Jabalpur. जबलपुर हाईकोर्ट में पहले से विचाराधीन दो याचिकाओं के अंतर्गत एक आवेदन पेश कर आरोप लगाया गया है कि प्रदेश भर में प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्तियों में अदालती आदेश की अवहेलना की गई है। प्रशासनिक न्यायाधीश शील नागू और जस्टिस वीरेंद्र सिंह की डबल बेंच ने आवेदन को अभिलेख पर लेकर आगामी सप्ताह सुनवाई नियत की गई है।
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दरअसल आवेदन में बताया गया है कि लोक शिक्षण विभाग और आदिवासी विभाग ने 20 मार्च तक प्रदेश में लगभग 19 हजार से ज्यादा पदों पर नियुक्तियां दी गई। हाईकोर्ट ने एक अंतरिम आदेश के जरिए उक्त भर्तियों को याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन रखा है। लेकिन डीपीआई और ट्राइबल डिपार्टमेंट ने किसी भी नियुक्ति में कोर्ट के अंतरिम आदेश का उल्लेख नहीं किया है, जो कि अवमानना के दायरे में आता है। आवेदन में मांग की गई है कि उक्त दोनों विभागों के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाए।
मूल याचिकाओं में कहा गया था कि प्राथमिक शिक्षकों के पद की सामान्य योग्यता बारहवीं और डीएलएड निर्धारित है। बावजूद इसके राज्य सरकार ने स्नातक और बीएड डिग्रीधारियों को भी मान्य किया है। ऐसे में उन अभ्यर्थियों का हक मारा गया जिनके पास डीएलएड की डिग्री थी। जिस पर अदालत ने जुलाई 2022 और जनवरी 2023 को अंतरिम आदेश के तहत उक्त भर्तियों को याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन करने का आदेश दिया था।
याचिका में दलील दी गई थी कि राजस्थान, उत्तरप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, पंजाब और हरियाणा जैसे प्रदेशों में सुप्रीम कोर्ट व संबंधित हाईकोर्ट के दिशानिर्देश के अनुसार प्राथमिक शिक्षकों के लिए बीएड डिग्रीधारकों को प्राथमिक शिक्षक के रूप में नियुक्तियां नहीं दी गई हैं, लेकिन प्रदेश सरकार ने बीएड डिग्रीधारकों को प्राथमिक शिक्षक बनाने हरी झंडी दे दी।