajeev Upadhyay
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जबलपुर हाईकोर्ट ने आजीविका मिशन घोटाले पर सरकार से मांगा जवाब, याचिका की सुनवाई के बाद जारी किए नोटिस

Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के प्रशासनिक न्यायाधीश शील नागू और जस्टिस वीरेंद्र सिंह की डबल बेंच ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन घोटाले के आरोप वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार समेत अन्य पक्षों को नोटिस जारी किए हैं। मामले की अगली सुनवाई 5 फरवरी को नियत की गई है। 



याचिकाकर्ता भोपाल निवासी भूपेंद्र कुमार प्रजापति की ओर से तर्क दिया गया कि आजीविका मिशन के अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा बीमा, नियुक्ति, अगरबत्ती मशीन खरीदी, स्कूल यूनिफार्म समेत अन्य खरीदी में घोटाले हुए। इनका खुलासा जांच रिपोर्ट में भी हो चुका है। इसके बावजूद ठोस कार्रवाई नहीं हुई। 




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  • याचिका में कहा गया है कि ऐसे में सेवानिवृत्त आईएफएस ललित मोहन बेलवाल समेत अन्य की नियुक्तियां जांच का विषय है। हाईकोर्ट ने आजीविका मिशन में हुए कथित भ्रष्टाचार से जुड़ी उच्च स्तरीय जांच समिति की रिपोर्ट याचिका के साथ संलग्न करने के निर्देश याचिकाकर्ता को दिए थे। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक प्रसाद शाह ने पक्ष रखा। 



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    जबलपुर हाईकोर्ट में शासकीय नौकरियों में स्वतंत्रता सेनानी के आश्रितों के लिए आरक्षण के प्रावधान की मांग को लेकर याचिका दायर की गई है। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव, आयुक्त लोक शिक्षण और मप्र राज्य लोक सेवा आयोग के चेयरमैन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका सागर निवासी डॉ वीवी चौबे ने दायर की है। 


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