जबलपुर: अस्पताल ने 24 घंटे के इलाज का 90 हजार बिल बनाया, कलेक्टर के दखल के बाद बिल 30 हजार किया

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जबलपुर: अस्पताल ने 24 घंटे के इलाज का 90 हजार बिल बनाया, कलेक्टर के दखल के बाद बिल 30 हजार किया

जबलपुर. यहां के संस्कारधानी हॉस्पिटल में 24 घंटे इलाज का बिल 90 हजार रुपए बना दिया। मरीज की हालत बिगड़ने पर उसे मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। अस्पताल के बिल की शिकायत परिजन ने कलेक्टर केयर पर की। कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने CMHO रत्नेश कुरारिया को मामले की जांच के देश दिए। CMHO ने नोडल अधिकारी डॉ. प्रियंक दुबे को मौके पर भेजा। जब उन्होंने अस्पताल पर कार्रवाई का डर दिखाया, तो बिल में से 60 हजार रुपए कम कर दिए गए। हॉस्पिटल का खर्च 14 हजार, दवा और जांच पर खर्च 16 हजार रुपए ही सही थे। अस्पताल ने अस्पताल, डॉक्टर के विजिटिंग और वेंटिलेटर का खर्च ही 60 हजार रुपए बताया था। यह बिल दो दिन का था।

हॉस्पिटल मैनेजमेंट की मनमानी

परिजन ने संस्कारधानी हॉस्पिटल में ललित सराठे (20) को शनिवार, 2 अक्टूबर की शाम भर्ती कराया था। वे पायोजेनिक मेनिनजाइटिस बीमारी से ग्रसित हैं। अस्पताल पहुंचते ही उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया। हालत बिगड़ने पर रविवार को अस्पताल प्रबंधन ने मेडिकल कॉलेज रेफर करते हुए 90 हजार रुपए का बिल थमा दिया। 24 घंटे से भी कम समय का भारी भरकम बिल देखकर परिजन हैरान रह गए। परिजन ने आर्थिक हालात का हवाला देते हुए बिल कम करने की मिन्नतें कीं, लेकिन हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने क ना सुनी।

केयर बाय कलेक्टर

परिजन को परेशान देखकर किसी ने उन्हें केयर बाय कलेक्टर सोशल मीडिया का नंबर 75879 70500 दिया। परिजन ने इस नंबर पर मरीज के बारे में विवरण देते हुए मदद के लिए मैसेज भेजा। कलेक्टर और CMHO के निर्देश के बाद डॉ. प्रियंक दुबे हॉस्पिटल पहुंचे और मरीज के परिवार वालों से मुलाकात की। इसके बाद इलाज संबंधी दस्तावेजों की जांच की।

कार्रवाई के डर से कम किया बिल

प्रियंक दुबे के मुताबिक, अस्पताल ने अनाप-शनाप बिलिंग की थी। मरीज को शनिवार (2 अक्टूबर) शाम अस्पताल लाया गया था। मरीज 24 घंटे वेंटिलेटर पर था, लेकिन चार्ज दो दिन (2 और 4 अक्टूबर)का जोड़कर 60 हजार रुपए कर दिया गया । इसमें अस्पताल खर्च, डॉक्टर विजिटिंग और वेंटिलेटर का खर्च शामिल था। इसी तरह दवाओं का बिल 30 हजार रुपए बनाया गया था। उन्होंने फटकार लगाते हुए लाइसेंस निलंबित करने की चेतावनी दी। सीएमओ के दखल के बाद अस्पताल ने आईसीयू और वेंटिलेटर का एक दिन का चार्ज 14 हजार रुपए किए। दवाओं और जांच की कीमत 30 हजार की बजाए 16 हजार रुपए किए। इस तरह बिल अस्पताल प्रबंधन 60 हजार रुपए कम करने को तैयार हुआ। शाम को मरीज को मेडिकल कॉलेज में शिफ्ट कराया गया।

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