JABALPUR. मध्य प्रदेश में इस साल आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं। सत्ताधारी बीजेपी, कांग्रेस ही नहीं, आम आदमी पार्टी भी कवायद में जुट गई है। इन दिनों प्रदेश में धार्मिक आयोजनों की बाढ़ आई हुई है। हम आपको बताएंगे कि किन-किन कथावाचकों की सभाएं कौन-कौन करा रहा है। लेकिन सबसे ये जरूर पढ़ें। जबलपुर में जगद्गुरु रामभद्राचार्य का व्याख्यान होना था। इसके लिए शिक्षा विभाग ने बाकायदा आदेश जारी कॉलेज स्टूडेंट्स को व्याख्यान में लाने की बात कही। आदेश जबलपुर के 20 कॉलेजों को जारी किया गया। इन कॉलेजों को 50 से 150 स्टूडेंट्स को लाने को कहा गया।
आदेश में ये कहा गया
भीमराव अंबेडकर जयंती की पूर्व संध्या यानी 13 अप्रैल को शाम 4 बजे जगद्गुरु रामभद्राचार्य का श्रीराम का समरस और समर्थ भारत विषय पर व्याख्यान होना है। यह व्याख्यान गोलबाजार के शहीद स्मारक में होना है। इसमें एनसीसी, एनएसएस समेत स्टूडेंट्स और टीचर्स का भेजना सुनिश्चित करें।
नेता ही नहीं, कथावाचकों के लिए भी भीड़ जुटानी है...
जबलपुर में जगद्गुरु रामभद्राचार्य का व्याख्यान। 20 कॉलेजों से 50 से 150 बच्चे जुटाने का सरकारी आदेश। आदेश में बताया कि किस कॉलेज से कितने बच्चे आएंगे।
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— TheSootr (@TheSootr) April 14, 2023
क्या बोलीं अफसर?
इस मामले पर द सूत्र ने शिक्षा विभाग की एडिशनल डायरेक्टर लीला भलावी से बात की। उन्होंने बताया- हां, हमारी तरफ से कॉलेजों को आदेश तो गया था। अभी परीक्षाएं चल रही हैं, इस वजह से ज्यादा बच्चे और टीचर्स नहीं पहुंचे। आगे से इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि धार्मिक आयोजनों में कॉलेजों और प्रोफेसर्स को इन्वॉल्व नहीं किया जाए।
चुनावी माहौल में धार्मिक आयोजन
अप्रैल में हाल ही में बीजेपी के राहुल कोठारी ने भोपाल में देवकीनंदन ठाकुर की कथा कराई। इससे पहले जबलपुर के पनागर में बीजेपी विधायक सुशील तिवारी (इंदु) ने बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री की कथा कराई थी। धार्मिक आयोजन कराकर भीड़ जुटाना बेहद आसान माना जाता है। दोनों (बीजेपी-कांग्रेस) ही पार्टियों के नेता इसमें पीछे नहीं रहते।
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कौन हैं रामभद्राचार्य?
जगद्गुरु रामभद्राचार्य चित्रकूट में रहते हैं। उनका वास्तविक नाम गिरधर मिश्र है। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में हुआ था। रामभद्राचार्य एक प्रख्यात विद्वान्, शिक्षाविद, बहुभाषाविद, रचनाकार, प्रवचनकार, दार्शनिक और हिंदू धर्मगुरु हैं। वे रामानंद सम्प्रदाय के वर्तमान 4 जगद्गुरु रामानन्दाचार्यों में से एक हैं और इस पद पर साल 1988 से आसीन हैं। रामभद्राचार्य चित्रकूट में स्थित संत तुलसीदास के नाम पर स्थापित तुलसी पीठ धार्मिक और सामाजिक सेवा स्थित जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के संस्थापक हैं और आजीवन कुलाधिपति हैं।
रामभद्राचार्य जब सिर्फ दो महीने के थे, तभी उनके आंखों की रोशनी चली गई थी। बताया जाता है कि उनकी आंखों में कोई गलत दवा डाल दी गई थी। वे 22 भाषाएं जैसे संस्कृत, हिंदी, अवधी, मैथिली समेत कई भाषाओं में कवि और रचनाकार हैं। उन्होंने 80 से ज्यादा पुस्तकों और ग्रंथों की रचना की है, जिनमें 4 महाकाव्य (दो संस्कृत और दो हिंदी में) हैं। उन्हें तुलसीदास पर भारत के सर्वश्रेष्ठ जानकारों में गिना जाता है। वे ना तो पढ़ सकते हैं, ना लिख सकते हैं और ना ही ब्रेल लिपि का प्रयोग करते हैं। वे केवल सुनकर सीखते हैं और बोलकर अपनी रचनाएं लिखवाते हैं। 2015 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया था।